राजस्थान में बंपर मतदान से गदगद BJP, क्या दोहरा पाएगी 2013 वाला प्रदर्शन?, समझें बीते 20 साल का गणित
Rajasthan Assembly elections 2023: राजस्थान का 20 सालों का चुनावी इतिहास कहता है कि विधानसभा चुनाव में अगर मतदान प्रतिशत कम हुआ है तो कांग्रेस की सरकार बनी है।साल 1998 के चुनाव में 63.39 फीसदी वोटिंग हुई तो कांग्रेस की सरकार बनी। 2003 के चुनाव में 3.79 फीसदी वोटिंग ज्यादा हुई।
राजस्थान में इस बार मतदान का प्रतिशत बढ़ा है।
Rajasthan Assembly elections 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव में इस बार बंपर वोटिंग हुई है। मतदान के 18 घंटे बाद वोटिंग का प्रतिशत 74.96 प्रतिशत तक पहुंच गया है। अभी तक 17 सी (बैलेट पेपर की एक श्रेणी) का डेटा अपडेट नहीं हुआ है। अभी मतदान का आंकड़ा और बढ़ सकता है। जैसलमेर के पोकरण विधानसभा क्षेत्र ने मतदान का फिर नया रिकॉर्ड बनाया है। यहां सर्वाधिक 87 फीसदी वोट पड़े हैं। 3 दिसंबर को राजस्थान विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आएंगे। सत्ता में बैठी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी और विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी इस बंपर मतदान के अलग अलग मायने निकाल रहे हैं। मतदान का यह प्रतिशत 2018 के चुनाव की तुलना में अधिक है और भाजपा इसे सत्ता के विरुद्ध डाला गया जनादेश मान रही है। ऐसा माना जा रहा है कि पेपरलीक के मुद्दे पर युवाओं ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया है। वहीं, भ्रष्टाचार, अपराध, कानून व्यवस्था, किसान कर्जमाफी के मुद्दे पर भाजपा ने वोट पाया है।
जब-जब वोट प्रतिशत बढ़ा, BJP सत्ता में आई
बता दें कि राजस्थान का 20 सालों का चुनावी इतिहास कहता है कि विधानसभा चुनाव में अगर मतदान प्रतिशत कम हुआ है तो कांग्रेस की सरकार बनी है।साल 1998 के चुनाव में 63.39 फीसदी वोटिंग हुई तो कांग्रेस की सरकार बनी। 2003 के चुनाव में 3.79 फीसदी वोटिंग ज्यादा हुई और 67.18 फीसदी मतदान हुआ। इस बार बीजेपी सत्ता में आई। 2008 में 66.25 प्रतिशत वोटिंग हुई यानि प्रतिशत 0.93 फीसदी कम रहा तो कांग्रेस की सरकार बनी। 2013 के चुनाव में 8.79 फीसदी मतदान अधिक हुआ तो बीजेपी सत्ता में आई। 2018 के चुनाव में 0.98 प्रतिशत कम वोटिंग हुई तो कांग्रेस की सरकार बनी।
क्या चल गया बीजेपी का जादू?
राजस्थान में हुए इस बंपर मतदान से भाजपा का शीर्ष नेतृत्व गदगद है। बता दें कि 25 नवंबर को राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों में से 199 विधानसभा सीटों पर मतदान किया गया। राजस्थान में इस समय अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार है और विपक्ष में बैठी भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता पर काबिज होने के लिए बूथ स्तर तक मजबूत किलेबंदी की। भारतीय जनता पार्टी ने इस चुनाव में उत्कृष्ट बूथ प्रबंधन का उदाहरण पेश किया है। बीजेपी ने डिजिटल तंत्र को भी बूथ स्तर तक खड़ा किया। अपने इस माइक्रो मैनेजमेंट के चलते बीजेपी संगठन राजस्थान में प्रचंड बहुमत को लेकर आश्वस्त है। खुले शब्दों में भाजपा के प्रदेश स्तर के नेता पार्टी को स्पष्ट जनादेश मिलने की बात कह रहे हैं।
क्या बोले भाजपा के नेता
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी का कहना है कि लोकतंत्र के महापर्व में यह वोट प्रदेश में निश्चित ही 3 दिसंबर को सुशासन की प्रतीक वाली सरकार बनाएगा। साथ ही भाजपा परिवार के देवतुल्य कार्यकर्ताओं का आभार भी व्यक्त करता हूं। आप पिछले कई माह से पूर्ण समर्पण के साथ प्रदेश में सुशासन, गरीब कल्याण और विकास की प्रतीक भाजपा सरकार को सत्ता में लाने के लिए प्रयासरत हैं। प्रदेश की जनता का मत ईवीएम में अंकित हो चुका है। अब हम 3 दिसंबर को मतगणना के बाद भाजपा सरकार बनते ही मिलकर एक और दीपावली मनाएंगे। वहीं, राजस्थान भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन चंद्रशेखर का कहना है कि राजस्थान की जनता ने भ्रष्टाचार वाली सरकार, अपराध रोकने में नाकाम सरकार, पेपरलीक वाली सरकार को बदलना चाहती है और कमल को वोट देकर सुशासन वाली भाजपा की सरकार लाने का मन बनाया। राजस्थान में प्रचंड बहुमत के साथ भाजपा सरकार आ रही है।
क्या बीजेपी दोहरा पाएगी 2013 वाला प्रदर्शन
राजस्थान में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कुल 74.11 फीसदी मतदान हुआ था और कांग्रेस की सरकार बनी थी। उससे पहले के विधानसभा चुनाव यानी 2013 में सूबे में 75.67% मतदान हुआ था और भाजपा ने 163 सीटों के साथ सरकार बनाई थी। इस बार मतदान प्रतिशत 75 फीसदी के करीब है, ऐसे में भाजपा को 2013 वाला प्रदर्शन दोहराने की पूरी उम्मीद जग गई है। 2013 में भाजपा को 46.05 फीसदी वोट मिला था। इस बार भाजपा को उम्मीद है कि उसको मिला वोट प्रतिशत बढ़ेगा, वहीं कांग्रेस को 33.71 फीसदी वोट मिला था। वहीं, 2018 के चुनाव में भाजपा को 38.77 फीसदी वोट मिला था और 73 सीटें आई थीं, जबकि कांग्रेस को 39.30 फीसदी वोट मिला था और 100 सीटें आई थीं।
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