अपने चाचा की छाया से बाहर निकले अजित पवार, शरद पवार की पकड़ कैसे पड़ी कमजोर? समझें सारे समीकरण
Chacha vs Bhatija: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजों ने ये तो साफ कर दिया है कि अजित पवार अब अपने चाचा शरद पवार की छाया से बाहर निकल चुके हैं। उन्होंने न सिर्फ चाचा से लोकसभा चुनाव का बदला लिया, बल्कि बारामती में पकड़ बरकरार रखी। आपको समझाते हैं कि इन नतीजों से चाचा-भतीजे की जंग में अजित पवार कितने मजबूत हुए।
शरद पवार vs अजित पवार की लड़ाई में दमदार कौन?
Ajit Pawar vs Sharad Pawar: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने अपने राजनीतिक जीवन के अंत की भविष्यवाणियों को गलत साबित करते हुए विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को शानदार जीत दिलाकर और मतों के भारी अंतर से अपनी सीट बरकरार रखकर महायुति में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। राकांपा संस्थापक शरद पवार के खिलाफ बगावत करने के एक साल से अधिक समय बाद वह अब अपने चाचा की छाया से बाहर आ गए हैं और उन्होंने राज्य की राजनीति में अपनी जगह मजबूत कर ली है।
बारामती सीट पर अजित पवार ने बरकरार रखी अपनी पकड़
विभिन्न सरकारों में कई बार उपमुख्यमंत्री रह चुके 65 वर्षीय अजित पवार की मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा छिपी नहीं है लेकिन उनका यह सपना अब भी अधूरा है। अजित पवार ने इस वर्ष के शुरू में जब लोकसभा चुनाव में अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को अपनी चचेरी बहन सुप्रिया सुले के खिलाफ बारामती से चुनाव मैदान में उतारा तो उनकी राजनीतिक सूझबूझ पर संदेह पैदा हो गया था। सुप्रिया सुले राकांपा (शरदचंद्र पवार) प्रमुख शरद पवार की बेटी हैं।
सुनेत्रा पवार चुनाव हार गईं और बाद में अजित पवार को उन्हें मैदान में उतारने पर अफसोस हुआ। बहरहाल, शरद पवार द्वारा अजित के खिलाफ आक्रामक प्रचार किए जाने के बावजूद राकांपा प्रमुख ने अब पारिवारिक गढ़ बारामती विधानसभा क्षेत्र पर अपनी पकड़ बरकरार रखी है। राज्य की 288 सदस्यीय विधानसभा के चुनावों के परिणामों के अनुसार, अजित पवार की पार्टी ने 59 सीट पर चुनाव लड़कर 41 सीट जीतीं और 9.01 प्रतिशत मत प्रतिशत हासिल किए। यह 2024 के लोकसभा चुनाव में राकांपा के खराब प्रदर्शन के बिलकुल विपरीत है। पार्टी ने राज्य की चार लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ा था जिनमें उसे केवल एक सीट मिली थी।
युगेंद्र पवार को बारामती में एक लाख से अधिक मतों से हराया
अजित पवार ने अपने भतीजे और राकांपा (शरदचंद्र पवार) के उम्मीदवार युगेंद्र पवार को बारामती सीट पर एक लाख से अधिक मतों से हराया। अजित पवार ने पुणे जिले में स्थित अपने पारिवारिक गढ़ बारामती से आठवीं बार चुनाव लड़ा और उन्हें 1,81,132 वोट मिले, जबकि युगेंद्र पवार को 80,233 वोट हासिल हुए। इस तरह अजित पवार ने अपने छोटे भाई के बेटे युगेंद्र को 1,00,899 के अंतर से हरा दिया।
राकांपा प्रमुख 2019 से तीन बार उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। उन्होंने 2014 से पहले कांग्रेस-राकांपा शासन में भी दो बार इस पद पर कार्य किया। अजित पवार ने पांच साल पहले 23 नवंबर, 2019 को एक समारोह में उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। उसी समय भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।
बहरहाल अजित पवार ने इसके केवल तीन दिन बाद इस्तीफा दे दिया था जिससे अल्पकालिक सरकार गिर गई। वह बाद में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाडी सरकार में उपमुख्यमंत्री बने। वह पिछले साल राज्य में एकनाथ शिंदे-भाजपा सरकार में शामिल हो गए और फिर से उपमुख्यमंत्री बने। इसी के साथ वह अपने चाचा द्वारा स्थापित राकांपा में विभाजन का कारण बने।
कौन हैं अजित पवार, कैसे राजनीति में हुई थी उनकी एंट्री?
अजित पवार शरद पवार के बड़े भाई अनंतराव पवार के बेटे हैं। अजित जब 18 साल के थे तब अनंतराव पवार का निधन हो गया था। उन्होंने 1982 में शरद पवार के नक्शेकदम पर चलते हुए राजनीति में कदम रखा। उस समय उन्हें एक चीनी सहकारी समिति के बोर्ड में चुना गया। उन्हें 1991 में पुणे जिला सहकारी बैंक का अध्यक्ष चुना गया और वह इस पद पर 16 वर्ष तक रहे।
बारामती से लगातार विधायक चुने जाते रहे हैं अजित पवार
अजित पवार ने पहली बार 1991 में चुनाव लड़ा था। वह उस समय बारामती से लोकसभा के लिए चुने गए थे लेकिन शरद पवार के पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की सरकार में रक्षा मंत्री बनने के बाद उन्होंने सीट खाली कर दी थी। वह उसी वर्ष बारामती से विधायक चुने गए और तब से इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। राकांपा नेता ने कई वर्षों तक सिंचाई, जल संसाधन विभाग और वित्त सहित कई मंत्री पदों पर कार्य किया है।
महाराष्ट्र ओलंपिक संघ और राज्य कबड्डी संघ के अध्यक्ष
अजित पवार शरद पवार द्वारा स्थापित शैक्षणिक संस्थान विद्या प्रतिष्ठान, बारामती के न्यासी हैं। वह 1999 तक महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक और दिसंबर 1998 तक पुणे जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने राज्य दुग्ध महासंघ और राज्य खो-खो संघ के निदेशक के रूप में भी काम किया है। अजित पवार वर्तमान में महाराष्ट्र ओलंपिक संघ और राज्य कबड्डी संघ के अध्यक्ष हैं।
पिछले साल उपमुख्यमंत्री बनने से पहले वह राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता थे। उन्होंने राकांपा की प्रदेश इकाई का नेतृत्व करने की इच्छा व्यक्त की थी। इसके कुछ दिन बाद वह कई अन्य वरिष्ठ राकांपा नेताओं के साथ एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए। विधायकों की संख्या के आधार पर अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट को राकांपा नाम और उसका ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न दिया गया।
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