Swami vivekananda speech In Hindi: स्वामी विवेकानंद के जीवन से जुड़ी इस घटना का करें जिक्र, पूरा सभागार हो उठेगा गुंजायमान
Swami vivekananda Speech in Hindi (स्वामी विवेकानंद भाषण हिंदी में 2023): प्रत्येक वर्ष 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जी की जन्म जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता था। यही वह दिन था जब एक युवा तपस्वी ने भारत भूमि पर जन्म लिया था, जिसने भारत को विश्वगुरू के रूप में पुनर्स्थापित किया। इस अवसर पर यदि आप भी भाषण प्रतियोगिता में हिस्सा लेने जा रहे हैं तो हमारे इस लेख पर एक नजर अवश्य डालें।
Swami Vivekananda Speec: स्वामी विवेकानंद पर भाषण हिंदी में
- स्वामी विवेकानंद जी की जन्म जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- 12 जनवरी 1863 को हुआ था स्वामी जी का जन्म।
- भाषण के दौरान1893 में शिकागो में आयोजित धर्म संसद का जिक्र करना ना भूलें।
इस बार हम स्वामी विवेकानंद जी की 160वीं जन्म जयंती मनाने जा रहे हैं। स्वामी जी के जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। स्वामी विवेकानंद को देश के सबसे महान सामाजिक नेताओं में से एक माना जाता है, वह धर्म, दर्शन, वेद, साहित्य, पुराणों और उपनिषदों के (Swami vivekananda speech for Childrens) ज्ञाता थे। कम उम्र में ही उनकी आध्यात्म में रुचि हो गई थी, पढ़ाई में अच्छे होने के बावजूद 25 वर्ष की उम्र में स्वामी जी ने सांसारिक मोह माया का त्याग कर सन्यासी बन गए थे। वह वेदांत के विख्यात व प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरू थे। स्वामी विवेकानंद जी के विचार आज के युग में भी काफी प्रासंगिक हैं। स्वामी विवेकानंद का मानना था कि, किसी भी राष्ट्र के निर्माण की नींव उस देश के युवा होते हैं।
बता दें 04 जुलाई 1902 स्वामी विवेकानंद जी के निधन के बाद, भारत सरकार ने उनकी जन्म जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। इस दिन से प्रत्येक वर्ष उनकी जन्म जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया (Swami vivekananda speech In Chikago) जाता है। बता दें इस अवसर पर कई सरकारी संस्थाएं राष्ट्रीय युवा महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन भी करती हैं। साथ ही स्कूलों, कॉलेजों व अन्य शैक्षणिक संस्थानों पर राष्ट्रीय युवा महोत्सव के महत्व व इतिहास को बताने के लिए भाषण प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाता है। ऐसे में यदि आप भी भाषण प्रतियोगिता में भाग लेने जा रहे हैं, तो यहां हम आपको अपने स्पीच को दमदार बनाने का शानदार तरीका बताएंगे।
Swami vivekananda speech in Hindi, ऐसे बनाएं अपनी स्पीच को दमदारयदि आप चाहते हैं कि मंच से स्वामी विवेकानंद जी का नाम लेते ही, तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा सभागार गुंजायमान हो उठे तो अपने स्पीच की शुरुआत स्वामी जी के किसी अनमोल विचार से करें। यकीन मानिए लोग अपने स्थान से खड़े होकर ताली बजाने के लिए मजबूर हो जाएंगे। साथ ही ध्यान रहे स्पीच के दौरान आपके मुख पर एक अलग ही तेज व जोश होना चाहिए, यह आपके भाषण में चार चांद लगा देगा। भाषण की शुरुआत मंच पर उपस्थित प्राधानाचार्य, उपप्राधानाचार्य, अध्यापकगण व सभागार में उपस्थित सभी लोगों का अभिनंदन से करें और तैयार किए गए भाषण को पूरे जज्बे के साथ लोगों के सामने पेश करें।
