सफलता की गाथा: मां ने बकरी पालकर घर चलाया, बेटा गरीबी को मात देकर बन गया IAS
UPSC Success Story, IAS Success Story In Hindi (सफलता की गाथा) : सफलता की गाथा की पहली सीरीज में हम आपके लिए आईएएस विशाल कुमार के संघर्ष की कहानी लेकर आए हैं। विशाल सिविल सेवा परीक्षा 2021 बैच के आईएएस ऑफिसर हैं। विशाल ने यूपीएससी की परीक्षा में 484वीं रैंक प्राप्त कर देशभर में अपना परचम बुलंद किया था।
सफलता की गाथा: बकरी पालकर मां ने बेटे को बनाया IAS
UPSC Success Story, IAS Success Story In Hindi (सफलता की गाथा): ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं, तुमने मेरा कांटो भरा बिस्तर नहीं देखा..बशीर बद्र साहब की ये लाइन बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के रहने वाले विशाल पर सटीक बैठती है। जिसने गरीबी और अभावों के बावजूद अपने अदम्य इच्छाशक्ति व संघर्ष के दम पर भारत की सबसे कठिन व प्रतिष्ठित परीक्षा यानी सिविल सेवा परीक्षा को क्वालीफाई कर आईएएस बनने का सपना पूरा किया।
विशाल का नाम ज्यादा चर्चित तो नहीं लेकिन इनकी कहानी किसी चर्चा के विषय से कम भी नहीं है। विशाल सिविल सेवा परीक्षा 2021 बैच के आईएएस ऑफिसर हैं। विशाल ने यूपीएससी की परीक्षा में 484वीं रैंक प्राप्त कर देशभर में अपना परचम बुलंद किया था। हालांकि आईएएस के पद पर पहुंचना विशाल के लिए किसी कांटेभरे सफर से कम नहीं था। लेकिन विशाल ने कड़ी मेहनत व संघर्ष के दम पर अपने सपने को सच कर दिखाया।
UPSC Success Story: बचपन में हो गया पिता का देहांतविशाल ने अपना सपना पूरा करने के लिए जितनी मेहनत की उतना ही संघर्ष उनकी मां मीना देवी ने भी किया। इसके लिए उनकी मां ने बकरी पालना तक स्वीकार किया, लेकिन बेटे की पढ़ाई में कोई अड़चन नहीं आने दी। विशाल एक इंटरव्यू के दौरान यह बताते हुए काफी भावुक हो गए थे। साल 2008 में पिता का साया सिर से उठने के बाद उनका परिवार पूरी तरह बिखर गया था। उनके पिता मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण करते थे। लेकिन पिता के ना रहने के बाद घर की आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी।
इस दौरान घर में गरीबी का आलम इस कदर था कि, किसी किसी दिन परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो जाता था। इसके बाद उनकी मां रीना देवी ने बकरी और भैंस पालकर घर चलाया। मां ने अपने बेटे को कभी अहसास नहीं होने दिया कि उसके पिता नहीं हैं।
IAS Success Story: माता पिता और शिक्षक को दिया सफलता का श्रेयविशाल अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपने माता पिता और शिक्षक को देते हैं। एक इंटरव्यू के दौरान विशाल ने बताया था कि उनके अध्यापक गौरी शंकर प्रसाद ने मुश्किल हालातों में उनकी बहुत मदद की। स्कूल की फीस ना होने पर वो उनके विद्यालय की फीस चुका दिया करते थे। वहीं पैसों की तंगी के चलते जब विशाल नौकरी करने लगे, तो उन्होंने ही विशाल को नौकरी छोड़कर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए प्रोत्साहित किया था।
IAS Vishal Kumar Success Story: बचपन से ही पढ़ने में होशियारविशाल बचपन से ही पढ़ने में काफी होशियार थे। उन्होंने साल 2011 में मैट्रिक की परीक्षा में जिले स्तर पर टॉप किया था। इसके बाद साल 2013 में आईआईटी कानपुर में प्रवेश लिया था। कोर्स पूरा होने के बाद उन्होंने रिलायंस कंपनी में नौकरी जॉइन की थी। हालांकि उन्होंने बाद में यूपीएससी की तैयारी के लिए नौकरी छोड़ दी थी।
Sucess Story In Hindi: पिता के सपने को हकीकत में बदल दियाविशाल के पिता हमेशा कहा करते थे कि, उनका बेटा पढ़ लिखकर बड़ा आदमी बनेगा। विशाल ने आखिरकार कड़ी मेहनत व संघर्ष और अदम्य इच्छाशक्ति के दम पर पिता के सपने को हकीकत में बदल दिया। आज आईएएस बनकर ना उन्होंने अपने माता पिता का नाम रोशन किया बल्कि उन हजारों एस्पिरेंट्स के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं, जो गरीबी व पैसे के अभाव को अपनी असफलता का कारण बताते हैं।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | एजुकेशन (education News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
End of Article
TNN एजुकेशन डेस्क author
सरकारी नौकरी हर युवा की चाह है। आईएएस, पीसीएस जैसी कई नौकरियां ऐसी हैं, जिनके मिलने के बाद करियर फर्...और देखें
End Of Feed
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited