Republic Day Poem 2024: गणतंत्र दिवस पर सुनाएं देशभक्ति से भरी यह कविताएं, लगेंगे भारत माता की जय के नारे
Republic Day 2024 Poem, Speech in Hindi: इस बार भारत देश अपना 75वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। इस खास मौके पर हम आपके लिए गणतंत्र दिवस पर भाषण और देशभक्ति कविताएं लेकर आए हैं। यहां पढ़ें रिपब्लिक डेट पर देशभक्ति कविताएं।
Republic Day 2023 Poem, Speech in Hindi: गणतंत्र दिवस पर शानदार देशभक्ति कविताएं
Republic Day 2023 Poem, Kavita In Hindi: गणतंत्र दिवस पर कविताएं
एक और जंजीर तड़कती है, भारत मां की जय बोलो
इन जंजीरों की चर्चा में कितनों ने निज हाथ बँधाए,
कितनों ने इनको छूने के कारण कारागार बसाए,
इन्हें पकड़ने में कितनों ने लाठी खाई, कोड़े ओड़े,
और इन्हें झटके देने में कितनों ने निज प्राण गँवाए!
किंतु शहीदों की आहों से शापित लोहा, कच्चा धागा।
एक और जंजीर तड़कती है, भारत मां की जय बोलो।
जय बोलो उस धीर व्रती की जिसने सोता देश जगाया,
जिसने मिट्टी के पुतलों को वीरों का बाना पहनाया,
जिसने आज़ादी लेने की एक निराली राह निकाली,
और स्वयं उसपर चलने में जिसने अपना शीश चढ़ाया,
घृणा मिटाने को दुनिया से लिखा लहू से जिसने अपने,
“जो कि तुम्हारे हित विष घोले, तुम उसके हित अमृत घोलो।”
एक और जंजीर तड़कती है, भारत मां की जय बोलो।
कठिन नहीं होता है बाहर की बाधा को दूर भगाना,
कठिन नहीं होता है बाहर के बंधन को काट हटाना,
ग़ैरों से कहना क्या मुश्किल अपने घर की राह सिधारें,
किंतु नहीं पहचाना जाता अपनों में बैठा बेगाना,
बाहर जब बेड़ी पड़ती है भीतर भी गाँठें लग जातीं,
बाहर के सब बंधन टूटे, भीतर के अब बंधन खोलो।
एक और जंजीर तड़कती है, भारत मां की जय बोलो।
कटीं बेड़ियां और हथकड़ियां, हर्ष मनाओ, मंगल गाओ,
किंतु यहां पर लक्ष्य नहीं है, आगे पथ पर पांव बढ़ाओ,
आज़ादी वह मूर्ति नहीं है जो बैठी रहती मंदिर में,
उसकी पूजा करनी है तो नक्षत्रों से होड़ लगाओ।
हल्का फूल नहीं आज़ादी, वह है भारी ज़िम्मेदारी,
उसे उठाने को कंधों के, भुजदंडों के, बल को तोलो।
एक और जंजीर तड़कती है, भारत मां की जय बोलो।
- हरिवंशराय बच्चन
Republic Day Poem In Hindiइलाही खैर! वो हरदम नई बेदाद करते हैं,
हमें तोहमत लगाते हैं, जो हम फरियाद करते हैं
कभी आजाद करते हैं, कभी बेदाद करते हैं
मगर इस पर भी हम सौ जी से उनको याद करते हैं
असीराने-कफस से काश, यह सैयाद कह देता
रहो आजाद होकर, हम तुम्हें आजाद करते हैं
रहा करता है अहले-गम को क्या-क्या इंतजार इसका
कि देखें वो दिले-नाशाद को कब शाद करते हैं
यह कह-कहकर बसर की, उम्र हमने कैदे-उल्फत में
वो अब आजाद करते हैं, वो अब आजाद करते हैं
सितम ऐसा नहीं देखा, जफा ऐसी नहीं देखी,
वो चुप रहने को कहते हैं, जो हम फरियाद करते हैं
यह बात अच्छी नहीं होती, यह बात अच्छी नहीं करते
हमें बेकस समझकर आप क्यों बरबाद करते हैं?
