Success Story: साइंस स्टूडेंट स्वाति घोष ने चुनी कला की राह, मेहनत और जुनून से पेरिस में पाया अंतर्राष्ट्रीय सम्मान

Success Story of Indian Artist Swati Ghosh: कानपुर की स्वाति घोष ने कला के बल पर ना केवल भारतभर में बल्कि दुनिया में नाम कमाया है। साइंस वर्ग की छात्रा होने के बावजूद स्वाति ने कला के क्षेत्र में करियर की राह चुनी। उन्होंने सिंगापुर और लंदन से आर्ट में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स किया है।

Swati Ghosh

Success Story of Indian Artist Swati Ghosh: कहते हैं सपने उन्हीं के सच होते हैं, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। ये पंक्तियों उत्तर प्रदेश के कानपुर में पली-बढ़ी स्वाति घोष पर बिलकुल सटीक बैठती हैं। 28 जुलाई 1983 को पैदा हुईं स्वाति ने कला के बल पर ना केवल भारतभर में बल्कि दुनिया में नाम कमाया है। इनके पिता पार्थ सारथी रॉय चौधरी कालपी रोड स्थित स्माल आर्म्स फैक्ट्री से सेवानिवृत्त हैं और मां पर्णा राय चौधरी गृहणी हैं। स्वाति ने कानपुर से ही स्नातक तक की शिक्षा ली है। साइंस वर्ग की छात्रा होने के बावजूद स्वाति ने कला के क्षेत्र में करियर की राह चुनी। उन्होंने सिंगापुर और लंदन से आर्ट में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स किया है। आज उनकी पेंटिंग्स, स्केज मशहूर आर्ट गैलरीज में प्रदर्शित हैं।
हाल ही में स्वाति घोष को पेरिस, फ्रांस में आयोजित एक भव्य समारोह में आर्ट्स-साइंसेस-लेट्रेस सोसाइटी द्वारा प्रतिष्ठित डिप्लोमे दे मेडल दे एतान से सम्मानित किया गया। यह सम्मान 1915 में रेन फ्लेमेंट द्वारा स्थापित इस प्रतिष्ठित शैक्षणिक सोसाइटी द्वारा दिया जाता है। यह पुरस्कार कला, साहित्य और विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले व्यक्तियों को प्रदान किया जाता है।

सम्मान पाने वाली इकलौती भारतीय

आर्टिस्ट स्वाति घोष समारोह में इस प्रतिष्ठित सम्मान को प्राप्त करने वाली एकमात्र भारतीय हैं। वह आधुनिक चित्रकला की सीमाओं को पार करते हुए भारतीय कलात्मक धरोहर को वैश्विक मंच पर लाने के लिए जानी जाती हैं। सम्मान प्राप्त करने के बाद स्वाति घोष ने कहा, “इस पुरस्कार को प्राप्त करना मेरे लिए बड़े गर्व की बात है। यह सम्मान न केवल मेरी व्यक्तिगत यात्रा का मील का पत्थर है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारतीय कला की समृद्धि को भी उजागर करता है।”
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