RTE Amendment 2024: खत्म हुई 'नो डिटेंशन पॉलिसी', अब इन क्लास के बच्चों को जबरदस्ती नहीं किया जाएगा पास
RTE Amendment 2024: शिक्षा मंत्रालय ने पढ़ाई में सुधार को ध्यान में रखते हुए ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म कर दिया है। यानी अब कक्षा 5वीं व 8वीं क्लासेस में बच्चों को हर हाल में अगले क्लास में तभी प्रमोट किया जाएगा जब वे सभी विषयों को पास करेंगे।
खत्म हुई 'नो डिटेंशन पॉलिसी'
RTE Amendment 2024 (No Detention Policy): शिक्षा जगत में बड़ा बदलाव कर दिया गया है। शिक्षा मंत्रालय ने पढ़ाई में सुधार को ध्यान में रखते हुए ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म कर दिया है। आपको पता होगा कि अभी तक कक्षा 5वीं व 8वीं क्लासेस में बच्चों को हर हाल में अगले क्लास में प्रमोट कर दिया जाता था, लेकिन ऐसा करने से उनमें पढ़ाई के प्रति कम गंभीरता आती दिख रही है, शायद इसीलिए इस बार से ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म किया जा रहा है।
खबर के अनुसार, बच्चों को शैक्षणिक मानकों को पूरा करना होगा। ऐसा न होने पर उन्हें दोबारा से उसी क्लास को पढ़ना पढ़ सकता है, हालांकि ऐसा नहीं है कि यदि फेल हो गए तो साल खराब हो जाएगा। नए नियमों के अनुसार, दो माह के अंदर पुन: परीक्षा देने का मौका मिलेगा, यदि छात्र इसमें पास हो गए तभी वे अगले क्लास के लिए क्वालिफाई कर सकेंगे।
छात्रों के प्रदर्शन से जुड़ा है ये निर्णय
इस बदलाव से पहले, कक्षा 8 तक के छात्रों को फेल करने का कोई प्रावधान नहीं था। 2010-2011 में इन कक्षाओं के लिए बोर्ड परीक्षा को खत्म कर दिया गया था, जिसके बाद से शैक्षणिक मानकों में गिरावट की चिंताएं पैदा हुईं, और हायर क्लासेज में छात्रों के प्रदर्शन पर इसका असर पड़ा।
क्या कहता है नया नियम
नए "निःशुल्क अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार संशोधन नियम 2024" के तहत, कक्षा 5 और 8 में वार्षिक परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने वाले छात्रों को दो महीने के भीतर परीक्षा में बैठने का दूसरा मौका दिया जाएगा। हालांकि, दोबारा असफल होने पर छात्र एक और साल उसी कक्षा में रहेगा।
घटती शैक्षिक गुणवत्ता को उठाना है लक्ष्य
इस कदम का उद्देश्य शैक्षणिक कठोरता में सुधार करना और घटती शैक्षिक गुणवत्ता के बारे में चिंताओं को दूर करना है। बता दें, गुजरात, ओडिशा, मध्य प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक और दिल्ली सहित कई राज्यों ने कक्षा 5 या 8 में फेल होने वाले छात्रों को रोकने की अनुमति देने वाली नीतियां लागू की हैं।
शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम में मूल रूप से एक "नो-डिटेंशन पॉलिसी" शामिल थी, जो प्राथमिक विद्यालय के छात्रों को उनके शैक्षणिक प्रदर्शन की परवाह किए बिना उसी कक्षा में बनाए रखने पर रोक लगाती थी। इस नीति का उद्देश्य बच्चों की शिक्षा और कल्याण पर प्रारंभिक शैक्षणिक विफलता के नकारात्मक प्रभाव को रोकना था।
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नीलाक्ष सिंह author
उत्तर प्रदेश की राजधानी, नवाबों के शहर लखनऊ का रहने वाला हूं। स्कूली शिक्षा, ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्र...और देखें
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