Narayana Murthy Success Story: 120 घंटे की भूख ने बदल डाली नारायण मूर्ति की जिंदगी, इस घटना ने दी Infosys शुरू करने की प्रेरणा

Narayana Murthy Success Story: नागवारा रामाराव नारायण मूर्ति (NR Narayan Murthy) आज यानी 20 अगस्त को अपना 78वां जन्मदिन मना रहे हैं। इस अवसर पर आज हम आपको उनके जीवन से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा बताने जा रहे हैं।

Narayana Murthy Success Story

Narayana Murthy Success Story

Narayana Murthy Success Story in Hindi: इंफोसिस (Infosys) वर्तमान में देश की दिग्गज आईटी कंपनियों में से एक है। साल 1981 में नागवारा रामाराव नारायण मूर्ति (NR Narayana Murthy) और उनके साथी इंजीनियरों ने इंफोसिस कंपनी की स्थापना की थी। आज यानी 20 अगस्त को नारायण मूर्ति अपना 78वां जन्मदिन (Narayana Murthy Birthday) मना रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन उनके जीवन में एक समय ऐसा भी था, जब उन्होंने लगातार 120 घंटे तक भूख का अनुभव किया था। इस घटना के बाद ही उन्हें इंफोसिस का आईडिया भी आया।

120 घंटे भूखे रहने का किस्सा

नारायण मूर्ति ने इसी साल संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन द्वारा न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में 120 घंटे भूखे रहने वाला किस्सा सुनाया था। इस कार्यक्रम का थीम खाद्य सुरक्षा में उपलब्धियां: सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में भारत के कदम था। लेकिन आखिर हुआ क्या था, आइए आपको बताते हैं। बताते हैं कैसे उनकी भूख ने इंफोसिस के लिए उनकी भूख को बढ़ा दिया।

यूरोप घूमने का किया फैसला

आईटी दिग्गज ने अपनी कहानी एक ट्रैवलर पत्रिका को बताई। उन्होंने बताया कि कैसे विदेश में नौकरी करते हुए उन्होंने यूरोप घूमने का फैसला किया। उन्होंने अपने वेतन से लगभग 5,000 अमेरिकी डॉलर बचाए थे, जिनमें से 450 अमेरिकी डॉलर अपने पास रखे और बाकी दान कर दिए। खैर 450 डॉलर में से कुछ बचाए तो कुछ से जरूरी सामान खरीदा और निकल पड़े लिफ्ट ले सैर सपाटा करने।

कई दिनों तक कमरे में रहे बंद

यूरोप के कई शहर घूमते हुए मूर्ति निश पहुंचे जो अब सर्बिया में है। वहां खाने के लिए रेस्तरां गए तो खाना नहीं मिला। वह शनिवार की रात थी। अगले दिन संडे था। मूर्ति बताते हैं कि फिर वह सोफिया एक्सप्रेस में सवार हुए। उनकी सीट के ठीक सामने युवा जोड़ा बैठा था। युवा मूर्ति को अंग्रेजी, फ्रेंच और रूसी भाषा अच्छे से बोलनी आती थी सो लड़की से बात करने लगे। अगले ही पल देखा कि लड़का कुछ पुलिस वालों के पास पहुंचा कुछ बातचीत करने लगा। अगले ही पल मैंने खुद को धक्का खाते, ट्रेन से धकेल के ले जाते पाया। कुछ ही देर में 8 बाई 8 के कमरे में खुद को बंद पाया। सुबह से शाम हो गई। खाने को कुछ नहीं मिला। मुझे लगा अब मैं नहीं जीऊंगा, मुझे गुरुवार को बाहर निकाला गया।

इस घटना ने दिया इंफोसिस का आइडिया

मूर्ति के मुताबिक तब मुझे ईस्ट और वेस्ट यूरोप के बीच का अंतर समझ में आया। वेस्ट में तरक्की थी, खुले विचार थे। जबकि ईस्ट में वामपंथ का दबदबा था। मैं पूरे 120 घंटे भूखा रहा। उस भूख ने मुझे कन्फ्यूज लेफ्टिस्ट से धुर कैप्टलिस्ट बना दिया। मेरी सोच बदल गई। मुझे पूंजीवाद की अहमियत समझ आई। मैने समझा कि देश के लिए पूंजीवादी जरूरी है। ऐसे व्यवसायी जरूरी हैं जो जॉब्स का सृजन करें और यह देश की तरक्की के लिए आवश्यक है। मूर्ति ने अंत में कहा कि शायद इसी घटना ने मुझे इंफोसिस का आईडिया भी दिया।
(इनपुट - IANS)
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अंकिता पाण्डेय author

मैं अंकिता पान्डे Timesnowhindi.com जुड़ी हूं । मैं उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर प्रतापगढ़ में पली बढ़ी हूं। शुरुआती पढ़ाई लिखाई भी वहीं रहकर हुई। ज...और देखें

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