'कांग्रेस को सनातन का विरोध ले डूबा', चुनावी हार को लेकर अपनी ही पार्टी पर भड़के आचार्य प्रमोद

Assembly Elections Result 2023: चार राज्यों के चुनावी रुझानों से नतीजों की तस्वीर लगभग साफ हो चुकी है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की लुटिया डूब गई। आचार्य प्रमोद ने अपनी ही पार्टी पर तंज कसते हुए कहा है कि हमें सनातन का विरोध ले डूबा ये सनातन का श्राप है।

Acharya Pramod Krishnam Slams Congress

आचार्य प्रमोद ने कांग्रेस पर कसा तीखा तंज।

Assembly Election Result News: कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनावों में मिली करारी शिकस्त को लेकर अपनी ही पार्टी पर तीखा तंज कसा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जब तक सनातन का विरोध करती रहेगी तब तक हारती रहेगी। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि सनातन का श्राप कांग्रेस को ले डूबा।

'कांग्रेस की पहचान, सनातन विरोधी पार्टी के तौर पर'

आचार्य प्रमोद ने कहा कि 'मुझे लगता है ये कांग्रेस की हार नहीं है, ये वामपंथ की हार है। कुछ दिनों से कांग्रेस में कुछ ऐसे नेता घुस आए थे और घुस आए हैं उनका बड़ा प्रभुत्व है। कांग्रेस के सभी फैसलों में उनकी बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका है। वो कुछ नेता कांग्रेस को महात्मा गांधी के रास्ते से हटाकर वामपंथ के रास्ते पर ले जाना चाह रहे हैं और ले जा रहे हैं। जो कांग्रेस पार्टी महात्मा गांधी के रास्ते पर चलकर यहां तक आई है, महात्मा गांधी जी की सभा के शुरुआत रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम से होती थी, आज उस कांग्रेस को सनातन के विरोधी पार्टी के तौर पर जाना जाने लगा है ये दुर्भाग्य की बात है।'

ऐसे नेताओं को पार्टी से बाहर निकालने की दी नसीहत

आचार्य प्रमोद ने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी ने अगर ऐसे नेताओं को नहीं निकाला तो कांग्रेस पार्टी की हालत बहुत जल्दी एआईएमआईएम जैसी हो जाएगी। कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व को इसपर विचार करना चाहिए। कांग्रेस को महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी की कांग्रेस रहने दिया जाए। कांग्रेस को महात्मा गांधी के रास्ते से हटाकर मार्क्स के रास्ते पर ले जाने वाले जो नेता है उनको बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए।

सनातन के श्राप ने कांग्रेस पार्टी को ले डूबा- आचार्य प्रमोद

कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत भावनाओं का देश है और सनातन का विरोध हमें ले डूबा है। जातिवादी राजनीति को कभी इस देश ने स्वीकार नहीं किया है। 6 सितंबर 1990 का राजीव गांधी का भाषण है संसद में वो सुन लीजिएगा। ये देश अगर जातिवादी होता तो विश्वनाथ प्रताप सिंह को गांव-गांव पूजा जाता। विश्वनाथ प्रताप सिंह से बड़ा कोई जातिवाद का कार्ड खेलने वाला नहीं था, लेकिन उनकी हालत इस देश में क्या हुई ये सबके सामने है। इसलिए जातिवादी राजनीति और सनातन का विरोध हमें ले डूबी। इस हार का विश्लेषण होगा, जो इन राज्यों के चुनाव प्रभारी हैं अगर उनमें जरा सी भी शर्म हो तो उनको तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए। हमें सनातन का विरोध ले डूबा ये सनातन का श्राप है।

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