Neta Ji Life: नेता जी सुभाष चंद्र बोस से जुड़े 10 फैक्ट, जिनमें नजर आती है उनकी पूरी जिंदगी

Netaji Subhash Chandra Bose Life in Hindi: नेता जी सुभाष चंद्र बोस की जिंदगी भारत की आजादी के लिए लड़ाई से जुड़े संघर्षों से भरी रही है। उन्होंने पहली बार आजादी की घोषणा करते हुए स्वतंत्र भारत का झंडा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर फहराया था। यहां जानिए उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ तथ्य।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस

Netaji Subhash Chandra Bose Birthday: महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कुट्टक गांव में हुआ। उनके पिता जानकीनाथ बोस और माता का नाम प्रभावती था। उन्होंने जापान के सहयोग से 'आजाद हिन्द फौज' का गठन कर 'जय हिंद' का नारा दिया। सुभाष चंद बोस के मन में देशप्रेम, स्वाभिमान और साहस की भावना बचपन से ही बड़ी प्रबल थी। वे अंग्रेज शासन का विरोध करने के लिए अपने भारतीय सहपाठियों का भी मनोबल बढ़ाते थे।

यहां पर हम आपके साथ नेता जी सुभाष चंद्र बोस के जीवन पर 10 लाइन आपके साथ शेयर कर रहे हैं, जिनमें उनकी पूरी जिंदगी की झलक देखने को मिलती है।

  • नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म उड़ीसा के कटक क्षेत्र में 23 जनवरी 1897 को हुआ।
  • सुभाष चंद्र बोस अपने माता-पिता जानकीनाथ बोस और प्रभावती की नौवीं संतान थे।
  • नेताजी के पिता जानकीनाथ कटक के एक मशहूर सरकारी वकील थे और उनसे ही प्रखर बुद्धि नेता जी को भी विरासत में मिली थी।
  • नेताजी बी०ए० की परीक्षा कलकत्ता विश्वविद्यालय से फर्स्ट क्लास के साथ पास किया।
  • सन् 1920 में सिविल सर्विस यानी प्रशासनिक सेवा परीक्षा के अंदर उन्होंने चौथा स्थान हासिल किया।
  • साल 1921 में उन्होंने अंग्रेजों के विरोध और देश की आजादी के लिए अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया।
  • नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के वीर क्रांतिकारी नायकों में से एक थे। जब भगत सिंह को फांसी हुई तो उनका गांधी के साथ मतभेद शुरू हो गए।
  • 40,000 भारतीयों के साथ नेताजी ने 1943 में ‘आजाद हिन्द फ़ौज’ का गठन किया था।
  • उन्होंने म्यांमार बॉर्डर से अंग्रेजों के खिलाफ अपनी लड़ाई शुरू की और अंडमान निकोबार द्वीप पर पहली बार स्वतंत्र भारत का झंडा फहराया था।
  • कथित तौर पर एक विमान दुर्घटना में 18 अगस्त 1945 को ताइवान में उनका निधन हो गया।
'किसी राष्ट्र के लिए स्वाधीनता सर्वोपरि है' नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने इस महान मूलमंत्र को शैशव और नवयुवाओं की नसों में प्रवाहित करने, तरुणों की सोई आत्मा को जगाकर देशव्यापी आंदोलन देने और युवा वर्ग के लिए आजादी को आत्मप्रतिष्ठा का प्रश्न बना दिया। नेताजी ने आत्मविश्वास, भाव-प्रवणता, कल्पनाशीलता और नवजागरण के बल पर युवाओं में राष्ट्र के प्रति मुक्ति व इतिहास की रचना का मंगल शंखनाद किया।
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