आठ वर्ष की उम्र में बच्चे सम्पूर्ण जीवन का 80 प्रतिशत सीख लेते हैं: राज्यपाल आनंदी बेन
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य गतिविधियों से ही बच्चों का सर्वांगीण विकास संभव है। कहा कि बच्चों की रुचि को देखते हुए उनका विकास किया जाए तथा बच्चों को खेलने दें व खिलने दें।

Anandiben Patel
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि एक रिसर्च के अनुसार आठ वर्ष की उम्र में बच्चे पूरे जीवन का 80 प्रतिशत सीख लेते हैं। इसलिए इस उम्र में बच्चों में अच्छे संस्कार, अच्छी आदतें विकसित की जाए। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल आज राजधानी लखनऊ के कुँवर ग्लोबल स्कूल के वार्षिक समारोह में बोल रहीं थी। इस अवसर पर उन्होंने कहा छोटे-छोटे बच्चे ही अगले 25 वर्ष में देश की दिशा और दशा तय करेंगे तथा भारत को आगे बढ़ाना है तो हमें अभी से सोचना पड़ेगा कि बच्चों की दिशा किस तरफ हो। उन्होंने गर्भ में पल रहे शिशु हेतु गर्भ संस्कार की आवश्यकता बताई। इस क्रम में उन्होंने जर्मनी देश के प्राथमिक विद्यालयों के भ्रमण के अनुभव साझा किये एवं महाभारत काल के अभिमन्यु के प्रसंग का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि स्वस्थ एवं संस्कारी बच्चों को जन्म देना है तो गर्भ से ही बच्चों को अच्छे संस्कार दिये जाने चाहिए। इस क्रम में गर्भवती माताओं को अच्छा परिवेश प्रदान किया जाना चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य गतिविधियों से ही बच्चों का सर्वांगीण विकास संभव है। कहा कि बच्चों की रुचि को देखते हुए उनका विकास किया जाए तथा बच्चों को खेलने दें व खिलने दें। कहा कि आज बच्चों को एक अच्छा प्लेटफार्म दें तभी बच्चे आगे चलकर अपना स्वयं का प्लेटफार्म विकसित करेंगे। उन्होंने कहा कि बच्चों के विकास में स्कूल, परिवार और घर की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है।
राज्यपाल पटेल ने कहा कि आज शिक्षा, जल, स्वास्थ्य आदि पर सरकार द्वारा ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। प्रदेश में नए-नए अस्पताल खुल रहे हैं, डॉक्टर की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, नर्सिंग कॉलेज खोले जा रहे हैं, सफाई अभियान जारी है। कहा कि बच्चों के मानसिक, शारीरिक व सामाजिक विकास तथा संवेदनाएं एवं अन्य प्रवृत्तियां स्कूल के माध्यम से आगे बढ़ाये जाने चाहिए।
राज्यपाल ने बेटों को राम तथा बेटियों को सीता बनाने की सलाह दी। उन्होनें भगवान राम का भाई व समाज के प्रति प्रेम और सहयोग की भावना से सीख लेने को कहा। उन्होंने कहा कि सिर्फ तिलक लगाने की मर्यादा ही ना हो, बल्कि प्रभु श्री राम के जीवन आदर्शों से सीख लेने की जरूरत है।
आनंदीबेन ने कहा कि बच्चे अपने माता-पिता के गुण व व्यवहार को देखते हैं और उससे सीखते हैं। उन्होंने शिक्षक के भी आदर्श होने की बात की। उन्होंने कहा कि एक अच्छे गुरु से शिष्य की जिंदगी बदल जाती है। उन्होंने कहा कि गुरु की सोच अच्छी हो तो विद्यालय ज्ञान का मंदिर बन जाता है।
इस अवसर पर स्कूल के डायरेक्टर राजेश सिंह दयाल ने विद्यालय को मंदिर तथा सफलता को लक्ष्य नहीं जीवन यात्रा बताया। इस मौके पर राज्यपाल ने विद्यालय की पुस्तिका का अनावरण भी किया। साथ ही स्कूल के बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मनोहारी प्रस्तुति भी की गयी।
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