हार्दिक पटेल को भाजपा ने दी मुश्किल सीट,जीते तो बढ़ जाएगा कद और भाजपा का खत्म होगा सूखा
Gujarat BJP Candidate List and Hardik Patel: हार्दिक पटेल की पुरानी राजनीति को देखा जाय तो वह भाजपा विरोध पर टिकी हुई थी। उन्हें पहचान 2015 के पाटीदार आंदोलन से मिली। और इसी कारण 2017 की चुनावी लड़ाई भाजपा के लिए बहुत मुश्किल बन गई थी। लेकिन अब हार्दिक पटेल भाजपा के लिए नई उम्मीद हैं।
- पटेलों के गढ़ विरामगाम विधानसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा है।
- भाजपा शामिल होने के पहले हार्दिक पटेल कांग्रेस में थे।
- इसी साल जून में उन्होंने भाजपा का दामन थामा है।
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10 साल से कांग्रेस का कब्जा
विरामगाम विधानसभा सीट पर कांग्रेस पिछले 2 चुनाव से जीतती आ रही है। खास बात यह है कि अहमदाबाद में होने और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के होते हुए भी भाजपा 2012 में यह सीट नहीं जीत पाई थी। इसके बाद 2017 में भी भाजपा को निराशा हाथ लगी। हालांकि भाजपा ने 2017 में तेजा श्री बेन पटेल को मैदान में उतारा था, जो 2012 में कांग्रेस में रहते हुई विरामगाम सीट पर जीत हासिल कर चुकी थीं। भाजपा में शामिल कर पटेलों के गढ़ में जीतने का दांव उस वक्त फेल हो गया था। ऐसे में 2022 में क्या पाटीदार आंदोलन से 2017 में भाजपा की परेशानी बढ़ाने वाले हार्दिक पटेल, भाजपा को जीत की सौगात दे पाएंगे। इस पर सबकी नजर रहेगी। विरामगाम सीट में 2.5 लाख से ज्यादा मतदाता हैं।
पाटीदार आंदोलन और आनंदी पटेल के इस्तीफे की बने थे वजह
असल में हार्दिक पटेल की पुरानी राजनीति को देखा जाय तो वह भाजपा विरोध पर टिकी हुई थी। उन्हें पहचान 2015 के पाटीदार आंदोलन से मिली। वह पाटीदार समुयदाय के सरदार पटेल ग्रुप से जुड़े हुए थे। और इसी ग्रुप ने पाटीदार आरक्षण की मांग की थी। साल 2015 के आंदोलन में सूरत रैली और अहमदाबाद की जीएमसी ग्राउंड रैली ने हार्दिक पटेल को पाटीदार आंदोलन का चेहरा बना दिया। आलम यह था कि सूरत रैली में करीब 3 लाख और अहमदाबाद रैली में 5 लाख लोगों के जुटने का दावा किया गया। इसी आंदोलन के दौरान 14 पाटीदारों की मौत भी हुई।
हार्दिक पटेल के आंदोलन का ऐसा असर था कि भाजपा को तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल को कुर्सी से हटाना पड़ा था। और फिर विजय रूपाणी को मुख्यमंत्री बनाया गया । जिन्होंने न केवल आंदोलन के दौरान पाटीदारों पर दर्ज किए सारे मुकदमें वापस लिए बल्कि आरक्षण आयोग भी बनाया। लेकिन इसके बावजूद 2017 की चुनावी लड़ाई भाजपा के लिए बहुत मुश्किल बन गई थी। इसके बाद 2019 में वह कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके बाद कांग्रेस से उन्होंने नाता तोड़ जून 2022 में भाजपा का दामन थाम लिया था।
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