Rana Sanga Jayanti 2025: युद्ध में गंवाया एक हाथ और आंख, फिर भी कांपते थे दुश्मन! जानें कौन थे वीर योद्धा राणा सांगा
Rana Sanga Jayanti 2025: राणा सांगा की जयंती, हर साल 12 अप्रैल को मनाई जाती है। यह दिन हमें राणा सांगा के जीवन, उनके संघर्ष और उनकी वीरता को याद करने का एक अवसर प्रदान करता है।

Rana Sanga
Rana Sanga Jayanti 2025 (Rana Sana Kaun The): राणा सांगा की जयंती, हर साल 12 अप्रैल को मनाई जाती है। यह दिन हमें राणा सांगा के जीवन, उनके संघर्ष और उनकी वीरता को याद करने का एक अवसर प्रदान करता है। राणा सांगा का वास्तविक नाम 'संग्राम सिंह' था। वह मेवाड़ के एक महान शासक और युद्धवीर थे। उनका जन्म 1482 में हुआ था। राणा सांगा न केवल एक युद्ध नायक थे, बल्कि एक रणनीतिकार भी थे। उनके शासनकाल के दौरान मेवाड़ ने एक सशक्त और समृद्ध राज्य के रूप में खुद को स्थापित किया। राणा सांगा के युद्ध कौशल और नेतृत्व क्षमता की मिसाल उनके युद्धों में देखी जा सकती है।
राणा सांगा और बाबर का युद्ध
राणा सांगा ने अपने जीवन काल में तमाम युद्ध लड़े थे। इनमें से कुछ इब्राहिम लोधी, महमूद खिलजी और बाबार के खिलाफ भी लड़ाइयां शामिल थीं। राणा सांगा और बाबर के बीच हुई खानवा की लड़ाई (1527) को भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण युद्ध माना जाता है। राणा सांगा ने बाबर के खिलाफ एक विशाल गठबंधन तैयार किया था, जिसमें राजपूतों और अन्य राजाओं की सेनाएं शामिल थीं। वे इस युद्ध में विजयी तो नहीं हो सके लेकिन उनकी वीरता और संघर्ष ने उन्हें इतिहास के पन्नों में अमर कर दिया।
80 घाव के बाद भी नहीं मानी हार
एक बार युद्ध के दौरान राणा सांगा के शरीर में करीब 80 घाव हुए थे। इस दौरान उनकी एक आंख, एक हाथ और एक पैर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था लेकिन इसके बावजूद भी वह लड़ते रहे। उन्होंने साबित किया कि एक सच्चा योद्धा कभी अपने शारीरिक कमियों से हार नहीं मानता। यही वजह थी कि राणा सांगा को 'मानवों का खंडहर' भी कहा जाता था। बताया जाता है कि राणा सांगा को जहर देकर मारा गया था। उस समय उनकी उम्र 46 वर्ष थी।
मेवाड़ को बनाया समृद्ध
राणा सांगा ने मेवाड़ को एक समृद्ध और शक्तिशाली राज्य बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके शासनकाल के दौरान मेवाड़ का सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक जीवन समृद्ध हुआ। उन्होंने हमेशा अपने राज्य के हितों को प्राथमिकता दी और बाहरी आक्रमणकारियों से राज्य की रक्षा की। उनका शासन राज्य की स्थिरता और समृद्धि के लिए एक आधार बन गया।
युवाओं के लिए प्रेरणा
राणा सांगा की जयंती पर उनके योगदान को याद करते हुए, हमें उनके संघर्षों, उनकी वीरता और उनके जीवन के मूल्यों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए। उनके द्वारा स्थापित किए गए आदर्शों और उनके साहसिक कार्यों को हमेशा आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी और उन्हें प्रेरणा मिलेगी।
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मैं अंकिता पान्डे Timesnowhindi.com जुड़ी हूं । मैं उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर प्रतापगढ़ में पली बढ़ी हूं। शुरुआती पढ़ाई लिखाई भी वहीं रहकर हुई। ज...और देखें

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