महाराष्ट्र की सियासत में इन दिनों गजब का उबाल देखने को मिल रहा है। चुनावी मौसम में सियासी पारा का परवान चढ़ना लाजमी है। हरियाणा में ये सवाल है कि क्या भारतीय जनता पार्टी को सूबे की जनता लगातार तीसरी बार शासन का मौका देगी या फिर एंटी इनकंबेसी के चलते इस बार भाजपा हैट्रिक लगाने से चूक जाएगी? कांग्रेस की चाहत होगी कि वो इस बार के चुनावी नतीजों में पिछले 10 साल के सूखे को खत्म करे।
जननायक जनता पार्टी (जजपा), इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और आम आदमी पार्टी (आप) को भी इस बार बेहतर करने की उम्मीद कर रहे होगी। हालांकि जनता का मिजाज क्या है, इसका जवाब आने वाले 8 अक्टूबर को मिल जाएगा। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव (Jammu-Kashmir Assembly Elections) पर पूरे देश की निगाहें टिकी हैं। वजह किसी से नहीं छिपी है, साल 2019 में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त किए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहली बार विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर का पहला मुख्यमंत्री कौन बनेगा, सूबे में किस पार्टी या गठबंधन को बहुमत का जादुई आंकड़ा हासिल होगा? इन सभी सवालों का जवाब भी आठ अक्टूबर को ही मिलेगा। क्योंकि यही वो तारीख है, जब हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में हो रहे विधानसभा चुनावों के नतीजे (Assembly Election Results) आएंगे।
महाराष्ट्र चुनाव में मतदान (Jammu-Kashmir Assembly Election 2024 Voting) के लिए तीन चरणों- 18 सितंबर, 25 सितंबर और एक अक्टूबर की तारीख मुकर्रर की गई है। जबकि हरियाणा में विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections 2024 Voting) के लिए एक ही चरण में पांच अक्टूबर को वोटिंग की तारीख तय की गई। जम्मू-कश्मीर में 42.6 लाख महिलाओं सहित कुल 87.09 लाख मतदाता हैं, जिनमें 20 लाख से अधिक युवा हैं। मतदान के लिए कुल 11,838 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। इस बार के चुनाव में जम्मू-कश्मीर की 90 सीटों पर कुल 908 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में पिछला विधानसभा चुनाव 2014 के नवंबर-दिसंबर में पांच चरणों में हुआ था। तब यह एक राज्य था और लद्दाख इसका हिस्सा था। वहीं हरियाणा के सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में 2.01 करोड़ मतदाता हैं जिनमें 95 लाख महिलाएं हैं। हरियाणा में वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार है। इसका कार्यकाल तीन नवंबर को पूरा हो रहा है।
पिछले विधानसभा चुनाव (Assembly Election) के बाद राज्य में भाजपा ने जननायक जनता पार्टी (जजपा) के साथ मिलकर गठबंधन की सरकार बनाई थी। हालांकि लोकसभा चुनाव में सीट साझेदारी को लेकर असहमति के बाद यह गठबंधन टूट गया था। बाद में भाजपा ने निर्दलीय विधायकों के समर्थन के दम पर अपनी सरकार बचा ली। हर कोई टकटकी लगाए आठ अक्टूबर का इंतजार कर रहा है, जब जनता के फैसले का पिटारा खुलेगा और ये तय हो जाएगा कि जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में किसके खाते में कितनी सीटें आती हैं और दोनों राज्यों में किस पार्टी की सरकार बनेगी।
जननायक जनता पार्टी (जजपा), इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और आम आदमी पार्टी (आप) को भी इस बार बेहतर करने की उम्मीद कर रहे होगी। हालांकि जनता का मिजाज क्या है, इसका जवाब आने वाले 8 अक्टूबर को मिल जाएगा। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव (Jammu-Kashmir Assembly Elections) पर पूरे देश की निगाहें टिकी हैं। वजह किसी से नहीं छिपी है, साल 2019 में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त किए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहली बार विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर का पहला मुख्यमंत्री कौन बनेगा, सूबे में किस पार्टी या गठबंधन को बहुमत का जादुई आंकड़ा हासिल होगा? इन सभी सवालों का जवाब भी आठ अक्टूबर को ही मिलेगा। क्योंकि यही वो तारीख है, जब हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में हो रहे विधानसभा चुनावों के नतीजे (Assembly Election Results) आएंगे।
महाराष्ट्र चुनाव में मतदान (Jammu-Kashmir Assembly Election 2024 Voting) के लिए तीन चरणों- 18 सितंबर, 25 सितंबर और एक अक्टूबर की तारीख मुकर्रर की गई है। जबकि हरियाणा में विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections 2024 Voting) के लिए एक ही चरण में पांच अक्टूबर को वोटिंग की तारीख तय की गई। जम्मू-कश्मीर में 42.6 लाख महिलाओं सहित कुल 87.09 लाख मतदाता हैं, जिनमें 20 लाख से अधिक युवा हैं। मतदान के लिए कुल 11,838 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। इस बार के चुनाव में जम्मू-कश्मीर की 90 सीटों पर कुल 908 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में पिछला विधानसभा चुनाव 2014 के नवंबर-दिसंबर में पांच चरणों में हुआ था। तब यह एक राज्य था और लद्दाख इसका हिस्सा था। वहीं हरियाणा के सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में 2.01 करोड़ मतदाता हैं जिनमें 95 लाख महिलाएं हैं। हरियाणा में वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार है। इसका कार्यकाल तीन नवंबर को पूरा हो रहा है।
पिछले विधानसभा चुनाव (Assembly Election) के बाद राज्य में भाजपा ने जननायक जनता पार्टी (जजपा) के साथ मिलकर गठबंधन की सरकार बनाई थी। हालांकि लोकसभा चुनाव में सीट साझेदारी को लेकर असहमति के बाद यह गठबंधन टूट गया था। बाद में भाजपा ने निर्दलीय विधायकों के समर्थन के दम पर अपनी सरकार बचा ली। हर कोई टकटकी लगाए आठ अक्टूबर का इंतजार कर रहा है, जब जनता के फैसले का पिटारा खुलेगा और ये तय हो जाएगा कि जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में किसके खाते में कितनी सीटें आती हैं और दोनों राज्यों में किस पार्टी की सरकार बनेगी।
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