जिंदगी से जूझने का हौसला देता है उपन्यास गेरबाज, लेखक भगवंत अनमोल ने झेला हकलाहट का दर्द और लिख दी किताब

साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार विजेता, प्रख्यात हिंदी लेखक भगवंत अनमोल की नई पुस्तक गेरबाज हाल ही में रिलीज हुई है। इस पुस्तक को पेंग्विन ने प्रकाशित किया है। यह उपन्यास जिंदगी से जूझने का हौसला देता है।

Bhagwant Anmol, Author

Bhagwant Anmol Motivational Story on Book Gerbaaz: साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार विजेता, प्रख्यात हिंदी लेखक भगवंत अनमोल की नई पुस्तक गेरबाज हाल ही में रिलीज हुई है। साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार से सम्मानित भगवंत अनमोल की पुस्तक ‘ज़िन्दगी 50-50’ बेस्ट सेलर रही है और इसे उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा पुरस्कृत किया गया। साथ ही साथ कर्नाटक विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में भी उनकी पुस्तक शामिल है। वह प्रमेय, बाली उमर जैसी पुस्तकें लिखकर युवाओं के बीच लोकप्रिय हैं। उनकी नई पुस्तक गेरबाज को पेंग्विन ने प्रकाशित किया है। यह उपन्यास जिंदगी से जूझने का हौसला देता है। भगवंत अनमोल कहते हैं कि पुस्तकें हिंदी फिल्मों की तरह नहीं होती। वही पुस्तक सफल होती है जो वक़्त की कसौटी पर खरी उतरती है। किताबें लिखना, पढना और पाठकों तक पहुंचना बड़ा धैर्य का काम है। जब शुरूआती झोंके के बाद किताब लगातार चलती रहे और पाठकों को पसंद आती रहे, तभी लगता है कि लेखन सफल हो गया।

जिंदगी से जूझने का हौसला देती है पुस्तक

भगवंत अनमोल बताते हैं कि गेरबाज असल में हकलाहट की समस्या पर आधारित है। बॉलीवुड हो या कोई कामेडी शो हकलाहट की समस्या का सभी जगह पर मजाक उड़ाया गया है। लोगों ने इस पीड़ा की गंभीरता को समझा ही नहीं। बस वही लोग इसकी पीड़ा समझते हैं, जिन्होंने हकलाहट को भोगा होता है। मैंने इस समस्या को झेला है, इसलिए इसकी पीड़ा मुझसे बेहतर कौन समझ सकता है। इस किताब में हकलाहट की समस्या झेलने वाले का दर्द है, कष्ट है, साथ ही साथ उससे निकलने का उपाय भी है। इस उपन्यास में यह दिखाया गया है कि किस तरह हकलाहट की समस्या से पीड़ित व्यक्ति आत्मविश्वास से कमजोर हो जाता है। हर जगह मन मारना पड़ता है, लेकिन इस समस्या से निकलने के बाद वही व्यक्ति दुनिया को बदलने की क्षमता रखता है। यह उपन्यास प्रेरणा भी देता है और मानवीय मूल्यों के बारे में भी समझाता है।

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