Gandhi Jayanti Speech 2022: गांधी जयंती पर देने जा रहे हैं स्पीच, तो यहां बनें भाषण के जादूगर

Gandhi Jayanti Speech in Hindi 2022 (गांधी जयंती पर भाषण हिंदी में 2022): गांधी जयंती के अवसर पर स्कूल कॉलेज से लेकर अन्य शैक्षणिक संस्थानों व सरकारी दफ्तर में कई तरह के विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। तथा गांधी जी का देश के निर्माण में योगदान के लिए भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। ऐसे में यदि आपने भी भाषण प्रतियोगिता में हिस्सा लिया है, तो हमारे इस लेख पर एक नजर अवश्य डालें।

गांधी जयंती के स्पीच को ऐसे बनाएं दमदार

मुख्य बातें
  • 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था महात्मा गांधी का जन्म।
  • स्पीच के दौरान गांधी जी के जीवन से जुड़ी घटना का करें जिक्र।
  • नीचे दिए इस पंक्ति से करें स्पीच की शुरुआत।

Gandhi Jayanti Speech in Hindi 2022 (गांधी जयंती पर भाषण हिंदी में 2022): देखने में थी हस्ती तेरी छोटी, लेकिन तुझे देख झुकती थी हिमालय की भी चोटी। महात्मा गांधी पर ये पंक्ति सटीक बैठती है। सूट बूट वाले अंग्रेज कभी बापू की धोती और लंगोटी का भेद नहीं समझ पाए। एक जमाने में ब्रिटिश के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने बापू का मजाक उड़ाते हुए, उन्हें नंगा फकीर तक कह डाला था। लेकिन उन्हें कहां पता था कि, एक दिन वो फकीर उनकी प्रतिमा के बगल खड़ा होगा और पूरी दुनिया उसके सामने नतमस्तक होगी। सत्य और अहिंसा के प्रति महात्मा गांधी के विचार ना केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया का मार्गदर्शन करते रहे हैं। महात्मा गांधी (Gandhi Jayanti Speech) भारतीय इतिहास के एक ऐसे पुरोधा थे, जिन्होंने अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ी। वह स्वतंत्रता संग्राम के एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजी हुकुमत को जड़ से उखाड़ फेंक दिया। बापू कहते थे कि, आपकी विनम्रता पूरी दुनिया को हिला सकती है, उनके इस विचार से मार्टिन लूथर किंग भी काफी प्रभावित थे।

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कहा जाता है कि उन्होंने महात्मा गांधी से प्रेरणा प्राप्त कर अमेरिका में नस्लीभेद का एक व्यापक आंदोलन चलाया था और साल 1965 में उन्हें इसमें सफलता मिली। आधुनिक भारत में महात्मा गांधी की भूमिका अतुलनीय रही, अपने संपूर्ण जीवन में वह समावेशी, समतामूलक और विविधताओं से भरे समाज के पक्षधर रहे। उन्होंने सामाजिक और आर्थिक शोषण से लड़ने के लिए लोगों को मजबूत बनाने का कार्य किया। समाज को कमजोर करने वाली बुराइयों को जड़ से उखाड़ फेकने के लिए अथक प्रयास किया और काफी हद तक वह इसमें सफल भी रहे। गांधी जी काफी दूरदर्शी थे और पुरुषार्थ में विश्वास रखते थे। महात्मा गांधी के सत्य और अहिंसा के सिद्धांत को राजनीति और सामाजिक दर्शन का बुनियाद माना जाता है।

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