भारत के लिखित इतिहास में गलतियों को किया जाएगा ठीक, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कही यह बड़ी बात

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि भारत के लिखित इतिहास में गलतियों को ठीक करने के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन-एनडीए सरकार सुधारात्मक उपाय कर रही है। उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय परियोजना और भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) ने इस दिशा में उल्लेखनीय काम किया है।

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भारत के लिखित इतिहास में गलतियों को किया जाएगा ठीक

newsonair.com की एक खबर के अनुसार, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि भारत के लिखित इतिहास में गलतियों को ठीक करने के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन-एनडीए सरकार सुधारात्मक उपाय कर रही है। उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय परियोजना और भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) ने इस दिशा में उल्लेखनीय काम किया है।

Education Minister Dharmendra Pradhan कल रोहतास जिले के जी.एन. सिंह विश्वविद्यालय में आई. सी. एच. आर. द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। इसी दौरान इन्होंने भारत के लिखित इतिहास में गलतियों को ठीक करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने की बात कही।

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि मोदी सरकार हमारी गौरवशाली परंपराओं और अतीत को नई पीढ़ियों तक पहुंचाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने इतिहासकारों और शोधार्थियों से आग्रह किया कि वे वैज्ञानिक तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर इतिहास लेखन में सहयोग करें।

शिक्षा के प्रसार के लिए खुलेंगे टीवी चैनल

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सरकार शिक्षा के प्रसार के लिए दो सौ से अधिक शैक्षिक टीवी चैनल शुरू कर रही है।

इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च (आईसीएचआर) और आरएसएस से जुड़े अखिल भारतीय इतिहास संकल्प योजना द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए, मंत्री ने कहा कि किताबें नई रचनाओं के साथ फिर से प्रकाशित की जा रही हैं और ये किताबें दुनिया को भारत के बारे में स्पष्टता प्रदान करेंगी।

पढ़ाया जाएगा भारतीय इतिहास का सही संस्करण

शिक्षा मंत्री ने कहा कि “देश भर के छात्रों को वसंत पंचमी के अवसर पर 26 जनवरी से राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत भारतीय इतिहास का एक सही संस्करण पढ़ाया जाएगा। National Education Policy हमें कई अवसर प्रदान करेगा। एनईपी में मातृभाषा को प्राथमिकता दी गई है। मातृभाषा को प्राथमिकता दिए बिना शिक्षा प्रदान करना व्यर्थ है।

हमें 21वीं सदी में भारत की प्राचीन संस्कृति और सभ्यता को एक नया वैश्विक परिप्रेक्ष्य देना चाहिए। नई रचनाओं के साथ पुस्तकें पुनः प्रकाशित हो रही हैं। ये किताबें दुनिया को भारत के बारे में स्पष्टता देंगी। ये किताबें डिजिटल मोड में भी उपलब्ध होंगी।"

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