Women's Day 2024: माता पिता करते थे मजदूरी, इंटरव्यू में जाने के नहीं थे पैसे - केरल की पहली आदिवासी महिला IAS की कहानी
Women's Day 2024, International Women's Day 2024: कड़ी मेहनत व संघर्ष से व्यक्ति बड़े से बड़े मुकाम को हासिल कर सकता है...यह पंक्ति केरल की पहली आदिवासी महिला आईएएस श्रीधन्या सुरेश पर सटीक बैठती है। श्रीधन्या आज हजारों आदिवासी युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं।
Womens Day 2024:केरल की पहली आदिवासी महिला की कहानी
Women's Day 2024, International Women's Day 2024: मंजिलें उन्हें नहीं मिलती जिनके ख्वाब बड़े होते हैं, बल्कि मंजिलें उन्हें मिलती हैं जो जिद पर अड़े होते हैं...यह लाइन केरल की पहली आदिवासी महिला श्रीधन्या सुरेश पर सटीक (Women's Day 2024) बैठती है। श्रीधन्या सुरेश का नाम ज्यादा चर्चित तो नहीं लेकिन इनकी कहानी किसी चर्चा के विषय से कम भी (IAS Success Story) नहीं है। श्रीधन्या साल 2018 कैडर की आईएएस (UPSC Scuccess Story In Hindi) ऑफिसर हैं। हालांकि आईएएस के पद पर पहुंचना श्रीधन्या के लिए किसी कांटेभरे सफर से कम नहीं रहा, लेकिन श्रीधन्या ने अपने सपनों से कोई समझौता नहीं किया और कड़ी मेहनत व संघर्ष के दम पर अपने मुकाम को हासिल किया।
श्रीधन्या केरल के सबसे पिछड़े जिले वायनाड से ताल्लुक रखती हैं। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया था कि मेरे आसपास के जिले से अब तक किसी ने यूपीएससी की परीक्षा क्वालीफाई नहीं किया था, यहां तक कि लोग अब तक यूपीएससी या आईएएस के बारे में जानते भी नहीं थे, लेकिन मुझे भरोसा है कि मेरी उपलब्धि से प्रेरित होकर यहां के युवा अब सिविल सर्विसेज की तैयारी करेंगे। उन्होंने वायनाड के एक छोटे से स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की। इसके बाद कोझिकोट के सेंट जोसेफ कॉलेज (कालीकट) से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। ग्रेजुएशन के बाद श्रीधन्या ने जूलॉजी में मास्टर डिग्री हासिल की।
IAS Success Story: छात्रावास में किया वार्डन का काम
इसके बाद परिवार का पालन पोषण करने के लिए उन्होंने राज्य सरकार के अनुसूचित जनजाति विकास विभाग में क्लर्क की नौकरी की। श्रीधन्या का परिवार उन दिनों आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा था, गरीबी का आलम इस कदर था कि किसी दिन शाम तक परिवार के लिए भरपेट खाने का इंतजाम करना भी मुश्किल हो जाता था। यही कारण था कि उन्होंने आदिवासी छात्रों के छात्रावास में वार्डन के रूप में भी काम किया। लेकिन इस बीच उन्होंने आईएएस श्रीराम सांबा राव को देखा, लोगों को एक कतार में उनका इंतजार करते देख उनका सपना जुनून में बदल गया और यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी।
Success Story In Hindi: पिता बेचते थे धनुष बांण मां करती थी मरनरेगा में काममंजिल लंबी थी और रास्ता बेहद मुश्किल, इस रास्ते पर चलना श्रीधन्या के लिए कठिनाइयों से भरा था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत व संघर्ष के दम पर अपने सपने को साकार किया। एक इंटरव्यू के दौरान श्रीधन्या ने बताया था कि उनके पिता परिवार के पालन पोषण के लिए दिहाड़ी मजदूरी करते थे, इसके अलावा गांव व शहरों में जाकर धनुष बाण बनाकर बेचते थे। मां मनरेगा में काम करती थी। उन्होंने बताया कि अन्य आदिवासी परिवारों की तरह मेरे माता पिता ने मुझपर किसी तरह की रोकटोक नहीं लगाई। हमारा परिवार बेहद गरीब था, लेकिन माता पिता ने गरीबी को कभी मेरी पढ़ाई के आड़े नहीं आने दिया।
Women's Day 2024 Special: तीसरे अटेम्प्ट में क्वालीफाई किया यूपीएससीश्रीधन्या ने साल 2016 और 2017 में पहली बार संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा में भाग लिया। लेकिन प्रीलिम्स में डिक्वालीफई होने के कारण आगे की चयन प्रक्रिया में शामिल नहीं हो पाई। हालांकि श्रीधन्या ने हार नहीं मानी और 2018 में एक बार फिर यूपीएससी की परीक्षा दिया और तीसरे अटेम्प्ट में 410वीं रैंक प्राप्त कर पूरे समाज का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया।
Women's Day 2024: इंटरव्यू नें जाने के लिए नहीं थे पैसेश्रीधन्या के मेन्स क्वालीफाई करने के बाद भी चुनौतिया बरकरार रही। उनके पास यूपीएससी के इंटरव्यू के लिए दिल्ली जाने के लिए पैसे नहीं थे। यही कारण था कि परिवार की खुशी उदासीनता में बदल गई थी। लेकिन जब ये बात उनके दोस्तों को पता चली तो उन्होंने पैसे को उनके सपने के आडे़ नहीं आने दिया और सभी ने चंदा एकत्रित कर 40000 रुपये की व्यवस्था की। इसके बाद तो मानों श्रीधन्या के सपनों को उड़ान मिल गई और फिर वह एक आईएएस ऑफिसर बनकर लौटी।
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TNN एजुकेशन डेस्क author
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