Aurangabad Lok Sabha Seat: क्या महाराष्ट्र में अपनी एक मात्र लोकसभा सीट इस बार बचा पाएंगे असदुद्दीन ओवैसी?
Aurangabad Lok Sabha Seat: औरंगाबाद लोकसभा सीट महाराष्ट्र की अहम सीटों में से एक है। इस सीट पर आईएमआईएम के प्रत्याशी सैयद इम्तियाज जलील का कब्जा। इस बार इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय है। उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना (यूबीटी) से जहां चंद्रकांत खैरे उम्मीदवार हैं तो वहीं एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना ने भी यहां से अपना उम्मीदवार उतारा है।
औरंगाबाद लोकसभा सीट क्या असदुद्दीन ओवैसी बचा पाएंगे अपनी साख
Aurangabad Lok Sabha Seat: महाराष्ट्र की औरंगाबाद लोकसभा सीट को शिवसेना का गढ़ माना जाता है। औरंगाबाद महाराष्ट्र की कुल 48 लोकसभा सीटों में एक है। इस संसदीय क्षेत्र में 6 विधानसभा सीटें आती हैं। औरंगाबाद आधिकारिक तौर पर छत्रपति संभाजी नगर के रूप में जाना जाता है। औरंगाबाद महाराष्ट्र का पांचवां सबसे अधिक आबादी वाला शहरी क्षेत्र है। महाराष्ट्र की औरंगाबाद सीट से 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए 23 उम्मीदवार चुनाव लड़े थे। शिवसेना ने इस बार भी अपने मौजूदा सांसद चंद्रकांत खैरे को चुनाव मैदान में उतारा था। इस चुनाव में औरंगाबाद सीट से एआईएमआईएम के प्रत्याशी सैयद इम्तियाज जलील ने जीत हासिल की। वहीं 2014 के विजेता एसएचएस के चंद्रकांत खैरे इस बार हार गए थे।
इम्तियाज जलील ने महज साढ़े चार हजार वोटों के अंतर से जीता था मुकाबला
इम्तियाज जलील ने 2019 के लोकसभा चुनाव में चंद्रकांत खैरे को हराकर महाराष्ट्र में एआईएमआईएम का खाता लोकसभा के लिए खोला था। चंद्रकांत खैरे 1999 से लेकर 2019 तक लगातार 20 साल इस सीट से सांसद रहे थे। पिछले चुनाव में जलील की जीत इसलिए हो पाई थी क्योंकि खैरे के वोट बैंक में निर्दलीय उम्मीदवार ने सेंध लगा दी थी। इम्तियाज जलील ने 2019 में करीब तीन लाख 90 हजार वोट लेकर शिवसेना के उम्मीदवार चंद्रकांत खैरे को महज साढ़े चार हजार वोटों के अंतर से हराया था।
इस बार भी मुकाबला त्रिकोणीय है। उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना (यूबीटी) से जहां चंद्रकांत खैरे उम्मीदवार हैं तो वहीं एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना भी यहां से अपना उम्मीदवार उतारा है। चंद्रकांत खैरे का मानना है कि इस बार उन्हें औरंगाबाद के मुसलमान भी वोट देंगे क्योंकि कोविड काल के दौरान उद्धव ठाकरे ने बतौर मुख्यमंत्री बिना किसी भेदभाव के मुस्लिम समुदाय का भी ध्यान रखा था। हालांकि उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना अपने आप को हिंदुत्ववादी पार्टी बताती है लेकिन अब वह मुस्लिम विरोधी नहीं रह गई है।
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बता दें, औरंगाबाद में मुगल शासक औरंगजेब की कब्र है, जिनके नाम से लंबे वक्त तक इस शहर को जाना जाता रहा है। दो साल पहले एआईएमआईएम के नेता अकबरुद्दीन ओवैसी के यहां आने से सियासी बवाल मच गया था। संभाजीनगर सांप्रदायिक तौर पर बेहद संवेदनशील शहर रहा है। इस शहर का सांप्रदायिक हिंसा का इतिहास रहा है। यही सांप्रदायिक ध्रुवीकरण चुनावों के नतीजों पर भी अपना असर डालता है।
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