खूब हुआ मंथन, पर नहीं हुआ गठबंधन, ओडिशा में BJP-BJD के बीच गठबंधन की संभावनाएं खत्म, अकेले लड़ेगी बीजेपी
चर्चाएं थीं कि ओडिशा में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (BJD) बीजेपी के साथ फिर से गठबंधन कायम कर सकती है। मंथन खूब हुआ पर बात नहीं बनी।
ओडिशा में अकेली लड़ेगी बीजेपी
BJP-BJD Fight in Odisha: ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी और बीजू जनता दल के बीच गठबंधन की संभावनाएं खत्म हो गई हैं। बीजेपी ने राज्य में अकेले ही लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। बीजेपी ने आज लोकसभा की सभी 21 और विधानसभा की सभी 147 सीट पर अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की। दोनों दलों के बीच पिछले कई दिनों से गठबंधन को लेकर बातचीत चल रही थी। भुवनेश्वर से लेकर दिल्ली तक शीर्ष नेताओं के बीच बातचीत का दौर जारी थी, लेकिन बात सिरे नहीं चढ़ सकी। आज बीजेपी ने अकेले ही चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया।
खूब हुआ मंथन, पर नहीं हुआ गठबंधन
चर्चाएं थीं कि ओडिशा में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (BJD) बीजेपी के साथ फिर से गठबंधन कायम कर सकती है। दोनों दलों के नेताओं ने फिर से गठबंधन का संकेत भी दिया था। बीजेडी ने 11 साल की राजनीतिक साझेदारी के बाद 2009 में सीट-बंटवारे की वार्ता नाकाम होने पर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को छोड़ दिया था। लेकिन इसी महीने दोबारा गठबंधन की बातचीत शुरू हो गई थी। दोनों दलों के नेता दिल्ली तक पहुंचे और खूब मंथन हुआ, लेकिन बात नहीं बन सकी।
ओडिशा में कितनी सीटें
ओडिशा में 21 लोकसभा सीटें और 147 विधानसभा सीटें हैं। 2019 में बीजेपी ने आठ लोकसभा सीटें और 23 विधानसभा सीटें जीती थीं, जबकि बीजेडी ने 12 लोकसभा सीटें और 112 विधानसभा सीटों पर कब्जा जमाया था।
मोदी-पटनायक दिखे थे एक साथ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम नवीन पटनायक ने हाल ही में 5 मार्च को ओडिशा की अपनी यात्रा के दौरान सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे की प्रशंसा की थी। तब पीएम मोदी ने नवीन पटनायक के पिता और ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक को भी उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि देते हुए उनकी तारीफ भी की थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि ओडिशा के विकास और राष्ट्र के लिए बीजू बाबा का अमूल्य योगदान बेजोड़ है।
11 साल रहे थे साथ
बीजेडी ने 1998 में बीजेपी के साथ गठबंधन किया था, जिसमें बीजेपी को ओडिशा में तीन लोकसभा चुनावों और दो विधानसभा चुनावों में सफलता मिली थी। 2009 में सीट-शेयरिंग पर बात नाकाम होने के बाद उनकी ये साझेदारी टूट गई। 11 साल बाद दोनों की राहें अलग हो गई थी।
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अमित कुमार मंडल author
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