Hariyali Teej Essay In Hindi: हरियाली तीज पर ऐसे लिखें निबंध, मिलेंगे शत प्रतिशत मार्क्स

Hariyali Teej Essay, Nibandh In Hindi (हरियाली तीज पर निबंध): हरियाली तीज का पर्व हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया (Hariyali Teej Essay In Hindi) जाता है। इस बार हरियाली तीज 7 अगस्त 2024, गुरुवार को है। यहां हम आपके लिए हरियाली तीज पर निबंध लेकर आए हैं।

Hariyali Teej Essay In Hindi: हरियाली तीज पर सबसे सरल व शानदार निबंध

Hariyali Teej Essay, Nibandh In Hindi (हरियाली तीज पर निबंध): सनातन धर्म में हरियाली तीज का विशेष (Hariyali Teej Par Nibandh) महत्व है। हरियाली तीज का पर्व हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया (Hariyali Teej Essay) जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत करती है। वहीं अविवाहित महिलाएं मनचाहे वर की प्राप्ति कि लिए आदिदेव महादेव और मां पार्वती की पूजा अर्चना (Hariyali Teej Essay In Hindi) करती हैं।

मान्यता है कि इस व्रत को करने से भोलेनाथ का आशीर्वाद सदैव अपने भक्तों पर बना (Hariyali Teej Par Nibandh) रहता है। इस खास अवसर पर सामाजिक स्थलों पर तरह तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। वहीं कई बार टेस्ट व पेपर में हरियाली तीज पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है। ऐसे में यहां हम आपके लिए हरियाली तीज पर निबंध लेकर आए हैं। इस तरह निबंध लिखकर आप एग्जाम में शत प्रतिशत मार्क्स प्राप्त कर सकते हैं।

Hariyali Teej Essay: कैसे लिखें हरियाली तीज पर निबंधयदि आप चाहते हैं कि आपको निबंध में शत् प्रतिशत मार्क्स मिले तो सबसे पहले इसकी रूपरेखा तैयार कर लें। इसे कम से के 4 से 5 भागों में विभाजित करें। साथ ही निबंध सीमित शब्दों में लिखें। इससे पढ़ने वाले को भी दिलचस्पी बढ़ेगी। तथा इस दिन के महत्व व इतिहास का जिक्र करना ना भूलें।

  1. कब है हरियाली तीज
  2. हरियाली तीज का महत्व
  3. हरियाली तीज का इतिहास
  4. क्यों मनाया जाता है हरियाली तीज
Hariyali Teej Essay In Hindi: हरियाली तीज पर सबसे सरल निबंधभारतवर्ष त्योहारों का देश है। यहां प्रत्येक पर्व बड़े धूमधाम व खुशहाली के साथ मनाया जाता है। तीज का पर्व भी इन्हीं में से एक है। सनातन धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व है। इसे हरियाली तीज व कजली तीज के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार तीज का पर्व सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। रामायण व महाभारत काल में भी इस पर्व का उल्लेख मिलता है। कहा जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव की प्राप्ति के लिए इस व्रत को किया था। जिससे प्रसन्न होकर भगवान भोलेनाथ ने मां पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।

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