General Knowledge: अंतरराज्यीय चीता संरक्षण परिसर क्या है? सामान्य ज्ञान का जरूरी प्रश्न

What is Interstate Cheetah Conservation Complex: भारत का लक्ष्य अगले 25 वर्ष के भीतर मध्य प्रदेश और राजस्थान के कुनो-गांधी सागर परिक्षेत्र में एक अंतर-राज्यीय चीता संरक्षण परिसर का निर्माण करना है।

Interstate Cheetah Conservation Complex

अंतरराज्यीय चीता संरक्षण परिसर (image - canva)

What is Interstate Cheetah Conservation Complex in Hindi: भारत का लक्ष्य अगले 25 वर्ष के भीतर मध्य प्रदेश और राजस्थान के कुनो-गांधी सागर परिक्षेत्र में एक अंतर-राज्यीय चीता संरक्षण परिसर का निर्माण करना है। सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए केंद्र व उनके राज्य से जुड़ी परियोजनाओं के बारे में जानना बेहद जरूरी होता है, ऐसे में आज इस लेख के माध्यम से जानें क्या है अंतरराज्यीय चीता संरक्षण परिसर, और क्यों है यह जरूरी

पूरे हुए ‘प्रोजेक्ट चीता’ के दो वर्ष

‘प्रोजेक्ट चीता’ के दो वर्ष पूरे होने पर 17 सितंबर को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वर्ष के अंत तक गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में चीतों का एक नया समूह लाए जाने की संभावना है तथा उन्हें अगले पांच वर्ष तक खुले परिवेश में छोड़ा जाएगा।

‘‘गांधी सागर में चीता लाने की कार्य योजना’’ के अनुसार पहले चरण में पांच से आठ चीतों को 64 वर्ग किलोमीटर के शिकारी-रोधी बाड़ वाले क्षेत्र में छोड़ा जाएगा, जिसमें प्रजनन पर ध्यान दिया जाएगा।

25 साल का है टारगेट

रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्य प्रदेश और राजस्थान की अंतरराज्यीय सीमा पर ये दोनों स्थल एक-दूसरे से सटे हुए हैं। इसमें कहा गया है कि ‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत देश का लक्ष्य अगले 25 वर्ष के भीतर मध्य प्रदेश और राजस्थान के कुनो-गांधी सागर परिक्षेत्र में एक अंतर-राज्यीय चीता संरक्षण परिसर का निर्माण करना है।

यह व्यापक कूनो-गांधी सागर परिक्षेत्र मध्य प्रदेश के श्योपुर, शिवपुरी, ग्वालियर, मुरैना, गुना, अशोकनगर, मंदसौर और नीमच जिलों और राजस्थान के बारां, सवाई माधोपुर, करौली, कोटा, झालावाड़, बूंदी और चित्तौड़गढ़ जिलों में स्थित है।

इस परिसर का हिस्सा कहां तक होगा फैला

रिपोर्ट के अनुसार, इस क्षेत्र से सटे मध्य प्रदेश के भिंड और दतिया जिले, राजस्थान के धौलपुर तथा उत्तर प्रदेश के ललितपुर और झांसी को इस परिसर का हिस्सा बनाया जाएगा जो इस बात पर निर्भर करेगा कि चीते इस क्षेत्र का किस प्रकार इस्तेमाल करते हैं।

अधिकारी 368 वर्ग किलोमीटर के गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य को चीतों के अगले समूह के लिए तैयार करने में व्यस्त हैं जबकि कुनो में चीते केवल 0.5 से 1.5 वर्ग किलोमीटर के आकार वाले बाड़ों के अंदर ही रह रहे हैं।

अधिकारियों के अनुसार तीन चीतों एक मादा टिबिलिसी (नामीबिया से) और दो दक्षिण अफ्रीकी नर चीतों तेजस और सोराज की ‘सेप्टीसीमिया’ से मौत के बाद जानवरों को उनके बाड़ों में वापस लाया गया था। ‘सेप्टीसीमिया’ एक संक्रमण है जो तब होता है जब बैक्टीरिया रक्तप्रवाह में प्रवेश करते हैं और फैलते हैं।

(भाषा इनपुट के साथ)

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नीलाक्ष सिंह author

उत्तर प्रदेश की राजधानी, नवाबों के शहर लखनऊ का रहने वाला हूं। स्कूली शिक्षा, ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन डिग्री सब इसी शहर से प्राप्त की। मीडिया क्ष...और देखें

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