Independence Day Poem In Hindi: स्वतंत्रता दिवस पर देशभक्ति कविताएं, पढ़ते ही जाग उठेगा देशभक्ति का जज्बा
Independence Day Poem In Hindi (स्वतंत्रता दिवस पर देशभक्ति कविताएं): इस बार भारत देश 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा (Independence Day Poem) रहा है। ऐसे में यहां हम आपके लिए स्वतंत्रता दिवस पर वीररस की देशभक्ति कविताएं लेकर (Independence Day Poem In Hindi) आए हैं। यहां देखें इंडिपेंडेंस डेट पर कविता, पोएम और कोट्स
Independence Day Poem In Hindi: स्वतंत्रता दिवस पर देशभक्ति कविताएं
Independence Day Poem In Hindi (स्वतंत्रता दिवस पर देशभक्ति कविताएं): इस बार देशभर में 78वें स्वतंत्रता दिवस की धूम देखने को मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से 9 से 15 अगस्त के बीच तिरंगा फहराकर हर घर तिरंगा लगाने का आग्रह (Independence Day Poem) किया है। इस दिन देशवासियों में एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। यही वह दिन है जब भारत 200 साल की गुलामी की बेड़ियों से मुक्त हुआ था और आजादी का सूरज उदय (Independence Day Poem In Hindi) हुआ था।
इस खास मौके पर स्कूल कॉलेज व अन्य शैक्षणिक संस्थानों और सामाजिक स्थलों पर तरह तरह के कार्यक्रम आयोजित किए (Independence Day Poem 2024) जाते हैं। ऐसे में यहां हम आपके लिए स्वतंत्रता दिवस पर वीर रस की कविताएं लेकर आए हैं, जिन्हें पढ़कर आपके रोंगटे (Independence Day Kavita) हो जाएंगे। यहां आप इंडिपेंडेंस डे पोएम, कविताएं और कोट्स देख सकते हैं।
Independence Day Poem In Hindi: यहां देखें स्वतंत्रता दिवस पर कविताएं 1. सबने वीरो की गाथा गायी
लाल रक्त से धरा नहाई
लाल रक्त से धरा नहाई,
श्वेत नभ पर लालिमा छायी,
आजादी के नव उद्घोष पे,
सबने वीरो की गाथा गायी,
गाँधी, नेहरु, पटेल, सुभाष की,
ध्वनि चारो और है छायी,
भगत, राजगुरु और सुखदेव की
क़ुरबानी से आँखे भर आई,
ऐ भारत माता तुझसे अनोखी
और अद्भुत माँ न हमने पाय,
हमारे रगों में तेरे क़र्ज़ की,
एक एक बूँद समायी
माथे पर है बांधे कफ़न
और तेरी रक्षा की कसम है खायी,
सरहद पे खड़े रहकर
आजादी की रीत निभाई!
Independence Day Kavita In Hindi2. नन्हे - नन्हे प्यारे - प्यारे
नन्हे - नन्हे प्यारे - प्यारे, गुलशन को महकाने वाले
सितारे जमीन पर लाने वाले, हम बच्चे है हिंदुस्तान के।
नए जमाने के दिलवाले, तूफ़ानो से ना डरने वाली
कहलाते हैं हिम्मत वाले, हम बच्चे है हिंदुस्तान के।
चलते है हम शान से, बचाते हैं हम द्वेष से
आन पे हो जाएँ कुर्बान, हम बच्चे है हिंदुस्तान के।
अज्ञात
आजादी और स्वाधीनताआजादी तो मिल गई, मगर, यह गौरव कहाँ जुगाएगा
मरभुखे! इसे घबराहट में तू बेच न तो खा जाएगा
आजादी रोटी नहीं, मगर, दोनों में कोई वैर नहीं
पर कहीं भूख बेताब हुई तो आजादी की खैर नहीं।
हो रहे खड़े आजादी को हर ओर दगा देनेवाले
पशुओं को रोटी दिखा उन्हें फिर साथ लगा लेनेवाले
इनके जादू का जोर भला कब तक बुभुक्षु सह सकता है
है कौन, पेट की ज्वाला में पड़कर मनुष्य रह सकता है।
झेलेगा यह बलिदान? भूख की घनी चोट सह पाएगा
आ पड़ी विपद तो क्या प्रताप-सा घास चबा रह पाएगा
है बड़ी बात आजादी का पाना ही नहीं, जुगाना भी
बलि एक बार ही नहीं, उसे पड़ता फिर-फिर दुहराना भी
- रामधारी सिंह दिनकर
यहां आप स्वतंत्रता दिवस पर शानदार व देशभक्ति वीर रस की कविताएं देख सकते हैं।
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आदित्य सिंह author
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की नगरी अयोध्या का रहने वाला हूं। लिखने-पढ़ने का शौकीन, राजनीति और श...और देखें
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