कभी पिता के साथ खेती करते थे रवि कुमार सिहाग, जानें हिंदी मीडियम से परीक्षा देकर कैसे बन गए IAS
UPSC Success Story, IAS Ravi Sihag: माना जाता है कि हिंदी मीडियम के छात्रों के लिए यूपीएससी की राह अधिक चुनौतीपूर्ण होती है। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे IAS के बारे में बताएंगे, जिन्होंने हिंदी मीडियम से होने के बावजूद भी यूपीएससी परीक्षा में परचम लहराया है।
IAS Ravi Sihag
UPSC Success Story, IAS Ravi Sihag: देश के लाखों युवा यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करते हैं। हालांकि, इस परीक्षा में सफलता हासिल करना सबके बस की बात नहीं है। माना जाता है कि हिंदी मीडियम के छात्रों के लिए यूपीएससी की राह अधिक चुनौतीपूर्ण होती है। दरअसल, यूपीएससी की तैयारी के लिए ज्यादातर संसाधन अंग्रेजी में ही उपलब्ध है। ऐसे में हिंदी मीडियम के छात्रों को दोगुनी मेहनत करनी पड़ती है। हालांकि, मेहनत करने वालों के लिए माध्यम कभी रुकावट नहीं बनती है। आज हम आपको एक ऐसे ही IAS के बारे में बताएंगे, जिन्होंने हिंदी मीडियम से होने के बावजूद भी यूपीएससी परीक्षा में परचम लहराया है।
पिता के साथ की खेती
आज हम आपको यूपीएससी परीक्षा में 18वीं रैंक हासिल करने वाले रवि कुमार सिहाग के बारे में बताएंगे। रवि मूल रूप से राजस्थान के श्री गंगा नगर जिले के रहने वाले हैं। उनके पिता एक साधारण किसान हैं। रवि भी खेती और किसानी में अपने पिता का हाथ बंटाते थे। एजुकेशन की बात करें तो रवि ने 7वीं तक की पढ़ाई पैतृक गांव के सरस्वती विद्या मंदिर से की है। फिर 11वीं की पढ़ाई अनूपगढ़ के शारदा स्कूल और 12वीं की विजयनगर के एक सीनियर सेकंडरी स्कूल से हुई। रवि ने इसके बाद अनूपगढ़ के शारदा कॉलेज से बीए की डिग्री हासिल की है।
हिंदी मीडियम के टॉपर
रवि ने कुल 4 बार यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा दी थी, जिसमें वह 3 बार सफल भी रहे। साल 2018 में यूपीएससी के पहले प्रयास में उन्होंने 337वीं और फिर 2019 में 317वीं रैंक हासिल की थी। साल 2020 में तीसरे प्रयास में वह मुख्य परीक्षा भी पास नहीं कर पाए थे। फिर साल 2021 में चौथे प्रयास में उन्होंने 18वीं रैंक हासिल की थी। वह यूपीएससी परीक्षा 2021 में हिंदी मीडियम के टॉपर भी थे।
हिंदी के साथ पढ़ें अंग्रेजी
रवि अपनी सफलता में भाषा को कभी बाधा के रूप में नहीं देखते हैं। उनका कहना है कि यदि सही दिशा में परिश्रम किया जाए तो इस परीक्षा को किसी भी भाषा में क्रैक किया जा सकता है। हालांकि, वह हिंदी के साथ साथ अंग्रेज़ी भाषा को भी पढ़ने की सलाह देते हैं क्योंकि कामकाज और अन्य स्थानों पर अंग्रेजी की उपयोगिता को नकारा नहीं जा सकता है।
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TNN एजुकेशन डेस्क author
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