तेलंगाना में BJP का मास्टर प्लान: कांग्रेस के वोट बैंक पर नजर, मतदान से ठीक पहले बदल दी रणनीति

Telangana Elections: धुआंधार प्रचार से पहले ही भाजपा इस मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। अब पार्टी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। भाजपा की मंशा यह है कि राज्य में सरकार विरोधी वोट में ज्यादा विभाजन न हो और पार्टी इस वोट बैंक को अपने खाते में ट्रांसफर करने में जुट गई है।

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तेलंगाना विधानसभा चुनाव

Telangana Elections: तेलंगाना विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की तारीख नजदीक आ गई है। 30 नवंबर को यहां मतदान होना है। ऐसे में कांग्रेस और बीआरएस को झटका देने के लिए भाजपा ने ऐन वक्त पर अपनी रणनीति को बदल दिया है। भाजपा का इरादा राज्य से कांग्रेस का बोरिया-बिस्तर बाहरकर खुद के पैर जमाने का है। इसके लिए पार्टी ने मास्टर प्लान तैयार किया है।
धुआंधार प्रचार से पहले ही भाजपा इस मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। अब पार्टी ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए जमकर कांग्रेस पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह और जेपी नड्डा समेत भाजपा के तमाम दिग्गज नेता तेलंगाना की चुनावी रैलियों में जमकर कांग्रेस पर निशाना साध रहे हैं।

कांग्रेस के वोट बैंक पर भाजपा की नजर

भाजपा की नजरें कांग्रेस के उस वोट बैंक पर हैं , जो बीआरएस सरकार और मुख्यमंत्री केसीआर का कट्टर विरोधी है। पार्टी इस वोट बैंक को अपने खाते में ट्रांसफर करने में जुट गई है। दरअसल, 2018 के पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को तेलंगाना में 28.43 प्रतिशत मत के साथ राज्य की 119 सदस्यीय विधान सभा में 19 विधान सभा सीटों पर जीत हासिल हुई थी। जबकि, भाजपा को 6.98 प्रतिशत मत मिलने के बावजूद सिर्फ एक ही सीट पर जीत हासिल हो पाई थी। लेकिन, इसके कुछ ही महीने बाद 2019 में हुए लोक सभा चुनाव में भाजपा का मत प्रतिशत बढ़कर 19.65 पर पहुंच गया और पार्टी के 4 लोक सभा सांसद चुन कर आए। विधानसभा चुनाव की तुलना में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का भी मत प्रतिशत थोडा बढ़ा, लेकिन, 29.78 प्रतिशत वोट हासिल करने के बावजूद कांग्रेस लोक सभा की सिर्फ 3 सीटें ही जीत पाई। भाजपा की नजर अब कांग्रेस के इसी मध्यमार्गी वोट बैंक पर है जो आमतौर पर राज्य की बीआरएस सरकार और सीएम केसीआर की कट्टर विरोधी है।

विरोधी वोटर में विभाजन रोकने की तैयारी

भाजपा की मंशा यह है कि राज्य में सरकार विरोधी वोट में ज्यादा विभाजन न हो और इसके लिए कांग्रेस के वोट बैंक खासकर बहुसंख्यक समुदाय के वोटर या फिर मध्यमार्गी विचारधारा रखने वाले वोटरों को लुभाने की पुरजोर कोशिश की जा रही है और इस अभियान की बागडोर पार्टी के आला नेताओं ने स्वयं संभाल रखी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तेलंगाना की चुनावी जनसभाओं में कह रहे हैं कि तेलंगाना को नष्ट करने के लिए कांग्रेस और केसीआर दोनों समान रूप से जिम्मेदार हैं और केवल भाजपा ही तेलंगाना को ठीक कर सकती है। वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तेलंगाना के वोटरों को यह समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि कांग्रेस को वोट देने का मतलब है बीआरएस को वोट देना। शाह तो बाकायदा आंकड़ों के साथ यह बता रहे हैं कि 2014 में कांग्रेस के 7 विधायक, 2015 में 34 एमएलसी और 2018 में 12 विधायक केसीआर की पार्टी में शामिल हो गए।
(एजेंसी इनपुट)
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