Maithili Sharan Gupt Poems: नर हो, न निराश करो मन को..., छात्रों को सफलता की राह दिखाती हैं मैथिलीशरण गुप्त की ये कविताएं
Maithili Sharan Gupt Poems nar ho na nirash karo man ko lyrics: हिंदी साहित्य में खड़ी बोली की शुरुआत करने वाले कवि मैथिलीशरण गुप्त को महात्मा गांधी ने 'राष्ट्रकवि' की उपमा दी थी। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी की आज 12 दिसंबर को पुण्यतिथि है। इस अवसर पर पढ़ें उनकी वो कविताएं जो छात्रों को सफलता की राह दिखाती हैं ।
Maithili Sharan Gupt Poems
Maithili Sharan Gupt Poems nar ho na nirash karo man ko lyrics: हिंदी साहित्य में खड़ी बोली की शुरुआत करने वाले कवि मैथिलीशरण गुप्त को महात्मा गांधी ने 'राष्ट्रकवि' की उपमा दी थी। उनकी जयन्ती 03 अगस्त को हर वर्ष 'कवि दिवस' के रूप में मनाया जाता है। भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया। मैथिलीशरण गुप्त का जन्म पिता सेठ रामचरण कनकने और माता काशी बाई की तीसरी संतान के रूप में उत्तर प्रदेश में झांसी के पास चिरगांव में हुआ। उन्होंने भारत भारती, पंचवटी, जयद्रथ वध, यशोधरा, साकेत, द्वापर, सिद्धराज, नहुष और विष्णुप्रिया सहित दो महाकाव्यों और 19 खंडकाव्यों की रचना की। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी की आज 12 दिसंबर को पुण्यतिथि है। इस अवसर पर पढ़ें उनकी वो कविताएं जो छात्रों को सफलता की राह दिखाती हैं ।
जीवन की ही जय हो...
मृषा मृत्यु का भय है
जीवन की ही जय है।
जीव की जड़ जमा रहा है
नित नव वैभव कमा रहा है
यह आत्मा अक्षय है
जीवन की ही जय है।
नया जन्म ही जग पाता है
मरण मूढ़-सा रह जाता है
एक बीज सौ उपजाता है
सृष्टा बड़ा सदय है
जीवन की ही जय है।
जीवन पर सौ बार मरूँ मैं
क्या इस धन को गाड़ धरूँ मैं
यदि न उचित उपयोग करूँ मैं
तो फिर महाप्रलय है
जीवन की ही जय है।
नर हो, न निराश करो मन को...
नर हो, न निराश करो मन को
कुछ काम करो, कुछ काम करो
जग में रह कर कुछ नाम करो
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो
समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो
कुछ तो उपयुक्त करो तन को
नर हो, न निराश करो मन को।
जिसको न निज गौरव तथा निज देश पर अभिमान है
जिसको न निज गौरव तथा
निज देश पर अभिमान है
वो नर नहीं, नर पशु निरा
और मृतक समान है।
जो भरा नहीं है भावों से
बहती जिसमें रसधार नहीं,
वह हृदय नहीं है पत्थर है,
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।
बता दें कि मैथिलीशरण गुप्त जितने बड़े कवि थे, उतने ही बड़े स्वतंत्रता सेनानी भी रहे। अप्रैल, 1941 में जब गांधी जी ने अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध व्यक्तिगत सत्याग्रह किया तो मैथिलीशरण गुप्त को बंदी बनाकर जेल में बंद कर दिया। आगरा और झांसी जेल में वह सात महीने तक रहे।
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कुलदीप सिंह राघव 2017 से Timesnowhindi.com ऑनलाइन से जुड़े हैं।पॉटरी नगरी के नाम से मशहूर यूपी के बु...और देखें
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