Jyotiba Phule Jayanti 2023: महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती आज, जरूर शेयर करें उनके ये प्रेरणादायी विचार

Jyotiba Phule Jayanti 2023: महात्मा ज्योतिराव फुले ने महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए शिक्षा की दिशा में काम किया। वह सिर्फ एक कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि एक लोकप्रिय भारतीय विचारक, लेखक और सुधारक थे।

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Jyotiba Phule Jayanti 2023: महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती आज। (Photo- Times Now Marathi

Jyotiba Phule Jayanti 2023: हर साल 11 अप्रैल यानी आज ही के दिन भारत के अग्रणी समाज सुधारकों, शिक्षकों और विचारकों में से एक महात्मा ज्योतिबा फुले (Mahatma Jyotirao Phule) की जयंती के रूप में मनाया जाता है। ज्योतिबा फुले (Jyotirao Phule) का जन्म 11 अप्रैल, 1827 को हुआ था। महात्मा ज्योतिराव फुले ने महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए शिक्षा की दिशा में काम किया। वह सिर्फ एक कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि एक लोकप्रिय भारतीय विचारक, लेखक और सुधारक थे।

उन्होंने समाज के निचले तबके की लड़कियों के लिए पहला स्कूल खोला और जाति व्यवस्था के खिलाफ थे। उनका योगदान मुख्य रूप से समाज में महिलाओं के उत्थान के लिए था। 1880 के दशक में उन्होंने अछूतों और समाज द्वारा उत्पीड़ित बहिष्कृतों के लिए मराठी शब्द 'दलित' का इस्तेमाल किया। उन्होंने उस समय के जल संकट को दूर करने के लिए एक बड़ा अभियान भी चलाया। उनकी एक प्रसिद्ध पुस्तक में 'गुलामगिरी' भी शामिल है। ऐसे में आज हम उनके कुछ प्रेरक कोट्स (Mahatma Jyotirao Phule Inspirational Quotes)आपसे शेयर करने जा रहे हैं।

ज्योतिबा फुले की जयंती पर आइए नजर डालते हैं उनके कुछ कुछ सबसे प्रेरक कोट्स:-

  • यदि आप एक आदमी को शिक्षित करते हैं, तो आप एक व्यक्ति को शिक्षित करते हैं। लेकिन अगर आप एक महिला को शिक्षित करते हैं तो आप एक पूरे परिवार को शिक्षित करते हैं।
  • आइए हम दमनकारी जाति व्यवस्था का विरोध करने के लिए एकजुट हों और एक न्यायपूर्ण और समतामूलक समाज बनाने की दिशा में काम करें।
  • शुभ कार्य करने के लिए गलत साधनों का प्रयोग न करें।
  • शिक्षा स्त्री और पुरुष की प्राथमिक आवश्यकता है।
  • स्वार्थ अलग-अलग रूप लेता है। कभी जाति का, कभी धर्म का।
  • सच्ची शिक्षा दूसरों को सशक्त बनाने और हमें मिली दुनिया से थोड़ा बेहतर छोड़ने का प्रतीक है।
  • आर्थिक असमानता के कारण किसानों का जीवन स्तर बिगड़ जाता है।
  • शिक्षा के बिना बुद्धि खो जाती है, बिना समझे नैतिकता खो जाती है, नैतिकता के बिना विकास खो जाता है और धन के बिना शूद्र बर्बाद हो जाता है। शिक्षा महत्वपूर्ण है।
  • संसार का रचयिता किसी विशेष पत्थर या स्थान विशेष तक सीमित कैसे हो सकता है?

ज्योतिबा फुले एक राष्ट्रीय प्रतीक हैं, जिन्होंने अपना जीवन शोषितों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया था।

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दीपक पोखरिया author

पहाड़ से हूं, इसलिए घूमने फिरने का शौक है। दिल्ली-नोएडा से ज्यादा उत्तराखंड में ही मन लगता है। कई मीडिया संस्थानों से मेरी करियर यात्रा गुजरी है और मई...और देखें

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