UPSC Success Story: पिता ने अपना खेत बेचकर पढ़ाया, बेटे ने अफसर बनकर सिर कर दिया ऊंचा

UPSC Success Story Hrudaya Kumar Das: तमाम मुश्किलों और अभावों को पार करके जो युवा UPSC की मंजिल हासिल करते हैं, वो इतिहास बनाते हैं। आज हम आपको एक कहानी बताने जा रहे हैं ओडिशा के रहने वाले हृदय कुमार दाश की। हृदय कुमार दाश ने अपने तीसरे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास की और आईआरएस अफसर बने।

UPSC Success Story Hrudaya Kumar Das

UPSC Success Story Hrudaya Kumar Das

UPSC Success Story Hrudaya Kumar Das: संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षा मानी जाती है। इस परीक्षा को पास करने आईएएस-आईपीएस बनना हजारों युवाओं का ख्वाब होता है। हर साल लाखों की संख्या में छात्र इस परीक्षा में बैठते हैं लेकिन गिने चुने युवा ही सफलता का स्वाद चख पाते हैं। तमाम मुश्किलों और अभावों को पार करके जो युवा मंजिल हासिल करते हैं, वो इतिहास बनाते हैं। यूपीएससी की सफलता की तमाम कहानियां प्रेरणा देने वाली हैं।

आज हम आपको एक कहानी बताने जा रहे हैं ओडिशा के रहने वाले हृदय कुमार दाश की। हृदय कुमार दाश ने अपने तीसरे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास की और आईआरएस अफसर बने। तमाम मुश्किलों और अभावों को पार करके उन्होंने यह मुकाम पाया है। उनकी कहानी सुनकर आपकी आंखें नम हो जाएंगी। हृदय कुमार को यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में में दो बार असफलता हाथ लगी लेकिन वह मेहनत करते रहे। उन्होंने साल 2015 में ऑल इंडिया 1079 रैंक के साथ यूपीएससी क्लियर की और उनका सेलेक्शन आईआरएस सर्विस के लिए हुआ।

गरीबी में बीता बचपन

बेहद गरीब किसान के परिवार के जन्मे हृदय कुमार के पिता किसान थे। ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले के एक दूरदराज के गांव अंगुलई में जन्मे और पले-बढ़े हृदय कुमार दाश गांव के ही सरकारी स्कूल के छात्र रहे। उन्हें क्रिकेट खेलने का जुनून था और इसी वजह से 12वीं साइंस स्ट्रीम से जब सेकेंड डिवीजन पास हुए तो उन्हें झटका लगा। इसके बाद उन्होंने पिता की सलाह पर क्रिकेट छोड़कर हायर एजुकेशन पर ध्यान देना शुरू किया और उत्कल यूनिवर्सिटी से पांच साल का इंटीग्रेटेड एमसीए किया।

पिता ने खेत बेचकर पढ़ाया

यूपीएससी क्लियर करने के बाद हृदय कुमार ने बताया था कि उन्हें किसान का बेटा होने पर गर्व है। उनकी पढ़ाई के लिए पिता को जमीन बेचनी पड़ी। हृदय कुमार ने यूपीएससी की तैयारी यूनिवर्सिटी की पढ़ाई के दौरान ही शुरू कर दी थी। ओडिशा के जाजपुर जिले में बतौर प्रधानमंत्री ग्रामीण विकास फेलो के रूप में जब उन्हें काम करने का मौका मिला तो उन्हें आदिवासियों की समस्याओं को समझने में काफी मदद की। इससे सिविल सर्विस में जाने की उनकी इच्छा प्रबल हो गई।

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कुलदीप राघव author

कुलदीप सिंह राघव 2017 से Timesnowhindi.com ऑनलाइन से जुड़े हैं।पॉटरी नगरी के नाम से मशहूर यूपी के बुलंदशहर जिले के छोटे से कस्बे खुर्जा का रहने वाला ह...और देखें

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