कोई बिस्मिल बनाता है, जो मकतल में हमें 'बिस्मिल'
तो हम डरकर दबी आवाज से फरियाद करते हैं।।
- रामप्रसाद बिस्मिल
Republic Day Kavita In Hindiदेखो फिर से गणतंत्र दिवस आ गया,
जो आते ही हमारे दिलो-दिमाग पर छा गया।
यह है हमारे देश का राष्ट्रीय त्यौहार,
इसलिए तो सब करते हैं इससे प्यार।
इस अवसर का हमें रहता विशेष इंतजार,
क्योंकि इस दिन मिला हमें गणतंत्र का उपहार।
आओ लोगों तक गणतंत्र दिवस का संदेश पहुचाएं,
लोगों को गणतंत्र का महत्व समझाएं।
गणतंत्र द्वारा भारत में हुआ नया सवेरा,
इसके पहले तक था देश में तानाशाही का अंधेरा।
क्योंकि बिना गणतंत्र देश में आ जाती है तानाशाही,
नहीं मिलता कोई अधिकार वादे होते हैं हवा-हवाई।
तो आओ अब इसका और ना करें इंतजार,
साथ मिलकर मनाये गणतंत्र दिवस का राष्ट्रीय त्यौहार।।
Republic Day Patriotic Poem In Hindi 'आओ तिरंगा फहराये'
आओ तिरंगा लहराये, आओ तिरंगा फहराये,
अपना गणतंत्र दिवस है आया, झूमे, नाचे, खुशी मनाये।
अपना 73वां गणतंत्र दिवस खुशी से मनायेंगे,
देश पर कुर्बान हुए शहीदों पर श्रद्धा सुमन चढ़ायेंगे।
26 जनवरी 1950 को अपना गणतंत्र लागू हुआ था,
भारत के पहले राष्ट्रपति, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने झंडा फहराया था,
मुख्य अतिथि के रुप में सुकारनो को बुलाया था,
थे जो इंडोनेशियन राष्ट्रपति, भारत के भी थे हितैषी,
था वो ऐतिहासिक पल हमारा, जिससे गौरवान्वित था भारत सारा।
विश्व के सबसे बड़े संविधान का खिताब हमने पाया है,
पूरे विश्व में लोकतंत्र का डंका हमने बजाया है।
इसमें बताये नियमों को अपने जीवन में अपनाये,
थाम एक दूसरे का हाथ आगे-आगे कदम बढ़ाये,
आओ तिरंगा लहराये, आओ तिरंगा फहराये,
अपना गणतंत्र दिवस है आया, झूमे, नाचे, खुशी मनाएं।।
होठों पे सच्चाई रहती है, जहां दिल में सफाई रहती है
हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं
जिस देश में गंगा बहती है
मेहमां जो हमारा होता है, वो जान से प्यारा होता है
ज्यादा की नहीं लालच हमको, थोड़े मे गुजारा होता है
बच्चों के लिये जो धरती मां, सदियों से सभी कुछ सहती है
हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं
जिस देश में गंगा बहती है
कुछ लोग जो ज्यादा जानते हैं, इंसान को कम पहचानते हैं
ये पूरब है पूरबवाले, हर जान की कीमत जानते हैं
मिल जुल के रहो और प्यार करो, एक चीज यही जो रहती है
हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं
जिस देश में गंगा बहती है
जो जिससे मिला सिखा हमने, गैरों को भी अपनाया हमने
मतलब के लिये अन्धे होकर, रोटी को नही पूजा हमने
अब हम तो क्या सारी दुनिया, सारी दुनिया से कहती है
हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं
जिस देश में गंगा बहती है..
- शैलेन्द्र
ध्यान रहे देशभक्ति कविता पढ़ते समय आपके चेहरे पर एक अलग तेज व जोश होना चाहिए।
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