Chhattisgarh Election: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस विधायक की बगावत, टिकट नहीं मिला तो 'कमल' थामा
चिंतामणि महाराज पहले भाजपा में थे। 2013 के विधानसभा चुनाव से पहले वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
चिंतामणि महाराज
Chhattisgarh Election 2023: छत्तीसगढ़ चुनाव में उम्मीदवारों के नाम के ऐलान के साथ ही नेताओं के दल-बदल का सिलसिला तेज हो गया है।सत्तारूढ़ कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने से नाराज पार्टी के विधायक चिंतामणि महाराज ने मंगलवार को भाजपा का दामन थाम लिया। सरगुजा जिले के मुख्यालय अंबिकापुर में एक समारोह के दौरान भारतीय जनता पार्टी के छत्तीसगढ़ प्रभारी ओम माथुर और प्रदेश इकाई के महामंत्री (संगठन) पवन साय की उपस्थिति में महाराज आज भाजपा में शामिल हो गए। कांग्रेस के वह तीसरे विधायक हैं जिन्होंने विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने के बाद बागी तेवर अपनाए हैं।
बीजेपी ने बताया घर वापसी
माथुर ने संवाददाताओं से कहा, यह चिंतामणि महाराज की घर वापसी है। पहले कोई कारण रहा होगा, इसलिए उन्होंने भाजपा छोड़ दी थी। आज हमें बहुत खुशी है कि क्षेत्र में पार्टी को स्थापित करने वाला हमारा पूर्व कार्यकर्ता पार्टी में वापस लौट आया है। पूरी पार्टी उनका स्वागत करती है। चिंतामणि महाराज पहले भाजपा में थे। 2013 के विधानसभा चुनाव से पहले वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे। यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा महाराज को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में मैदान में उतारेगी, इस पर माथुर ने कहा कि इसके लिए इंतजार करें।
सामरी सीट से विधायक
महाराज वर्तमान में बलरामपुर जिले की सामरी सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। कांग्रेस ने इस बार विजय पैकरा को चुनाव मैदान में उतारा है। भाजपा ने इस सीट से उधेश्वरी पैकरा को अपना उम्मीदवार बनाया है जो बलरामपुर जिला पंचायत की सदस्य हैं। उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लुंड्रा सीट से 2013 का विधानसभा चुनाव लड़ा था और पहली बार विधायक चुने गए थे। वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने महाराज को सामरी सीट से मैदान में उतारा था जहां उन्होंने भाजपा के सिद्धनाथ पैकरा को 21,923 मतों के अंतर से हराया था।
महाराज ने किया दावा
पिछले सप्ताह भाजपा के वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विष्णु देव साय ने सामरी क्षेत्र में एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान महाराज से मुलाकात की थी। बैठक के बाद महाराज ने संवाददाताओं से कहा था कि यदि उन्हें अंबिकापुर सीट (कांग्रेस के उम्मीदवार और उपमुख्यमंत्री टीएस सिंह देव के खिलाफ) से मैदान में उतारा जाता है तो वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं। महाराज ने यह भी कहा था कि भाजपा उन्हें अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में उतारने के लिए तैयार है लेकिन उन्होंने अंबिकापुर से अगला विधानसभा चुनाव लड़ने की शर्त रखी है।
अंबिकापुर सीट से बीजेपी ने नया चेहरा उतारा
अंबिकापुर सीट से भाजपा ने नए चेहरे राजेश अग्रवाल को मैदान में उतारा है। महाराज प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता और संत स्वर्गीय रामेश्वर गहिरा गुरु के पुत्र हैं। गहिरा गुरु का उत्तर छत्तीसगढ़ में विशेषकर आदिवासियों के बीच काफी प्रभाव था। कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने से दो अन्य विधायकों-अनूप नाग और किस्मत लाल नंद ने भी बागी तेवर अपनाए हैं। नाग के अंतागढ़ सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने के फैसले के बाद कांग्रेस ने उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। वहीं, नंद जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) में शामिल हो गए हैं और अपनी मौजूदा सीट सरायपाली से चुनाव लड़ रहे हैं। राज्य की 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए सात और 17 नवंबर को दो चरणों में मतदान होगा। (Bhasha Input)
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