आजम खान के अपने भी अब छोड़ रहे हैं साथ, इस बार टूट जाएगा 40 साल का तिलस्म !
Azam Khan Close Aid Join BJP: फसाहत अली का समाजवादी पार्टी छोड़ना आजम खान के लिए बड़ा झटका है। उनका और आजम खान का करीब 17 साल पुराना नाता रहा है। उनकी वफादारी ऐसी थी कि जब आजम खान जेल में थे तो कई बार वह अखिलेश यादव को भी निशाने पर ले लेते थे।
आजम खान पड़े अकेले !
- 5 दिसंबर को होने वाला उप चुनाव आजम खान के रसूख और राजनीतिक विरासत के लिए, बेहद अहम साबित होगा।
- लोक सभा में आजम खान को भाजपा दे चुकी है झटका।
- आजम खान की विधानसभा सदस्यता जा चुकी है।
Azam Khan Close Aid Join BJP: लगता है, रामपुर में रहना है तो आजम-आजम कहना है का जुमला अब बदल रहा है। पहले तो आजम खान की विधान सभा सदस्यता गई, फिर वोटर लिस्ट से नाम कटा और अब उनके करीबी उनसे दूरी बना रहे हैं। आजम खान के बेहद करीबी और उनके मीडिया प्रभारी फसाहत अली खान उर्फ शानू ने उनका साथ छोड़ भाजपा ज्वाइन कर ली है। फसाहत अली का समाजवादी पार्टी छोड़ना आजम खान के लिए बड़ा झटका है। उनका और आजम खान का करीब 17 साल पुराना नाता रहा है। उनकी वफादारी ऐसी थी कि जब आजम खान जेल में थे तो कई बार वह अखिलेश यादव को भी निशाने पर ले लेते थे। लेकिन अब वह भाजपा में चले गए हैं, ऐसे में 5 दिसंबर को होने वाला उप चुनाव आजम खान के रसूख और राजनीतिक विरासत के लिए, बेहद अहम साबित होगा।
फसाहत अली खान ने कहा था हम सियासी यतीम हो गए
आजम खान और फसाहत अली खान का रिश्ता किस तरह का था, इसे फसाहत के उस बयान से समझा जा सकता है, जब उन्होंने अपने ही पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव पर सियासी हमला बोल दिया था। उन्होंने रामपुर में एक सभा में कहा था कि 'वाह राष्ट्रीय अध्यक्ष जी वाह, हमने आपको और आपके वालिद साहब (मुलायम सिंह) को चार बार प्रदेश का मुख्यमंत्री बनवाया।आप इतना नहीं कर सकते थे कि आजम खान साहब को नेता विपक्ष बना देते? वह यही नहीं रूके बोले आजम खां साहब के जेल से बाहर नही आने की वजह से हम लोग सियासी रूप से यतीम हो गए हैं। जाहिर है इस तरह की करीबी अब दूरी बन गई है। जिसका भाजपा फायदा उठाना चाहेगी। फसाहत के पहले घनश्याम सिंह लोधी भी आजम खान का दामन छोड़ भाजपा में शामिल हो चुके हैं। और उन्होंने उप चुनाव में रामपुर लोकसभा सीट पर आजम खान के करीबी मोहम्मद आसिम रजा को बड़ा झटका दिया था।
लोक सभा में आजम खान को लग चुका है झटका
80 की दशक से रामपुर की सियायत में आजम खान फैक्टर रहे हैं। और उसके बाद से उनका रसूख लगातार बढ़ता गया और वह 2012-2017 के दौरान समाजवादी सरकार में अपने सियासी चरम पर पहुंच गया था। लेकिन उत्तर प्रदेश में भाजपा के सत्ता में आने के बाद उनकी राजनीतिक सितारे गड़बड़ाने लगे। और उन पर 87 केस दर्ज हो चुके हैं। जिसमें से एक मामले में उनकी विधान सभा सदस्या भी चली गई। और उसके बाद जून में हुए लोक सभा उप चुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार मोहम्मद आसिम रजा, भाजपा के उम्मीदवार घनश्याम सिंह लोधी से 42 हजार से ज्यादा के बड़े अंतर से चुनाव हार गए हैं। आसिम रजा आजम खान के बेहद करीबी थे।
उप चुनाव में भाजपा से आकाश सक्सेना उम्मीदवार
आजम खान के खिलाफ जो 80 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं, उनमें से ज्यादातर मामलों आकाश सक्सेना का हाथ रहा है। वह इस बार रामपुर सदर से हो रहे विधानसभा उप चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार हैं। और उनके खिलाफ सपा ने एक बार फिर मोहम्मद आसिम रजा को उम्मीदवार बनाया है। अगर इस बार भी सपा आसिम रजा की हार होती है, तो निश्चित है कि आजम खान की 40 साल पुरानी राजनीतिक विरासत, सबसे बुरे दौर में पहुंच चुकी होगी।
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