लोकसभा चुनाव 1957: साढ़े तीन महीने चला इलेक्शन, कांग्रेस ने फिर लहराया परचम, अटल बिहारी वाजपेयी ने जीता पहला चुनाव

1957 Lok Sabha Elections: आजाद भारत में हुए दूसरे आम चुनाव की कई खासियतें रहीं। इस चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस जबरदस्त प्रदर्शन किया। वहीं, अटल बिहारी वाजपेयी ने अपना पहला चुनाव जीता।

Kissa chunav ka 1957

देश का दूसरा आम चुनाव 1957

1957 Lok Sabha Elections: आजाद भारत का दूसरा आम चुनाव 1957 में 24 फरवरी से 9 जून तक चला था। यानी यह चुनाव साढ़े तीन महीने तक चला। जहां पहले पहले आम चुनाव में सीटों की कुल संख्या 489 थी, जो दूसरे आम चुनाव में बढ़ाकर 494 कर दी गई थी। इस चुनाव में कुल पंजीकृत वोटरों में 45.44 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। इसमें एक बार फिर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जबरदस्त प्रदर्शन किया। पार्टी ने पिछले चुनावों के मुकाबले इस बार सात अधिक सीटें जीतीं। इस चुनाव में परिसीमन के बाद 5 लोकसभा सीटों की बढ़ोतरी भी की गई थी। चुनाव में कांग्रेस के वोट शेयर में भी उछाल देखा गया जो 45% से 47.8% तक पहुंच गया। दूसरी सबसे बड़ी पार्टी रही कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया जिसे 10 फीसदी वोट मिले।

किस पार्टी को कितनी सीटें

पार्टी सीटेंवोट प्रतिशत
कांग्रेस37147.78
सीपीआई278.92
प्रजा सोशलिस्ट पार्टी1910.41
भारतीय जनसंघ045.97
अनुसूचित जाति महासंघ061.69
गणतंत्र परिषद071.07
झारखंड पार्टी060.62

कुछ दिलचस्प तथ्य

  • इस चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस उत्तर भारत में एक बार फिर बड़ी ताकत बनकर उभरी और उसकी 85.5% सीटें वहीं से आईं।
  • 1957 के चुनाव में मतदान प्रतिशत में मामूली उछाल देखा गया। 1951-52 में 44.87% से बढ़कर 45.44% हो गया।
  • दिलचस्प यह रहा कि 42 सीटें और 19.3% वोट स्वतंत्र उम्मीदवारों यानी निर्दलीयों को मिले।
  • देश के दूसरे चुनाव में सिर्फ 45 महिला उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा और उनमें से आधे 22 ने जीत दर्ज की।
  • पहले चुनाव (1951-52) की तरह कांग्रेस ने उत्तर भारत पर अपना दबदबा बनाया और वहां 85.5 प्रतिशत सीटें जीतीं। इसके बाद से इसमें लगातार गिरावट आई।
  • हर निर्वाचन क्षेत्र में उम्मीदवारों की औसत संख्या लगभग तीन थी और यह स्थिति 1977 के चुनावों तक कमोबेश जारी रही।

अटल बिहारी वाजपेई ने अपना पहला चुनाव जीता

चुनावों में विरोधी दल की तरफ से जीत हासिल करने वाले सबसे बड़े नेताओं में से एक रहे अटल बिहारी वाजपेयी। अटल ने इन चुनावों में अपनी पहली जीत दर्ज की थी। इसी चुनाव में अटल बिहारी वाजपेई ने अपना पहला चुनाव जीता। उन्होंने यूपी की बलरामपुर सीट से जीत हासिल की। उसी साल प्रधानमंत्री नेहरू ने उनकी वक्तृत्व कौशल की प्रशंसा की थी। नेहरू ने यह भी सही भविष्यवाणी की थी कि वाजपेयी एक दिन भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे। वहीं, फिरोज गांधी को रायबरेली से फिर से चुना गया जो उनका आखिरी चुनाव था। इन चुनावों में जीत के बाद वी के कृष्ण मेनन बहुत ताकतवर होने जा रहे थे। उनके पास विदेश मामलों का विभाग था, जिससे आने वाले वर्षों में जबरदस्त प्रभाव पड़ा।

इन 17 राज्यों में हुए चुनाव

1957 लोकसभा चुनाव कुल 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हुए थे। ये राज्य थे- आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, बंबई, केरल, मध्य प्रदेश, मद्रास, मैसूर, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दिल्ली (केंद्रशासित), हिमाचल प्रदेश (केंद्रशासित), मणिपुर (केंद्रशासित), त्रिपुरा (केंद्रशासित)

मैदान में थे ये चार बड़े राजनीतिक दल

कांग्रेस के अलावा तीन और प्रमुख पार्टियां मैदान में थीं। ये राष्ट्रीय दल थे - भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, अखिल भारतीय भारतीय जनसंघ और प्रजा सोशलिस्ट पार्टी। 1957 का चुनाव इन्हीं के बीच था।

1957 के चुनावों में अन्य पार्टियां

छोटा नागपुर संथाल परगना जनता पार्टी
फॉरवर्ड ब्लॉक (मार्क्सवादी)
गणतंत्र परिषद
अखिल भारतीय हिंदू महासभा
झारखंड पार्टी
पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट
प्रजा सोशलिस्ट पार्टी
किसान और श्रमिक पार्टी
अखिल भारतीय रामराज्य परिषद
रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी
अखिल भारतीय अनुसूचित जाति महासंघ
पीजेंट एंड वर्कर्स पार्टी ऑफ इंडिया
हिंदू महासभा

कठिन दौर में हुआ चुनाव

यह देश के लिए एक कठिन दौर में हुआ चुनाव था, जिसमें जवाहरलाल नेहरू अपनी पार्टी के भीतर दक्षिणपंथियों और बाहर कम्युनिस्टों और समाजवादियों से लड़ रहे थे। ये चुनाव हिंदू पर्सनल लॉ सुधारों और 1955 के बांडुंग सम्मेलन की पृष्ठभूमि में हुआ जिसमें नेहरूवादी गुटनिरपेक्षता की शुरुआत हुई थी। शीत युद्ध के वर्षों के दौरान नए स्वतंत्र और बड़े देश भले ही अविकसित थे, लेकिन इन्होंने एक साहसिक फैसला लिया।

बड़ी-बड़ी परियोजनाओं की शुरुआत

इस दौर में देश भाषा विवादों से जूझ रहा था, राज्य पुनर्गठन आयोग की स्थापना की गई थी, और इसी चरण के दौरान भारत को कमोबेश अपने-अपने राज्य मिले। इसी दौर में उच्च शिक्षा योजनाएं, विशेषकर आईआईटी, पंचवर्षीय योजनाओं को महत्व दिया गया और बड़े बांधों और बड़ी परियोजनाओं की तरफ कदम बढ़ाए गए। राज्य विधानसभाओं और केंद्र में कांग्रेस के शासन के बावजूद भूमि सुधार बहुत आगे नहीं बढ़ पाया और भोजन की असुरक्षा मंडराने लगी। सीटों की संख्या और वोट शेयर बढ़ने से कांग्रेस ने अपनी पकड़ और मजबूत की। लोकसभा ने अपना पूरा कार्यकाल पूरा किया।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | इलेक्शन (elections News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

लेटेस्ट न्यूज

अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited