Hindi Diwas Poem, Kavita 2024: गूंजी हिंदी विश्व में..हिंदी दिवस पर सबसे छोटी व आसान कविताएं, मिनटो में हो जाएंगी याद
Hindi Diwas Poem, Kavita In Hindi 2024: प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य हिंदी को ना केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान (Hindi Diwas Poem) दिलाना है। ऐसे में यहां हम आपके लिए हिंदी दिवस पर कविता लेकर (Hindi Diwas Par Kavita) आए हैं। यहां देखें हिंदी दिवस पर कविता, हिंदी दिवस पोएम।
Hindi Diwas Poem 2024: यहां देखें हिंदी दिवस पर शानदार कविताएं
Hindi Diwas Poem, Kavita In Hindi 2024: हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। यही वह दिन है जब आज से करीब 71 वर्ष पूर्व 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा देवनागिरी लिपि में लिखी हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया (Hindi Diwas Poem) गया था। यह दिन प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व का दिन है। ऐसे में हिंदी को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के सुझाव पर 1953 से देशभर में हिंदी दिवस मनाया (Hindi Diwas Par Kavita) जाता है। इस दिन का उद्देश्य हिंदी को ना केवल राष्ट्रीय स्तर पर वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान दिलाना है। हिंदी भारत हर के हर जाति समुदाय के लोगों को एकता के सूत्र में (Hindi Diwas Poem For Class 4) पिरोती है। यह महज एक भाषा नहीं बल्कि हम भारतीयों की पहचान है।
हिंदी दिवस के अवसर पर स्कूल कॉलेज व अन्य शैक्षणिक संस्थानों में विशेष तरह के कार्यक्रम आयोजित किए (Hindi Diwas Poem For Class 6) जाते हैं। ऐसे में यहां हम आपके लिए हिंदी दिवस पर कविता लेकर आए हैं। यहां देखें हिंदी दिवस पर छोटी सी कविता।
Hindi Diwas Poem, Kavita In Hindi: हिंदी दिवस पर कविताअभिनंदन अपनी भाषा का
करते हैं तन-मन से वंदन, जन-गण-मन की अभिलाषा का
अभिनंदन अपनी संस्कृति का, आराधन अपनी भाषा का।
यह अपनी शक्ति सर्जना के माथे की है चंदन रोली
माँ के आँचल की छाया में हमने जो सीखी है बोली
यह अपनी बँधी हुई अंजुरी ये अपने गंधित शब्द सुमन
यह पूजन अपनी संस्कृति का यह अर्चन अपनी भाषा का।
अपने रत्नाकर के रहते किसकी धारा के बीच बहें
हम इतने निर्धन नहीं कि वाणी से औरों के ऋणी रहें
इसमें प्रतिबिंबित है अतीत आकार ले रहा वर्तमान
यह दर्शन अपनी संस्कृति का यह दर्पण अपनी भाषा का।
यह ऊँचाई है तुलसी की यह सूर-सिंधु की गहराई
टंकार चंद वरदाई की यह विद्यापति की पुरवाई
जयशंकर की जयकार निराला का यह अपराजेय ओज
यह गर्जन अपनी संस्कृति का यह गुंजन अपनी भाषा का।
- सोम ठाकुर
Hindi Diwas Par Kavita: गूंजी हिन्दी विश्व मेंस्वप्न हुआ साकार
राष्ट्र संघ के मंच से
हिन्दी का जयकार
हिंदी का जयकार
हिन्दी हिन्दी में बोला
देश स्वभाषा प्रेम
विश्व अजरज में डोला
कह कैदी कविराय
मेम की माया टूटी
भारत माता धन्य
स्नेह की सरिता फूटी!
- अटल बिहारी वाजपेयी
Hindi Diwas Par Kavita Shortमेरी भाषा में तोते भी राम-राम जब कहते हैं।
मेरे रोम-रोम से मानो सुधा स्रोत तब बहते हैं।
सब कुछ छूट जाय मैं अपनी भाषा कभी न छोडूँगा।
वह मेरी माता है उससे नाता कैसे तोडूंगा।
कभी अकेला भी हूँगा मैं तो भी सोच न लाऊंगा।
अपनी भाषा में हिन्दी के गीत वहां पर गाऊँगा।
मुझे एक संगिनी वहां पर अनायास मिल जायेगी।
मेरे साथ प्रतिध्वनि देगी, हृदय कमल खिल जायेगी।
-मैथिलीशरण गुप्त
Hindi Diwas Ke Liye Poemएक डोर में सबको जो है बांधती
वह हिंदी है
हर भाषा को जो सगी बहन मानती
वह हिंदी है।
भरी-पूरी हों सभी बोलियां
यही कामना हिंदी है
गहरी हो पहचान आपसी
यही साधना हिंदी है
सौत विदेशी रहे ना रानी
यही भावना हिंदी है
तत्सम, तद्भव, देशी, विदेशी
सब रंगों को अपनाती
जैसे आप बोलना चाहें
वही मधुर, वह मन भाती।
- गिरिराज कुमार माथुर
Hindi Diwas Poem For Class 4, Class 8, Class 10माँ भारती के भाल की शृंगार है हिंदी
हिंदोस्ताँ के बाग़ की बहार है हिंदी
घुट्टी के साथ घोल के माँ ने पिलाई थी
स्वर फूट पड़ रहा, वही मल्हार है हिंदी
तुलसी, कबीर, सूर औ' रसखान के लिए
ब्रह्मा के कमंडल से बही धार है हिंदी
सिद्धांतों की बात से न होयगा भला
अपनाएँगे न रोज़ के व्यवहार में हिंदी
कश्ती फँसेगी जब कभी तूफ़ानी भँवर में
उस दिन करेगी पार, वो पतवार है हिंदी
माना कि रख दिया है संविधान में मगर
पन्नों के बीच आज तार-तार है हिंदी
सुन कर के तेरी आह 'व्योम' थरथरा रहा
वक्त आने पर बन जाएगी तलवार ये हिंदी
- डॉ जगदीश व्योम
यहां आप हिंदी दिवस पर शानदार कविता देख सकते हैं। ध्यान रहे मंच से इन कविताओं को बोलते वक्त आपके चेहरे पर एक अलग जोश व चमक होना चाहिए। यकीन मानिए सभागार में उपस्थित लोग ताली बजाने के लिए मजबूर हो जाएंगे।
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आदित्य सिंह author
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की नगरी अयोध्या का रहने वाला हूं। लिखने-पढ़ने का शौकीन, राजनीति और श...और देखें
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