मोदी के नए 'हनुमान' पशुपति पारस? नहीं करेंगे बगावत, रहेंगे NDA के साथ; लोकसभा चुनाव में नहीं मिली है एक भी सीट
बिहार में जब एनडीए के बीच सीटों की जब बंटवारा हुआ और पशुपति पारस की पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली। जिसके बाद वो भड़क गए, मंत्रीपद से इस्तीफा दे दिया। अलग रास्ते की बात करने लगे, लेकिन अब पशुपति पारस ने सुर बदल लिए हैं।
पीएम मोदी के साथ पशुपति पारस
लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान की जब मृत्यु हुई तो पार्टी टूट गई। रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस ने भतीजे चिराग पासवान को अकेला छोड़ दिया और खुद बीजेपी के साथ मिलकर केंद्रीय मंत्री बन गए। चिराग पासवान अपने चाचा से तो खफा हुए लेकिन बीजेपी से नहीं, पीएम मोदी से नहीं। चिराग पासवान खुद को मोदी का हनुमान बताते रहे, अब ऐसी ही हालत चिराग के चाचा पशुपति पारस की हो गई। पशुपति पारस एनडीए में तो हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव में उन्हें एक भी सीट नहीं मिली है। पहले तो बागी सुर दिखे, लेकिन अब पशुपति पारस पीएम मोदी के गुण गाते दिख रहे हैं। मतलब चिराग पासवान की तरह अब वो मोदी के 'हनुमान' बनते दिख रहे हैं।
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क्या बोले पशुपति पारस
एक भी सीट नहीं मिलने के बाद पशुपति पारस ने शनिवार को पीएम के साथ एक तस्वीर पोस्ट की है। जिसमें वो एनडीए के साथ रहने की बात कह रहे हैं। पशुपति पारस ने कहा- "हमारी पार्टी रालोजपा, एनडीए का अभिन्न अंग है! माननीय प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र मोदी हमारे भी नेता हैं और उनका निर्णय हमारे लिए सर्वोपरि है एवं उनके नेतृत्व में एनडीए पूरे देश में 400+ सीट जीतकर तीसरी बार रिकॉर्ड तोड़ बहुमत से NDA की सरकार बनेगी..।"
बगावत के बाद बदले सुर
दरअसल जब पशुपति पारस को अंदेशा हो गया था कि उन्हें सीट नहीं मिलेगी और वो उस सीट पर से भी दावा खो रहे हैं, जिसे लेकर चिराग पासवान के साथ लड़ाई थी, यानि कि हाजीपुर सीट, तो पशुपति पारस ने बागी रूख अपनी लिया था। सीटों की जब बंटवारा हुआ और पशुपति पारस की पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली तो वो भड़क गए, मंत्रीपद से इस्तीफा दे दिया। अलग रास्ते की बात करने लगे, लेकिन लगता है कि महागठबंधन में भी उनकी बात बनी नहीं और अब पशुपति पारस ने सुर बदल लिया है और एनडीए में ही रहने की बात कर रहे हैं।
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