क्या स्मृति ईरानी को टक्कर दे पाएंगे कांग्रेस के 'किशोरी', कैसे हैं अमेठी के समीकरण? BJP Vs Cong में कौन-कितना मजबूत

Amethi Lok Sabha Election: कांग्रेस उम्मीदवार किशोरी लाल शर्मा अमेठी के जातीय समीकरण में फिट बैठते हैं। अमेठी में दलित (26 फीसदी), मुस्लिम (20 फीसदी) और ब्राह्मण (18 फीसदी) का दबदबा है। कांग्रेस को लगता है कि जातीय समीकरणों के हिसाब से के एल शर्मा को फायदा हो सकता है।

Smriti Irani-  Kishori Lal Sharma

अमेठी में स्मृति ईरानी व केएल शर्मा का मुकाबला

Amethi Lok Sabha Election: अमेठी लोकसभा सीट से कांग्रेस पार्टी ने किशोरी लाल शर्मा को टिकट देकर सभी को चौंका दिया है। किशोरी लाल शर्मा गांधी परिवार के बेहद करीबी माने जाते हैं, इसके साथ ही वह गांधी परिवार के सबसे नजदीकी स्थानीय कार्यकर्ताओं में भी एक हैं। ऐसा पहली बार है जब अमेठी से किसी गैर गांधी परिवार के चेहरे को प्रत्याशी बनाया गया है। वे पहली बार पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ अमेठी आए थे और तब से यहीं के होकर रह गए।
अमेठी में किशोरी लाल शर्मा का मुकाबला बीजेपी नेता व सांसद स्मृति ईरानी से होगा। कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली अमेठी में पिछले लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को हराया था, जिसके बाद अमेठी सीट और भी ज्यादा चर्चा में आ गई थी। आइए जानते हैं कांग्रेस पार्टी ने किशोरी लाल शर्मा को टिकट क्यों दिया? क्या वह स्मृति ईरानी को टक्कर दे पाएंगे? अमेठी के समीकरण में किशोरी लाल कैसे फिट बैठते हैं...

पहले जानिए किशोरी लाल शर्मा ने क्या कहा

अमेठी से टिकट मिलने के बाद किशोरी लाल शर्मा ने कहा, मैं कांग्रेस पार्टी का आभारी हूं जिसने इतने छोटे कार्यकर्ता को इतनी बड़ी जिम्मेदारी के काबिल समझा। मैं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा का तहे दिल से आभारी रहूंगा। मैंने 40 साल इस क्षेत्र की सेवा की है और आज भी कर रहा हूं। मेरे लिए खुशी की बात है कि छोटे से कार्यकर्ता को बड़ी इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी, मैं उनका बहुत आभारी हूं। उन्होंने कहा कि भारी मतों से चुनाव जीत कर हम अमेठी सीट को कांग्रेस की झोली में डालेंगे।

बाहरी प्रत्याशी से तौबा, स्थानीय चेहरे पर भरोसा

जब भी गांधी परिवार ने रायबरेली व अमेठी सीटों पर चुनाव नहीं लड़ा, तब भी केएल शर्मा यहां जमे रहे और स्थानीय लोगों से घुलते मिलते रहे। सोनिया गांधी के सांसद बनने के बाद से लेकर अब तक अमेठी और रायबरेली सीटों पर जमीनी काम करने और कराने का सारा जिम्मा के एल शर्मा ही उठा रहे थे। जो लोग इस इलाके से आते हैं, वो केएल शर्मा के नाम को जानते होंगे। वो मृदु भाषी, सरल व्यक्तित्व, कुशल मैनेजर और मीडिया की चकाचौंध से दूर रहते हैं। पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ताओं में खुशी होगी कि किसी बाहरी को यहां से नहीं थोपा गया है। कार्यकर्ता अपनों के बीच से ही कांग्रेसी प्रत्याशी चाहते थे। इंटरनल सर्वे में ये बात निकल कर आई थी।

जातीय समीकरण में भी किशोरी फिट

मूलतः खत्री ब्राह्मण व लुधियाना की उनकी पैदाइश वाले किशोरी लाल शर्मा अमेठी के जातीय समीकरण में फिट बैठते हैं। अमेठी में दलित (26 फीसदी), मुस्लिम (20 फीसदी) और ब्राह्मण (18 फीसदी) का दबदबा है। कांग्रेस को लगता है कि जातीय समीकरणों के हिसाब से के एल शर्मा को फायदा हो सकता है। गांधी परिवार ने भरोसा दिया है कि वो प्रचार के काम में किशोरी लाल शर्मा के साथ भरपूर साथ देंगे।

गांधी परिवार की प्रतिष्ठा की लड़ाई

करीब 55 हजार वोटों से राहुल गांधी 2019 में स्मृति ईरानी से हारे थे। इन पांच सालों में केन्द्रीय मंत्री बनने के बाद स्मृति ईरानी ने यहां पर काम करवाए और स्थानीय लोगों का भरोसा जीतने का काम भी किया। अब तो उन्होंने अपना घर भी वहां बनवा लिया है। वो लगातार यहां से संपर्क बनाकर रखी हुई हैं। आती-जाती रहीं, जबकि राहुल गांधी इक्का-दुक्का ही हारने के बाद अमेठी आए। अमेठी भी अब हॉट सीट बन गई है। गांधी परिवार भले ही सीधा चुनाव न लड़ रहा हो, पर मुकाबला गांधी परिवार के ही नुमाइंदे से है, जो गांधी परिवार की पसंद से पहली बार चुनावी मैदान में उतरा है।
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प्रांजुल श्रीवास्तव author

मैं इस वक्त टाइम्स नाउ नवभारत से जुड़ा हुआ हूं। पत्रकारिता के 8 वर्षों के तजुर्बे में मुझे और मेरी भाषाई समझ को गढ़ने और तराशने में कई वरिष्ठ पत्रक...और देखें

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