सम्राट चौधरी के हाथ में अब बिहार बीजेपी, पांच प्वाइंट्स में समझें क्यों मिली कमान
Samrat Chaudhary news: बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने सम्राट चौधरी को बिहार बीजेपी का अध्यक्ष बनाया है। संजय जायसवाल के कार्यकाल के खत्म होने के बाद कई नाम दौड़ में थे। यहां पर हम बताएंगे कि आम चुनाव 2024 से पहले इसे बड़े दांव के तौर पर क्यों देखा जा रहा है।
सम्राट चौधरी, बिहार बीजेपी के अध्यक्ष
- सम्राट चौधरी बिहार बीजेपी के अध्यक्ष
- कुशवाहा समाज से संबंध
- आम चुनाव 2024 से पहले बड़ा दांव
Samrat Chaudhary Bihar BJP President: आम चुनाव 2024 से पहले बिहार में बीजेपी की कमान अब सम्राट चौधरी के हाथ में होगी। बिहार की सियासत पर नजर रखने वाले इसे बड़ा कदम बता रहे हैं। निवर्तमान अध्यक्ष संजय जायसवाल के कार्यकाल के खत्म होने के बाद तरह तरह के कयास लगाए जा रहे थे। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने उनके नाम का ऐलान किया। नीतीश कुमार ने बीजेपी का साथ जब छोड़ा उस समय बिहार विधानपरिषद में नेता प्रतिपक्ष बनाया गया था।
कौन हैं सम्राट चौधरी
सम्राट चौधरी का मूल जनपद मुंगेर है, हालांकि खगड़िया से भी उनका रिश्ता है। खगड़िया के परबत्ता विधानसभा से दो बार विधायक रहे। कुशवाहा समाज से नाता, 1999 में पहली बार मंत्री बने। लेकिन उम्र कम होने की वजह से अयोग्य घोषित किए गए। 2000 में विधायक चुने गए। लेकिन बाद में शिकस्त खानी पड़ी। 2010 में राष्ट्रीय जनता दल से विधायक बने। 2014 में दलबदल कर जेडीयू का हिस्सा बने। नीतीश सरकार में मंत्री बने। फिर जीतन राम मांझी सरकार का भी हिस्सा रहे। लेकिन 2018 में जेडीयू से नाता तोड़ बीजेपी में शामिल हो गय। बीजेपी ने उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी। सम्राट चौधरी के पिता का नाम शकुनी चौधरी है, और वो बिहार की राजनीति में बड़ा चेहरा रहे हैं।
पांच बड़ी वजह
- नीतीश कुमार के लव-कुश वोट बैंक पर चोट करने की कोशिश
- बीजेपी को आमतौर पर सवर्ण समाज वोट करता है। इनके चयन से पार्टी का सामाजिक विस्तार होगा।
- विरोधी कहते हैं कि बीजेपी सामंतवादी सोच वाली पार्टी है। लेकिन इनके चयन से पार्टी आलाकमान ने बिहार की जनता को संदेश देने का प्रयास किया है कि सबका साथ, सबका विकास ही मूल मंत्र है।
- पार्टी की कमान युवा चेहरे के हाथ में देकर युवा मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की गई है।
- इसके जरिए पार्टी के अंदर हैवीवेट नेताओं में खींचतान की राजनीति पर भी लगाम लगाने की पहल की गई है।
क्या कहते हैं जानकार
जानकार बताते हैं कि अगर आप बीजेपी के ग्राफ को देखें तो निश्चित तौर पर पार्टी के नतीजे बेहतर रहे हैं। लेकिन आमतौर पर पार्टी पर अगड़े का टैग लगा हुआ है। सम्राट चौधरी के चयन के जरिए यह संदेश देने की कोशिश की गई है विपक्ष जो अक्सर सामंतवाद का आरोप लगाता है उसके पीछे कोई तर्क नहीं है।
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