Indian Army Religious Teacher: सेना में पंडित, मौलाना की भी होती है भर्तियां, जानें क्या करना होता है काम

Indian Army Religious Teacher Recruitment: भारतीय सेना में जूनियर कमीशन ऑफिसर के तौर पर धार्मिक शिक्षकों की भर्तियां की जाती हैं। सेना में पंडित, ग्रंथी, मौलवी या मौलाना (शिया और सुन्नी के लिए अलग-अलग), पादरी और बौद्ध धर्मगुरु के पदों पर भर्तियां होती हैं। इन पदों पर भर्तियां क्यों होती है इसकी डिटेल्स यहां देख सकते हैं।

Indian Army Religious Teacher.

सेना में पंडित, मौलाना की भी होती है भर्तियां

Indian Army Pandit Maulana Recruitment 2024: भारतीय सेना में हर साल कई अलग-अलग पदों पर भर्तियां होती है। इसके लिए UPSC NDA, CDS, टेरिटोरियल आर्मी और अब अग्निवीर भर्ती जैसी परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं। इसके अलावा भारतीय सेना में धार्मिक शिक्षकों की भी भर्तियां की जाती हैं। हर साल Indian Army JCO Exam के माध्यम से धार्मिक शिक्षकों की भर्तियां होती हैं।

भारतीय सेना में सभी धर्मों के शिक्षकों की भर्तियां होती हैं। इसमें पंडित, ग्रंथी, मौलवी या मौलाना (शिया और सुन्नी के लिए अलग-अलग), पादरी और बौद्ध मॉन्क जैसे पदों पर भर्तियां होती हैं। ऐसे में सवाल सामने आता है कि सेना जहां किसी धर्म विशेष नहीं बल्कि राष्ट्र की रक्षा सर्वोपरी है, वहां धार्मिक शिक्षकों की भर्तियां क्यों होती है? भारतीय सेना में धार्मिक शिक्षकों का क्या काम है? आइए ऐसे सवालों का जवाब जानते हैं।

Indian Army में धार्मिक शिक्षकों की भर्तियां क्यों?

भारतीय सेना में धार्मिक शिक्षकों की भर्तियां सैकड़ों पदों पर होती है। इसमें सबसे ज्यादा पंडित के पदों पर भर्तियां की जाती हैं। धार्मिक शिक्षकों की भर्तियां सभी धर्मों को बराबर महत्व देने के लिए की जाती है। इन धार्मिक गुरुओं का मुख्य काम नीचे दिए प्वॉइंट्स से समझ सकते हैं-

  • धार्मिक कार्यों के लिए: भारतीय सेना के द्वारा स्थापित अलग-अलग रेजिमेंटों में धार्मिक कार्यों को कराने के लिए धार्मिक शिक्षकों की जरूरत पड़ती है। जैसे गोरखा रेजिमेंट में किसी धार्मिक कार्यक्रम में गोरखा पंडितों की जरूरत होती है।
  • एकता को बढ़वा देने के लिए: सेना में सैनिकों के मनोबल को ऊंचा रखने के लिए धार्मिक शिक्षक उन्हें अच्छी शिक्षा देते हैं। इस दौरान उन्हें सभी धर्मों के ग्रंथ में दी गई साहस और इमानदारी बारे में भी पढ़ाया जाता है। धार्मिक गुरुओं का काम सेना के जवानों में एकता को बढ़ावा देना होता है।
  • मानसीक शांति के लिए: सेना में धार्मिक शिक्षक जवानों को मनौवैज्ञानिक तौर पर मजबूत बनाने का काम करते हैं। मानसिक शांति के लिए अध्यात्म से जुड़ी बातें भी सिखाते हैं। साथ ही मेंटल हेल्‍थ के मेंटर के तौर पर ड्यूटी निभाते हैं।
  • प्रार्थना करने के लिए: धार्मिक शिक्षकों का काम सेना के जवानों के लिए प्रार्थना करने का भी होता है। धार्मिक शिक्षक सेना में भर्ती होने वाले जवानों को उनके धर्म के आधार पर शपथ दिलाते हैं।
धार्मिक शिक्षक के लिए क्या चाहिए योग्यता?

पंडित : सेना में पंडित के पद पर नौकरी पाने के लिए कैंडिडेट्स के पास किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से संस्कृत में शास्त्री या आचार्य की डिग्री होनी चाहिए। उन्हें कर्म कांड और शास्त्र की जानकारी होनी चाहिए।

मौलवी या मौलाना: सेना में मौलवी बनने के लिए अदीब-ए-माहिर या उर्दू माहिर की योग्यता होनी चाहिए। इसके अलावा अरबी और उर्दू की जानकारी जरूरी है।

पादरी: भारतीय सेना में पादरी के पद पर भी भर्तियां होती हैं। इस पद पर ईसाई धर्म के कैंडिडेट्स ही आवेदन कर सकते हैं। उनके पास चर्च में काम करने का अनुभव होना चाहिए। साथ ही किसी लोकर बिशप द्वारा मान्यता प्राप्त होना जरूरी है।

ग्रंथी: सिख उम्मीदवार जिनके पास किसी यूनिवर्सिटी से "ज्ञानी" की डिग्री हो वही ग्रंथी के पद पर आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए पंजाबी भाषा की जानकारी होनी चाहिए।

बौद्ध मॉन्क: लद्दाख रेजिमेंट के जवानों को धार्मिक ज्ञान के लिए बौद्ध मॉन्क की भर्तियां होती हैं। इसके लिए Geshe जो कि एक शैक्षणिक संस्थान है वहां से पीएचडी करने वाले आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा खानपा, लोपन या राजबम सर्टिफिकेट होना जरूरी है।

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    TNN एजुकेशन डेस्क author

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