Swami Vivekananda Chicago Speech: स्वामी विवेकानंद ने कुछ इस तरह लहराया था विश्व में भारत का परचम, देखें पूरा भाषण

Swami Vivekananda Chicago Speech in Hindi (स्वामी विवेकानंद जी का शिकागो भाषण): स्वामी विवेकानंद जी का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। हर साल उनकी जन्म जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। स्वामी जी की जयंती के अवसर पर यहां हम आपके लिए उनके शिकागो का पूरा भाषण लेकर आए हैं, जिसे सुन पूरी दुनिया उनकी कायल हो उठी थी और भारत को विश्वगुरु मानने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

स्वामी विवेकानंद का शिकागो भाषण

मुख्य बातें
  • 12 जनवरी 1863 को हुआ था स्वामी विवेकानंद का जन्म।
  • महज 25 साल की उम्र में सांसारिक मोह माया का किया था त्याग।
  • स्वामी जी वेदांत के विख्यात व प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरू थे।

Swami Vivekananda Chicago Speech in Hindi: तीस वर्ष का ज्योतिपुंज था, ज्ञान पुष्प का सुरभि कुंज था, मस्तक पर अरुणिम वो रेखा चकित रह गया जिसने देखा। जी हां, यहां पर हम बात कर रहे हैं देश के लाखों करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा के रहे स्रोत तेजस्वी युवा सन्यासी स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) की। स्वामी जी की सोच व उनका दर्शन विश्व बंधुत्व भावना से भरा है। इसके अलावा पूरी दुनिया को वह अपना देश मानते थे। भारत की वैदिक परंपरा को वैश्विक पटल पर रखने वाले विवेकानंद एक दूसरे की श्रेष्ठता के बजाए सार्वभौमिक धर्म की कल्पना करते थे। स्वामी जी अपनी मातृभूमि को ही स्वर्ग (Swami Vivekananda Chicago Speech) मानते थे। स्वामी विवेकानंद को भारतीय पुनर्जागरण का पुरोधा कहा जाता है, जिन्होंने भारत को विश्वगुरू के रूप में एक नई पहचान दिलाई। वह महज 25 साल की उम्र में सांसारिक मोह माया का त्याग कर सन्यासी बन गए, उन्होंने अपना पूरा जीवन ईश्वर की भक्ति और मानवता में निहित ईश्वर की सेवा में समर्पित कर दिया। स्वामी जी वेदांत के विख्यात व प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरू थे।

ज्ञान परंपरा के शिखर पुरुष स्वामी विवेकानंद जी का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था, उनके पिता विश्वनाथ दत्त एक मशहूर वकील थे। माता भुवनेश्वरी देवी एक गृहंणी थी, वह प्यार से उन्हें नीलेश्वर पुकारती थी, लेकिन नामकरण के समय उनका नाम नरेंद्र नाथ दत्त (Swami Vivekananda Chicago Speech In Hindi) रखा गया। प्रत्येक वर्ष स्वामी विवेकानंद की जन्म जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस बार हम स्वामी जी की 160वीं जन्मजयंती मनाने जा (Swami Vivekananda Speech) रहे हैं।

आपको शायद ही पता होगा कि, स्वामी जी बचपन में अंग्रेजी भाषा से काफी नफरत करते थे, वह अंग्रेजी नहीं सीखना चाहते थे। लेकिन जब बात देश के सम्मान की आई तो स्वामी जी ने अंग्रेजों को नतमस्तक होने के लिए मजबूर कर दिया। भारत को चूहों और सांपों का देश कहने वाले अंग्रेजों को भारत को विश्वगुरू मानना पड़ा।

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