Pariksha Pe Charcha 2024: बच्चा का रिपोर्ट कार्ड नहीं है अभिभावकों का विजिटिंग कार्ड: PM नरेंद्र मोदी

Pariksha Pe Charcha 2024: दसवीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं से पूर्व छात्रों के मानसिक तनाव को कम करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार 29 जनवरी 2024 को अभिभावकों को सलाह दी कि वे अपने बच्चे के रिपोर्ट कार्ड को अपना विजिटिंग कार्ड न मानें।

Pariksha Pe Charcha 2024

परीक्षा पे चर्चा 2024

तस्वीर साभार : भाषा

Pariksha Pe Charcha 2024: दसवीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं से पूर्व छात्रों के मानसिक तनाव को कम करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार 29 जनवरी 2024 को अभिभावकों को सलाह दी कि वे अपने बच्चे के रिपोर्ट कार्ड को अपना विजिटिंग कार्ड न मानें। साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि छात्रों को खुद से प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए, दूसरों से नहीं।

प्रतिस्पर्धा और चुनौतियां को बनाएं प्रेरणा

राष्ट्रीय राजधानी स्थित प्रगति मैदान के नवनिर्मित भारत मंडपम के टाउन हॉल में प्रधानमंत्री ने ‘परीक्षा पे चर्चा’ के सातवें संस्‍करण में कहा कि प्रतिस्पर्धा और चुनौतियां जीवन में प्रेरणा का काम करती हैं लेकिन प्रतिस्पर्धा स्वस्थ होनी चाहिए। उन्होंने अभिभावकों एवं शिक्षकों को सुझाव देते हुए कहा, ‘‘आपको एक बच्चे की तुलना दूसरे से नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह उनके भविष्य के लिए हानिकारक हो सकता है। कुछ माता-पिता अपने बच्चों के रिपोर्ट कार्ड को अपना विजिटिंग कार्ड समझते हैं, यह अच्छा नहीं है।’’

तीन तरह के तनाव का किया जिक्र

प्रधानमंत्री ने बताया कि छात्रों पर तनाव तीन प्रकार का होता है। उन्होंने कहा कि यह कभी साथियों के दबाव से प्रेरित होता है तो कभी माता-पिता द्वारा और कभी स्वयं से भी प्रेरित होता है। उन्होंने कहा कि दबाव इतना नहीं होना चाहिए कि यह किसी की क्षमताओं को प्रभावित करे। उन्होंने कहा, ‘‘कई बार बच्चे खुद पर दबाव बनाते हैं कि वे उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं। मेरा सुझाव है कि आपको तैयारी के दौरान छोटे लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए और धीरे-धीरे अपने प्रदर्शन में सुधार करना चाहिए। इस तरह आप परीक्षा से पहले पूरी तरह से तैयार हो जाएंगे।’’

छात्र व शिक्षक का कैसा हो संबंध

प्रधानमंत्री ने शिक्षकों और छात्रों के बीच संबंधों पर चर्चा करते हुए कहा कि यह संबंध ऐसा होना चाहिए कि छात्रों को शिक्षक के साथ 'विषय से संबंधित बंधन' से परे कुछ महसूस हो। उन्होंने कहा, ‘‘यह बंधन गहरा होना चाहिए! यह रिश्ता ऐसा होना चाहिए कि छात्र अपने तनाव, समस्याओं और असुरक्षा के बारे में अपने शिक्षकों से खुलकर चर्चा कर सकें।’’

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