Subhash Chandra Bose Essay: नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर सबसे सरल व दमदार हिंदी निबंध, जरूर शामिल करें ये बातें

Subhash Chandra Bose Essay in Hindi (सुभाष चंद्र बोस पर निबंध हिंदी में): देश में हर साल की तरह इस साल भी 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इस अवसर पर स्कूल और कॉलेज में कई प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। ऐसे में अगर आप भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर निबंध प्रतियोगिता में भाग लेने जा रहे हैं तो यहां दी गई कुछ बातों को ध्यान में रखकर इनाम अपने नाम कर सकते हैं।

Subhash Chandra Bose

Subhash Chandra Bose Essay in Hindi (सुभाष चंद्र बोस पर निबंध हिंदी में): देश में हर साल की तरह इस साल भी 23 जनवरी को पराक्रम दिवस (Parakram Diwas 2025) के रूप में मनाया जाएगा। ये दिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस को समर्पित है। इस खास दिन का उद्देश्य भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को सम्मानित करना और लोगो में देशभक्ति की भावना को जागृत करना है। पराक्रम दिवस के अवसर पर स्कूल और कॉलेज में भी कई प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। ऐसे में अगर आप भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर निबंध प्रतियोगिता (Subhash Chandra Bose Hindi Essay) में भाग लेने जा रहे हैं तो यहां दी गई कुछ बातों को ध्यान में रखकर इनाम अपने नाम कर सकते हैं।

Subhas Chandra Bose Essay in 100 words: सुभाष चंद्र बोस पर निबंध 100 शब्दों में

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को देश में पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है। वह एक उग्र राष्ट्रवादी थे, जिनकी देशभक्ति ने उन्हें भारतीय इतिहास के सबसे महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक बना दिया। नेताजी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष थे लेकिन महात्मा गांधी से मतभेद के कारण बोस ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। 1943 में नेताजी ने जापानी समर्थन से भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) को नया रूप दिया, जिसका उद्देश्य भारत को ब्रिटिश शासन से आजाद कराना था। बोस की मृत्यु के बाद INA के 300 अधिकारियों पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया लेकिन कांग्रेस के विरोध के कारण ब्रिटेन इससे पीछे हट गया।

Subhash Chandra Bose Essay in 500 words: सुभाष चंद्र बोस पर निबंध 500 शब्दों में

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था। उनके पिता जानकीनाथ बोस कटक के मशहूर वकील थे। वहीं, उनकी मां का नाम प्रभावती था। बता दें कि उनके पिता कटक शहर के मशहूर वकील थे। सुभाष चंद्र बचपन से ही मेधावी छात्र थे। एजुकेशन की बात करें तो उन्होंने कटक के Stewart School और Ravenshaw Collegiate School से प्रारंभिक शिक्षा हासिल की है। इसके बाद उन्होंने 1918 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के स्कॉटिश चर्च कॉलेज से फिलॉसफी में बीए की डिग्री हासिल की। फिर नेताजी के पिता ने उन्हें ICS की पढ़ाई के लिए लंदन भेज दिया। उन्होंने उस वक्त दुनिया की सबसे कठिन परीक्षा ICS (सिविल सर्विसेज) परीक्षा भी पास की। हालांकि, जैसे ही उन्हें नौकरी की पेशकश की गई, उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया। नेताजी लंदन छोड़कर भारत आ गए और भारत की आजादी के लिए लड़ने के लिए गांधीजी और उनकी टीम में शामिल हो गए और यहीं से नेताजी के स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत हुई।

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