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बिहार चुनाव में कांग्रेस का क्या होगा? नए प्रभारी के सामने कई चुनौतियां; समझिए 3 बड़ी बातें

Congress Plan for Bihar Chunav: नए कांग्रेस प्रभारी के लिए आसान नहीं बिहार की राह, कई चुनौतियों से निपटना होगा। कृष्णा अल्लावरु को ऐसे समय में बिहार कांग्रेस का प्रभार मिला है, जब कुछ ही महीने बाद राज्य में विधानसभा का चुनाव होना है। ऐसे में उनके पास बेहद कम समय में न केवल पार्टी के लिए बेहतर परिणाम दिलाने की चुनौती होगी।

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कृष्णा अल्लावरु के लिए बिहार की राह नहीं आसान।

Challenges for Bihar Congress New In-Charge Krishna Allavaru: दिल्ली में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद कांग्रेस ने कई राज्यों में अपने प्रभारी बदल दिए हैं। इस बदलाव के तहत मोहन प्रकाश को बदलते हुए पार्टी ने कृष्णा अल्लावरु को बिहार कांग्रेस का नया प्रभारी बनाया है। प्रभारी बनाए जाने के बाद बिहार के बड़े नेताओं ने कृष्णा अल्लावरु को बधाई दी है। कांग्रेस के राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले कृष्णा कांग्रेस के विश्वास पर कितना खरे उतरेंगे, यह तो भविष्य में पता चलेगा लेकिन, इतना तय है कि उनकी बिहार की राह आसान नहीं होने वाली है। बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। फिलहाल पार्टी राजद नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ खड़ी नजर आ रही है।

क्या महागठबंधन में कांग्रेस को फिर मिलेंगी 70 सीटें?

कांग्रेस बिहार में पिछले कई सालों से अपनी खोई जमीन की तलाश में है, लेकिन उसे अब तक सफलता नहीं मिली है। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 27 सीटें जीतकर अपनी मजबूती का दावा भी पेश किया था, लेकिन पांच साल बाद हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस मात्र 19 सीटें ही जीत सकी। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस महागठबंधन में शामिल होकर राज्य के 243 विधानसभा सीटों में से 70 सीटों पर चुनाव लड़ी और उसके मात्र 19 प्रत्याशी ही विजयी हो सके। कांग्रेस के नेता एक बार फिर 70 सीटों की मांग कर रहे हैं।

राजद के साथ सीट बंटवारे पर सामंजस्य बिठाने की चुनौती

कहा जा रहा है कि कृष्णा अल्लावरु को ऐसे समय में बिहार कांग्रेस का प्रभार मिला है, जब कुछ ही महीने बाद राज्य में विधानसभा का चुनाव होना है। बेहद कम समय में न केवल उन्हें पार्टी और संगठन को मजबूती देने पर काम करना होगा, बल्कि राजद के साथ सीट बंटवारे पर भी सामंजस्य बिठाना होगा। बताया जा रहा है कि राजद इस बार किसी हाल में कांग्रेस को 70 सीट देने के पक्ष में नहीं है। ऐसे में लालू यादव और तेजस्वी यादव से तालमेल बनाना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी।

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