National Youth Day Speech In Hindi, कुछ इस तरह करें अपने भाषण की शुरुआतआदरणीय प्राधानाचार्य महोदय, माननीय शिक्षकगण एवं मेरे प्रिय साथियों सर्वप्रथम आप सभी को राष्ट्रीय युवा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। आज हम सभी स्वामी विवेकानंद जी के 160वीं जन्म जयंती के उपलक्ष्य में एकत्रित हुए हैं। स्वामी विवेकानंद एक ऐसी शख्सियत थे जिन्होंने पश्चिमी देशों के बड़े-बड़े विद्वानों को बौना साबित कर भारत को विश्वगुरु के रूप में एक नई पहचान दिलाई। बता दें प्रत्येक वर्ष 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है।
महज 25 वर्ष की उम्र में स्वामी विवेकानंद जी ने सांसारिक मोह माया का त्याग कर सन्यासी बन गए थे। रामकृष्ण परमहंस जी ने स्वामी जी को मानवता में निहित ईश्वर की सेवा करने की सलाह दी। इसके बाद स्वामी विवेकानंद जी ने अपना पूरा जीवन ईश्वर की भक्ति और मानव जाति की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। इस दिशा में उन्होंने रामकृष्ण परमहंस मठ की स्थापना भी की। सन 1893 में स्वामी विवेकानंद जी ने अमेरिका के शिकागो शहर में आयोजित विश्व धर्म संसद में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। यहां उन्होंने भारत को एक नई पहचान दिलाई और लोगों को अपना मुरीद बना दिया। ध्यान रहे भाषण के दौरान शिकागो में आयोजित विश्व धर्म संसद का जिक्र करना ना भूलें, बिना इसके आपकी स्पीच अधूरी मानी जाएगी। यही वह समय था जब स्वामी जी ने भारत को विश्व गुरु के रूप में एक अलग पहचान दिलाई थी।
Swami vivekananda speech in Chikago, जब पूरा विश्व हो उठा था स्वामी विवेकानंद का मुरीदआप राष्ट्रीय युवा दिवस पर अपने भाषण के दौरान 9 सितंबर 1893 का जिक्र कर अपनी स्पीच में चार चांद लगा सकते हैं। यही वह दिन था जब पूरा विश्व भारत के एक युवा तपस्वी का मुरीद हो उठा था और भारत को अपना विश्वगुरु मानने के लिए मजबूर होना पड़ा था। यहां मौका था धर्म पर विचार विमर्श का, लेकिन दूसरों को छोटा और खुद को बड़ा समझने वाली पश्चिमी संस्कृति सैकड़ो विद्वानों के बीच बैठे हुए स्वामी विवेकानंद जी का मजाक उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी। भारत को तीसरी दुनिया मानने वाले, सपेरों का देश कहने वाले सूट-बूट वाले अंग्रेज मन ही मन हंस रहे थे, लेकिन स्वामी जी इस सभा में निश्चिंत बैठे रहे और अलग अलग देशों से आए धर्मों के विद्वानों को एकाग्र होकर सुनते रहे।
कुछ ही देर बाद विश्व धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद जी का नाम पुकारा गया, स्वामी जी बड़े ही सहज भाव से मंच की ओर बढ़े। पूरे विश्व की निगाहें मंच की ओर टिकी थी कि भारत क्या कहेगा। स्वामी जी मंच पर खड़े होकर चारों ओर देखने लगे, लोगों में उत्सुकता बढ़ने लगी कि भारत आखिर क्या बोलेगा। कुछ पल गुजरने के बाद, स्वामी जी सिर्फ पांच शब्द बोले और इन्हीं पांच शब्दों ने आने वाले पांच हजार वर्षों के लिए सनातन संस्कृति का ध्वज गाड़ दिया। ये पांच शब्द पूरी दुनिया में विश्व बंधुत्व का संदेश बनकर गूंज उठे। शिकागो धर्म संसद में स्वामी जी के पहले पांच शब्द थे, सिस्टर्स एंड ब्रदर्स ऑफ अमेरिका।
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मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की नगरी अयोध्या का रहने वाला हूं। लिखने-पढ़ने का शौकीन, राजनीति और श...और देखें
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