Mahatma Buddha Essay 2024: राजकुमार सिद्धार्थ कैसे बनें गौतम बुद्ध? बुद्ध पूर्णिमा पर तैयार करें सबसे सरल और दमदार हिन्दी निबंध

Mahatma Buddha Essay 2024 in Hindi, Gautam Buddha Par Hindi Nibandh: गौतम बुद्ध का जन्म वैशाख मास की पूर्णिमा को हुआ था, जिसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है। इन दिन न केवल उनका जन्म हुआ था बल्कि ज्ञान की प्राप्ति और महानिर्वाण भी हुआ था। यह खास दिन भारत सहित दक्षिण पूर्व एशिया के कई देशों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।

Mahatma Buddha Essay

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Mahatma Buddha Essay 2024 in Hindi, Gautam Buddha Par Hindi Nibandh: महात्मा बुद्ध एक महान दार्शनिक, समाज सुधारक और बौद्ध धर्म के संस्थापक थे। पूरी दुनिया को शांति, प्रेम, त्याग और सद्भावना का पाठ पढ़ाने वाले महात्मा गौतम बुद्ध का जन्म वैशाख मास की पूर्णिमा को हुआ था, जिसे बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima 2024) भी कहा जाता है। इन दिन न केवल उनका जन्म हुआ था बल्कि ज्ञान की प्राप्ति और महानिर्वाण भी हुआ था। इस साल बुद्ध पूर्णिमा 23 मई (Buddha Purnima 2024 Date and Time) को मनाया जाएगा। यह खास दिन भारत के साथ ही थाईलैंड, चीन, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तिब्बत सहित दक्षिण पूर्व एशिया के कई देशों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर स्कूलो में निबंध, भाषण व कविता जैसे तरह तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। अगर आप भी किसी निबंध प्रतियोगिता में भाग लेने जा रहे हैं तो यहां दी गई बातों का जरूर नोट कर लें।

Buddha Purnina Essay 2024: लुंबिनी में हुआ जन्म

महात्मा बुद्ध का जन्म कपिलवस्तु के राजा शुद्धोदन और महामाया के घर 563 ई में नेपाल के लुंबिनी में हुआ था। बचपन (Gautam Buddha Early Life) में उनका नाम राजकुमार सिद्धार्थ था। सिद्धार्थ गौतम की शुरुआती पढ़ाई राजमहल में ही हुई। फिर बाद में उन्हे शिक्षा ग्रहण करने के लिए गुरु विश्वामित्र के पास भेज दिया गया था। यहां उन्होंने वेद और उपनिषद् के साथ ही राजकाज और युद्ध विद्या की भी शिक्षा (Gautam Buddha Education) ली। कुछ समय बाद उनका विवाह राजकुमारी यशोधरा के साथ हुआ। यशोधरा और सिद्धार्थ का एक पुत्र भी हुआ, जिसका नाम राहुल था।

Gautam Buddha Essay 2024: ऋषि की भविष्यवाणी

राजकुमार सिद्धार्थ के जन्म पर एक ऋषि ने भविष्यवाणी की थी कि यह बच्चा या तो एक सम्राट या फिर महान ऋषि बनेगा। इस भविष्यवाणी से परेशान होकर उनके पिता ने उन्हें तपस्वी बनने से रोकने के लिए राजमहल की परिधि में रखा। राजा शुद्धोदन ने अपने बेटे सिद्धार्थ के लिए भोग विलास का पूरा प्रबंध कर दिया था, जिससे उन्हें कभी भी दुख न देखना पड़े। हालांकि, ये सारी चीजें सिद्धार्थ को संसार में बांध कर नहीं रख सकीं।

Mahatma Buddha Essay 2024: शांत और गंभीर स्वभाव

राजकुमार सिद्धार्थ हमेशा से ही बेहद शांत और गंभीर स्वभाव के थे। राजकुमार होने के बावजूद भी उन्हें सांसारिक सुखों में कोई दिलचस्पी नहीं थी। वह ज्यादातर समय एकांत बैठकर चिंतन किया करते थे। राजकुमारी यशोधरा से शादी और पुत्र प्राप्ति के बाद भी उनका वैराग्य बढ़ता ही जा रहा था। उन्हें घर, परिवार, संपत्ति या किसी अन्य वस्तु से कोई जुड़ाव नहीं था।

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Gautam Buddha Par Nibandh 2024: त्याग दिया घर

एक दिन राजकुमार सिद्धार्थ बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था के नगर भ्रमण के लिए निकल पड़े। इस दौरान उन्होंने एक वृद्ध विकलांग व्यक्ति, एक रोगी, एक पार्थिव शरीर, और एक साधु को देखा। इन चार दृश्यों से व्यथित होकर उन्होंने अपने धनवान जीवन और सभी संबंधों को त्याग दिया और दिव्य ज्ञान की खोज में निकल पड़े। लगभग 6 साल की कठिन तपस्या के बाद उन्हें बोधी वृक्ष के नीचे परम ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ से महात्मा बुद्ध हो गए।

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अंकिता पाण्डेय author

मैं अंकिता पान्डे Timesnowhindi.com जुड़ी हूं । मैं उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर प्रतापगढ़ में पली बढ़ी हूं। शुरुआती पढ़ाई लिखाई भी वहीं रहकर हुई। ज...और देखें

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