Lok Sabha Election 2024: रणनीतियों में देरी की वजह से पिछड़ गया विपक्ष, एक बार फिर दबदबा कायम रखने जा रही BJP

Lok Sabha Chunav: विपक्ष में पीएम पद का कोई स्पष्ट चेहरा न होने से मतदाता एनडीए की तरफ खिसक रहे हैं। मतदाता एक सशक्त नेतृत्व एवं काम करने वाली सरकार की तरफ खुद को लामबंद कर रहे हैं। मतदाताओं के इस रुझान को देखने से लगता है कि आने वाले चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार अपना राजनीतिक दबदबा कायम रखेगी।

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लोकसभा चुनाव 2024 में जीत की राह पर BJP

Lok Sabha Chunav: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए देश भर में चुनावी बिगुल बज चुका है। यह चुनावी रंगमंच भारत के भविष्य को आकार देने जा रहा है। मौजूदा राजनीतिक एवं चुनावी परिदृश्य से यह बात जाहिर हो रही है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एक बार फिर भारी जीत दर्ज करने की दहलीज पर खड़ी है। रणनीतिक सूझबूझ, लोकप्रिय नेतृत्व और सरकार की उपलब्धियां उसे सत्ता तक पहुंचाने जा रही हैं।

2014 के लोकसभा चुनाव की अगर बात करें तो इस चुनाव में भाजपा ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की। लोकसभा की जीती हुईं 282 सीटों पर उसका वोट प्रतिशत 31 फीसद था। इस जीत ने देश के राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया। विकास को समर्पित अपने एजेंडे और मोदी के करिश्मे की लहर पर सवार होकर एनडीए 336 सीटों के साथ सत्ता में आया। इस चुनाव में देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का बुरा हाल हुआ। अपनी आंतरिक चुनौतियों से जूझते एवं गिरते वोट शेयर के साथ कांग्रेस 44 सीटों पर सिमट कर रह गई। 2014 के इस चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत गिरकर 19.31 प्रतिशत पर आ गया।

Lok Sabha Election 2024 Schedule Date, Live

अगले 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की चुनावी पकड़ और मजबूत हुई। इस बार भगवा पार्टी ने 303 सीटों पर जीत दर्ज की। यही नहीं इस चुनाव में उसका वोट प्रतिशत बढ़कर 37.36 प्रतिशत हो गया। इस चनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन 2014 से थोड़ा बेहतर हुआ और उसकी सीटें भी बढ़ीं। अमेठी से हार मिलती देख राहुल गांधी को अपने लिए सुरक्षित सीट की तलाश करनी पड़ी और उन्हें वायनाड जाना पड़ा।

पिछले दो लोकसभा चुनाव में भाजपा के शानदार प्रदर्शन को देखते हुए ईटीजी रिसर्च का सर्वे भगवा पार्टी के चुनावी दबदबे की तस्वीर पेश करता है। विपक्ष इस समय भाजपा के संगठनात्मक कौशल के आगे खुद को बेबस महसूस कर रहा है। रणनीतियां बनाने में हुई देरी की वजह से वह चुनाव में पीछे हो गया है। 'इंडिया' गठबंधन में बिखराव और इसे आकार देने में मुख्य भूमिका निभाने वाले नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी एवं बंगाल में टीएमसी का अकेले चुनाव लड़ना, इन सारी चीजों ने इस विपक्षी गठबंधन की एकता एवं समन्वय को कमजोर किया।

इसके विपरीत प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में एनडीए अपने लिए मतदाताओं के बीच समर्थन बढ़ाता रहा और चुनावी जीत अपने नाम करता गया। भाजपा के पास योगी आदित्यनाथ एवं अमित शाह जैसे कद्दावर एवं दिग्गज नेता जीत में बड़ी भूमिका निभाते रहे। राशन वितरण, जन-धन खाते जैसी ऐतिहासिक योजनाएं एवं बुनियादी विकास को बढ़ावा देने वाले सुशासन को लोगों ने पसंद किया। सरकार की इन योजनाओं एवं पहलों की खूब प्रशंसा हुई है और सभी वर्गों में इसका समर्थन मिला है।

यहां तक कि अनुच्छेद 370 की समाप्ति, तीन तलाक और राम मंदिर जैसे राष्ट्रीय मुद्दे को एनडीए सरकार ने जिस मजबूती के साथ संभाला, उससे मतदाताओं में उसकी पकड़ मजबूत हुई और उसका वोट बैंक बढ़ा। जैसा कि चुनावी सरगर्मी तेज हो चुकी है, विपक्ष में प्रधानमंत्री पद के चेहरे का अभाव उसकी परेशानियों को और बढ़ा रहा है। विपक्ष में पीएम पद का कोई स्पष्ट चेहरा न होने से मतदाता एनडीए की तरफ खिसक रहे हैं। मतदाता एक सशक्त नेतृत्व एवं काम करने वाली सरकार की तरफ खुद को लामबंद कर रहे हैं। मतदाताओं के इस रुझान को देखने से लगता है कि आने वाले चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार अपना राजनीतिक दबदबा कायम रखेगी।

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि 2024 का लोकसभा चुनाव प्रभावी नेतृत्व, रणनीतिक कौशल और बदलाव लाने वाले सुशासन की पृष्ठभूमि में भाजपा के चुनावी दबदबे को एक बार फिर दोहराने जा रहा है। देश एक बार फिर चुनावी दंगल देखने के लिए तैयार है। भाजपा की शानदार जीत के लिए चुनावी मंच भी सज गया है। भारतीय राजनीति के अखाड़े में भाजपा एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित हो गई है।

मदन मोहन झा

राजनीतिक विश्लेषक, ईटीजी रिसर्च

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