Chandigarh seat : चंडीगढ़ सीट पर आगे चल रही मनीष तिवारी, जानिए इस सीट के अपडेट्स
Chandigarh Lok Sabha Election 2024 : चंडीगढ़ सीट पर इस बार इस सीट पर मुकाबला रोचक माना जा रहा है। इस सीट पर मुकाबला इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि आम आदमी पार्टी ने मनीष तिवारी का समर्थन किया है। इस सीट पर मौजूदा सांसद किरण खेर हैं। बताया जाता है कि खेर के खिलाफ लोगों की नाराजगी को देखते हुए पार्टी ने उनका टिकट काट दिया
चंडीगढ़ सीट पर इस बार है रोचक मुकाबला।
Chandigarh Lok Sabha Election 2024 : चंडीगढ़ सीट हाई प्रोफाइल सीट में शुमार है। इस सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता मनीष तिवारी का मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संजय टंडन से है। टंडन पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। टंडन छह बार के विधायक और छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल बलराम दास टंडन के बेटे हैं। वह पेशे से सीए हैं। मनीष तिवारी 2009 में लुधियाना सीट से लोकसभा चुनाव जीते थे।
चंडीगढ़ सीट के अपडेट्स
-चंडीगढ़ सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी मनीष तिवारी करीब 7000 वोटों से आगे चल रहे हैं।
दो बार से इस सीट पर जीतती रही हैं किरण खेर
चंडीगड़ सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है। कांग्रेस नेता पवन कुमार बंसल दो बार 2004 और 2009 में इस सीट पर विजयी हुए। चंडीगढ़ दो राज्यों पंजाब एवं हरियाणा की राजधानी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार किरण खेर ने कांग्रेस के पवन कुमार बंसल को 46,970 वोटों के अंतर से हराया। किरण को 2,31,188 वोट और बंसल को 1,84,218 वोट मिले। आप उम्मीदवार हरमोहन धवन को मात्र 13,781 वोट हासिल हुए। इस सीट पर 70 फीसद से ज्यादा मतदान हुआ था। 2014 के लोकसभा चुनाव में खेर को 1,91,362 वोट मिले। इस चुनाव में भी उन्होंने बंसल को हराया।
चंडीगढ़ सीट के उम्मीदवार- संजय टंडन
- मनीष तिवारी
- रितू सिंह
- दीपांशु शर्मा
- रजिंदर कौर
- राज प्रिंस सिंह
- सुनील थमन
- बलजीत सिंह
- रणप्रीत सिंह
- किशोर कुमार
- कुलदीप राय
अकाली दल ने नहीं उतारा उम्मीदवार
इस बार के चंडीगढ़ लोकसभा चुनाव-2024 में कुल 19 उम्मीदवार चुनावी मैदान में अपनी ताल ठोंक रहे हैं। उम्मीदवारों में कई निर्दलीय उम्मीदवार हैं। अकाली दल से चंडीगढ़ में कोई उम्मीदवार नहीं है। बहुजन समाज पार्टी ने डॉ. रितु सिंह को टिकट दिया है। चंडीगढ़ 1967 में लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के रूप में उभरा। इसका इतिहास देश के दूसरे क्षेत्रों की तरह ही रोचक है।
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यहां पर हिंदुस्तान का सबसे पहला संस्कृति हड़प्पा काल का इतिहास है, और मध्ययुगीन काल में यह शहर बहुत ही समृद्ध हुआ करता था। 1947 में आजादी के बाद, इस क्षेत्र को पंजाब और हरियाणा में बांटा गया, और 1952 में पहले लोकसभा चुनाव के बाद यहां पर संसदीय क्षेत्र बनाया गया।
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