16 साल से कम उम्र के बच्चों की कोचिंग बंद, आदेश नहीं मानने पर 1 लाख का जुर्माना, जानें क्यों आया यह फैसला
अगर किसी लड़की की उम्र 16 साल या इससे कम है, तो उसके लिए कोचिंग नहीं लगवाना होगा, यदि ऐसा किसी कोचिंग सेंटर ने किया तो उसका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा, इसके अलावा एक लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
कोचिंग सेंटर के लिए जारी हुई गाइडलाइंस (image - unsplash.com)
एजुकेशन जगत में बड़ी खबर आई है, जिसके बाद 16 साल से कम उम्र के हर बच्चों व अभिवाहकों को चौकन्ना रहने की जरूरत है। अगर किसी लड़की की उम्र 16 साल या इससे कम है, तो उसके लिए कोचिंग नहीं लगवाना होगा, यदि ऐसा किसी कोचिंग सेंटर ने किया तो उसका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा, इसके अलावा एक लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
नामांकन की इजाजत नहीं
शिक्षा मंत्रालय द्वारा घोषित नए दिशानिर्देशों के अनुसार, कोचिंग सेंटर 16 वर्ष से कम उम्र के छात्रों का नामांकन नहीं कर सकते हैं। ना ही तो कोचिंग सेंटर भ्रामक वादे कर सकते हैं और न अच्छी रैंक या अच्छे अंक की गारंटी दे सकते हैं।
कोचिंग संस्थानों को विनियमित करने के लिए और निजी कोचिंग केंद्रों के अनियमित विकास को प्रबंधित करने के लिए यह कदम लिया गया है।
क्यों आया यह फैसला
यह छात्रों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों, आग की घटनाओं, कोचिंग में सुविधाओं की कमी के बारे में सरकार को मिली शिकायतों के बाद आया है। घटनाओं के साथ-साथ उनके द्वारा अपनाई गई शिक्षण की पद्धतियां भी एक कारण है।
दिशानिर्देशों में कहा गया है कि कोई भी कोचिंग सेंटर स्नातक से कम योग्यता वाले ट्यूटर्स को नियुक्त नहीं करेगा।
कोचिंग सेंटर्स अब छात्रों को नामांकित करने के लिए माता-पिता को भ्रामक वादे या रैंक या अच्छे अंक की गारंटी नहीं दे सकते हैं। छात्रों का नामांकन माध्यमिक विद्यालय परीक्षा के बाद ही होना चाहिए।
दिशानिर्देशों में अगे कहा गया है। डायरेक्ट या इन्डायरेक्ट रूप से कोचिंग संस्थान किसी भी दावे से संबंधित भ्रामक विज्ञापन को प्रकाशित नहीं कर सकता है, न किसी ने करवा सकता है या इससे संबंधित कार्यों में भाग नहीं ले सकता है।
कोचिंग सेंटर किसी भी ट्यूटर या ऐसे व्यक्ति की सेवाएं नहीं ले सकते, जो नैतिक अधमता (moral turpitude) से जुड़े किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया हो।
किसी संस्थान को तब तक पंजीकृत नहीं किया जाएगा जब तक कि उसके पास इन दिशानिर्देशों की आवश्यकता के अनुसार परामर्श प्रणाली (counselling system) न हो।
दिशानिर्देशों में कहा गया है कि कोचिंग सेंटर्स के पास ट्यूटर्स की योग्यता, कोर्सेज/पाठ्यचर्या यानी करिकुलम पूरा कराने की अवधि, छात्रावास सुविधाओं और फीस डीटेल जैसी जानकारी वाली एक वेबसाइट होनी चाहिए।
नए दिशानिर्देशों के अनुसार, छात्रों पर कड़ी प्रतिस्पर्धा और शैक्षणिक दबाव रहता है ऐसे में कोचिंग सेंटरों को छात्रों के मानसिक कल्याण के लिए कदम उठाना चाहिए।
छात्रों को संकट और तनावपूर्ण स्थितियों में लक्षित और निरंतर सहायता प्रदान करने के लिए तत्काल हस्तक्षेप के लिए एक तंत्र स्थापित करना चाहिए। सक्षम प्राधिकारी यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा सकते हैं कि कोचिंग सेंटर द्वारा एक परामर्श प्रणाली विकसित की जाए और छात्रों और अभिभावकों के लिए आसानी से उपलब्ध हो।
दिशा-निर्देशों में कहा गया है, ''छात्रों और अभिभावकों के लिए प्रभावी मार्गदर्शन और परामर्श की सुविधा के लिए कोचिंग सेंटर में प्रशिक्षित परामर्शदाताओं को नियुक्त किया जा सकता है।'' इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि ट्यूटर ''छात्रों को उनके बारे में प्रभावी ढंग से और संवेदनशीलता से जानकारी देने के लिए मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों में प्रशिक्षण ले सकते हैं।''
यदि छात्र ने पाठ्यक्रम के लिए पूरा भुगतान कर दिया है और निर्धारित अवधि के बीच में पाठ्यक्रम छोड़ रहा है , छात्र को शेष अवधि के लिए पहले जमा की गई फीस में से आनुपातिक आधार पर 10 दिनों के भीतर वापस कर दिया जाएगा। यदि छात्र कोचिंग सेंटर के छात्रावास में रह रहा था तो छात्रावास शुल्क और मेस शुल्क आदि भी वापस कर दिया जाएगा।
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TNN एजुकेशन डेस्क author
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