Kargil Vijay Diwas 2024 Date, History: कब और क्यों मनाया जाता है कारगिल विजय दिवस, जानें क्या है इस दिन का इतिहास

Kargil Vijay Diwas 2024 Date, History in Hindi: कारगिल के युद्ध में करीब दो महीने तक पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सैनिकों ने जंग लड़ी। इस युद्ध में 2 लाख भारतीय सैनिकों ने हिस्सा लिया था और 527 जवान शहीद हुए थे। शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है।

Kargil Vijay Diwas 2024 Date, History

Kargil Vijay Diwas 2024 Date, History in Hindi Kargil Vijay diwas kab manaya jata hai: कारगिल विजय की रजत जयंती पर 26 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्रास में कारगिल वार मेमोरियल पर सेना के बलिदानियों को श्रद्धांजलि देंगे। वह द्रास में वाल ऑफ फेम व कारगिल वार म्यूजियम भी जाएंगे। कारगिल युद्ध, जिसे ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है, भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच कश्मीर के करगिल जिले में भयंकर युद्ध हुआ था। कारगिल के युद्ध में करीब दो महीने तक पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सैनिकों ने जंग लड़ी। पाकिस्तान की सेना और कश्मीरी उग्रवादियों ने भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा पार करके भारत की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की। पाकिस्तान ने दावा किया कि लड़ने वाले सभी कश्मीरी उग्रवादी हैं, लेकिन युद्ध में बरामद हुए दस्तावेजों और पाकिस्तानी नेताओं के बयानों से साबित हुआ कि पाकिस्तान की सेना प्रत्यक्ष रूप में इस युद्ध में शामिल थी।

लगभग 30,000 भारतीय सैनिक और करीब 5000 घुसपैठिए इस युद्ध में शामिल थे। भारतीय सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान के कब्ज़े वाली जगहों पर हमला किया और पाकिस्तान को सीमा पार वापिस जाने को मजबूर किया। भारत ने कारगिल का ये युद्ध जीता। इस युद्ध में 2 लाख भारतीय सैनिकों ने हिस्सा लिया था और 527 जवान शहीद हुए थे। शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है।

Kargil Vijay Diwas Date: कारगिल विजय दिवस कब मनाया जाता है

26 जुलाई 1999 को भारत ने कारगिल युद्ध में विजय हासिल की थी। इस दिन को हर वर्ष विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। करीब दो महीने तक चला कारगिल युद्ध भारतीय सेना के साहस और जांबाजी का ऐसा उदाहरण है जिस पर हर भारतीय देशवासी को गर्व होना चाहिए। भारतीय सेना के जांबाजों ने अपने साहस का परिचय देते हुए पाकिस्तानी सेना के मंसूबे को नाकाम कर दिया। थल सेना और वायुसेना ने अपनी दुश्मनों से मुकाबला करते हुए इस जंग में जीत हासिल की और एक और शौर्यगाथा लिखी गई।

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