Modi Magic in Lok Sabha Election: मोदी मैजिक से लेकर 'W फैक्टर' तक...चार राज्यों के चुनावी नतीजों से निकले ये संकेत, पर आगे क्या? समझिए
Assembly Election 2023: बीजेपी ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को करारी शिकस्त देकर हिंदी भाषी राज्यों में अपनी पकड़ मजबूत की है। इन चुनावी नतीजों को प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व को और मजबूती देने वाला और 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए माहौल तैयार करने वाला माना जा रहा है।
विधानसभा चुनाव के नतीजों में बीजेपी की "हैट्रिक" (तीन सूबों में जीत) के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को माला पहनाकर सम्मानित करते राजनाथ सिंह, जेपी नड्डा और अमित शाह।
Assembly Election 2023: चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में तीन जगह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने शानदार जीत हासिल की है। रविवार (तीन दिसंबर, 2023) को आए रिजल्ट्स में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने कांग्रेस को करारी शिकस्त दी। भगवा दल ने इसके साथ ही इन हिंदी पट्टी वाले राज्यों में अपनी पकड़ मजबूत की। इन चुनावी नतीजों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को और मजबूती देने वाला और 2024 लोकसभा चुनावों के लिए माहौल तैयार करने वाला माना जा रहा है। आइए, समझते हैं कि इन चुनावी नतीजों से क्या संकेत निकले और इनके बाद क्या होगा?:
- चार सूबों में तीन जगह भाजपा की जीत ने साफ संदेश दिया कि यह बड़ी जीत है। साथ ही पीएम मोदी का मैजिक अभी भी सियासी तौर पर चलता है। उनकी छवि के आधार पर भाजपा बाजी पलटने का माद्दा रखती है और यह काम म.प्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में किया गया। इन तीनों सूबों में मोदी के नाम और छवि का जमकर इस्तेमाल किया गया।
- कांग्रेस और कुछ विपक्षी दलों की ओर से जगाया गया जातिगत जनगणना का जिन्न भी इस चुनाव के परिणाम में कुछ न कर पाया। सियासी जानकारों की मानें तो उल्टा यह मसला विपक्ष के लिए बैकफायर करता दिखा। नतीजतन जिस जगह अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) या फिर आदिवासी वोट बीते चुनाव से भी कम हासिल हुए। साथ ही सवर्ण वोट भी हाथ से चले गए।
- डब्ल्यू फैक्टर यानी कि वीमेन (महिला) फैफ्टर भी इस इलेक्शन में बड़ा प्रभावी साबित होता दिखा। फिर चाहे महिला केंद्रित योजनाएं हों या उनसे जुड़े ऐलान...इन्होंने आधी आबादी के वोटबैंक को साधने में खासा मदद की। म.प्र में मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना इस बात की सबसे बेहतरीन मिसाल है।
- परिणामों ने यह भी साफ कर दिया कि कांग्रेस भले ही नेतृत्व, अस्तित्व और अंदरूनी कलह के तिहरे मोर्चे पर जूझ रही हो, मगर दक्षिण में उसका कुनबा और कद मजबूत हुआ है। कर्नाटक के बाद यह दूसरा साउथ इंडिया का सूबा है, जहां उसे सफलता हाथ आई है। चुनावी विश्लेषकों की मानें तो यह कांग्रेस के लिए किसी बड़े पड़ाव से कम नहीं है।
- इलेक्शन के रिजल्ट इस ओर भी इशारा करते हैं कि पुराने चेहरों को अब शायद ही आगे मौका मिले। अशोक गहलोत से लेकर कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं का शायद यह आखिरी चुनाव रहा हो। ऐसे में मतलब साफ है कि सूबों में अब आगे नए नेतृत्व के लिए रास्ते अग्रसर हो सकते हैं।
- निःसंदेह यह चुनाव साल 2024 का सेमीफाइनल या 'लिटमस टेस्ट' था। ऐसे में यह चुनाव आगे की सियासी स्थिति की दशा और दिशा तय कर सकते हैं। चूंकि, इन विस चुनावों और लोकसभा चुनावों के बीच इतनी तीव्रता से सियासी घटनाक्रम में फेरबदल होता है कि पूरी राजनीतिक तस्वीर में परिवर्तन आने की संभावना रहती है।
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