UPSC Success Story, Jyoti Chaurasia SDM: पिता चलाते थे पान की दुकान...पीसीएस बन बेटी ने बढ़ाया मान, छठी बार में क्रैक किया UPPCS एग्जाम
UPSC Success Story, Jyoti Chaurasia SDM: उत्तर प्रदेश के गोण्डा जिले की रहने वाली ज्योति चौरसिया ने गरीबी और अभावों के बावजूद अपनी अदम्य इच्छाशक्ति व संघर्ष के दम पर यूपीएससी की परीक्षा क्वालीफाई कर पीसीएस अधिकारी बन अपने परिवार का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। बता दें ज्योति के पिता एक पान की दुकान चलाते हैं। ज्योति की इस सफलता के पीछे जो मेहनत व संघर्ष छिपा है, वो आज करोड़ो युवाओं के लिए प्रेरणा है।
UPSC Success Story, Jyoti Chaurasia SDM: पीसीएस ज्योति चौरसिया के सफलता की कहानी
UPSC Success Story, UP PCS Success Story, Jyoti Chaurasia SDM: कुछ कर गुजरने की इच्छा व कड़ी मेहनत से व्यक्ति बड़े से बड़े मुकाम को हासिल कर सकता है। गोण्डा की तंग गलियों में रहने वाली ज्योति चौरसिया कि यह कहानी भी कुछ ऐसी है, जिसने गरीबी और अभावों के बावजूद अपनी अदम्य इच्छाशक्ति व संघर्ष के दम पर भारत की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा यानी सिविल सेवा सर्विसेज एग्जाम को क्वालीफाई कर पीसीएस अधिकारी बन अपने परिवार का सिर गर्व से ऊंचा (Success Story) कर दिया।
उत्तर प्रदेश के पीसीएस परीक्षा में ज्योति चौरसिया ने 21वीं रैंक (SDM Jyoti Chaurasia) हासिल की। हालांकि यह ज्योति के लिए आसान नहीं था। उनकी सफलता के पीछे कांटो भरे सफर की दास्तां सुन आप भी भावुक(UP PCS Success Story) हो उठेंगे। ज्योति चौरसिया की इस सफलता के पीछे जो मेहनत व संघर्ष छिपा है, वो आज करोड़ो युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो रात दिन एक कर सिविल सर्विसेज परीक्षा की तैयारी में लगे हुए हैं।
ज्योति ने अपने मुकाम को हासिल करने के लिए जितनी मेहनत की उतना ही संघर्ष उनके भाई और पिता ने भी किया। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार को दिया। ज्योति ने बताया कि, अपनी मंजिल को पाने के लिए उन्हें काफी समय लग गया। इस दौरान परिवार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं स्वास्थ्य खराब होने के कारण ज्योति की पढ़ाई भी बाधित हुई, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत व संघर्ष के दम पर अपने लक्ष्य को प्राप्त किया।
मीडिया को दिए एक इंटरव्यू के दौरान ज्योति ने बताया कि, एक समय ऐसा भी आया जब घर में गरीबी का आलम इस कदर था कि, किसी-किसी दिन शाम तक परिवार के लिए भरपेट खाने का इंतजाम करना भी मुश्किल हो जाता था, लेकिन उनके पिता ने कभी हार नहीं मानी। वह दिन रात पान की दुकान चलाकर परिवार की जरूरतों को पूरा करते थे, ज्योति इसे बताते हुए काफी भावुक हो उठी।
परिवार ने हमेशा बढ़ाया हौसला
परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण भाई भी कम उम्र में पिता के साथ पान की दुकान चलाने लगा, लेकिन उसने कभी उनकी पढ़ाई में बाधा नहीं आने दी। ज्योति ने कहा कि, आज मैं जो भी कुछ हूं अपने परिवार की वजह से हूं, मेरे परिवार ने हमेशा से मेरा हौसला बढ़ाया है। वह हमेशा से मेरी कमजोरियों को मेरी ताकत बनाते रहे हैं।
मूलरूप से देवरिया की रहने वाली हैं ज्योति
ज्योति मूलरूप से उत्तर प्रदेश की देवरिया की रहने वाला हैं, लेकिन काम की तालाश में उनका परिवार 90 के दशक में गोंडा में शिफ्ट हो गया था। यहीं से ज्योति ने अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी की। 12वीं करने के बाद ज्योति ने श्री रघुकुल महिला विद्यापीठ से साइंस में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद वह सिविल सेवा की परीक्षा की तैयारी के लिए लखनऊ रवाना हो गई।
मंजिल लंबी थी और रास्ता बेहद मुश्किल
ज्योति ने बताया कि, वह बचपन से ही आईपीएस अधिकारी बनना चाहती थी, लेकिन ग्रजेुएशन के समय जब उन्होंने कॉलेज में दौरे पर आए डीएम रोशन जैकम मैम को देखा, तो यह ठान लिया कि अब मुझे भी यह पद हासिल कर देश की सेवा करना है। ज्योति हमेशा से स्वामी विवेकानंद को अपना आदर्श मानती आई हैं। हालांकि मंजिल लंबी थी और रास्ता बेहद मुश्किल और छोटा था। इस दौरान ज्योति को लगातार 6 बार असफलता का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि, इस मुश्किल घड़ी में उनके परिवार के सदस्य व दोस्त हमेशा उनका हौसला बढ़ाते आए और तमाम मुश्किलों के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी।
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आदित्य सिंह author
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की नगरी अयोध्या का रहने वाला हूं। लिखने-पढ़ने का शौकीन, राजनीति और श...और देखें
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