Aurangabad Lok Sabha Seat: औरंगाबाद सीट के लिए 37 उम्मीदवार मैदान में, शिवसेना और AIMIM के बीच हुआ कड़ा मुकाबला; ओवैसी के लिए सीट बचाना बड़ी चुनौती
Aurangabad Lok Sabha Seat: औरंगाबाद लोकसभा सीट महाराष्ट्र की अहम सीटों में से एक है। इस सीट पर AIMIM के प्रत्याशी सैयद इम्तियाज जलील का कब्जा। इस बार इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय है। उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना (यूबीटी) से जहां चंद्रकांत खैरे उम्मीदवार हैं तो वहीं एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना ने भी यहां से अपना उम्मीदवार उतारा है।
औरंगाबाद लोकसभा सीट पर कांटे की टक्कर
Aurangabad Lok Sabha Seat: महाराष्ट्र की औरंगाबाद लोकसभा सीट पर चुनावी जंग काफी दिलचस्प हैं। यहां कुल 37 उम्मीदवार जीत के लिए ताल ठोक रहे हैं। इनमें शिवसेना के दो धड़े और एआईएमआईएम के बीच त्रिकोणीय मुकाबला था। बता दें, औरंगाबाद लोक सभा सीट पर 44 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया था, लेकिन नामांकन वापसी के आखिरी दिन सात उम्मीदवारों ने अपना नाम वापस ले लिया था। इस निर्वाचन क्षेत्र में लोकसभा चुनाव के चौथे चरण के दौरान 13 मई को मतदान हुआ था। यहां 30,52,724 मतदाता हैं, जिनमें 16,00,169 पुरुष और 14,52,415 महिलाएं शामिल हैं। इसके अलावा, एआईएमआईएम भी इस प्रतिस्पर्धा को और बढ़ा रही है। शिवसेना ने महाराष्ट्र के मंत्री संदीपन भूमरे को शिवसेना (यूबीटी) के पूर्व सांसद चंद्रकांत खैरे के खिलाफ खड़ा किया था। दूसरी ओर, एआईएमआईएम ने मौजूदा सांसद इम्तियाज जलील को फिर से उम्मीदवार बनाया है, जिन्होंने 2019 के चुनावों में खैरे पर जीत हासिल की थी। 2019 के चुनाव में दोनों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली थी, जिसमें जलील विजयी हुए थे, जबकि खैरे एकीकृत शिवसेना के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े थे।
शिवसेना और एआईएमआईएम के बीच कांटे की टक्कर
चुनावों में प्रकाश अंबेडकर की अगुआई वाली वंचित बहुजन अघाड़ी ने 2019 में एआईएमआईएम के साथ अपने पिछले गठबंधन से अलग हटकर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का विकल्प चुना था। उनके उम्मीदवार अफसर खान पार्टी के एजेंडे का प्रतिनिधित्व करते हुए चुनावी मैदान में उतरे हैं। बीएसपी ने इस सीट के लिए कांग्रेस के पूर्व पार्षद संजय जगताप को अपना उम्मीदवार बनाया है। इसके अलावा, यह मुकाबला शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में विभाजन के मद्देनजर पुनर्गठित राजनीतिक संबद्धता को देखते हुए लोकप्रियता की परीक्षा भी है। खैरे महा विकास अघाड़ी के सहयोगियों, अर्थात् ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना, एनसीपी (शरदचंद्र पवार) और कांग्रेस के संयुक्त उम्मीदवार हैं। उनके प्रतिद्वंद्वी भुमरे, जो शिंदे के नेतृत्व वाली सेना से हैं, महायुति के उम्मीदवार हैं, जिसमें भाजपा और राकांपा शामिल हैं, जिसका नेतृत्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार कर रहे हैं। बता दें कि चंद्रकांत खैरे का मानना है कि इस बार उन्हें औरंगाबाद के मुसलमान भी वोट देंगे क्योंकि कोविड काल के दौरान उद्धव ठाकरे ने बतौर मुख्यमंत्री बिना किसी भेदभाव के मुस्लिम समुदाय का भी ध्यान रखा था।
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हालांकि उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना अपने आप को हिंदुत्ववादी पार्टी बताती है लेकिन अब वह मुस्लिम विरोधी नहीं रह गई है। चंद्रकांत खैरे के इस बयान ने इस मुकाबले को और रोचक बना दिया है। अब 4 जून को लोक सभा चुनाव-2024 के नतीजे आने पर पता चलेगा कि औरंगाबाद की जनता का दिल जीतने कौन आगे रहा।
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