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Delhi Assembly Election: इंडिया गठबंधन के भीतर दरार या नया समीकरण? समझिए दिल्ली चुनावों पर कितना पड़ेगा असर

Delhi Assembly Election 2025: इंडिया गठबंधन में एक राजनीतिक खींचतान देखने को मिल रही है। अगर दिल्ली विधानसभा चुनावों की बात करें तो एक ओर जहां समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव आम आदमी पार्टी (आप) के समर्थन में रोड शो करेंगे और उनके प्रत्याशियों के लिए वोट मांगेंगे, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस को जम्मू-कश्मीर की नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) का सीधा समर्थन मिल रहा है।

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इंडिया गठबंधन में दरार या फिर...

Delhi Assembly Election: दिल्ली विधानसभा चुनावों की सरगर्मी के बीच इंडिया गठबंधन (INDIA Alliance) में एक दिलचस्प राजनीतिक खींचतान देखने को मिल रही है। एक ओर जहां समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव आम आदमी पार्टी (आप) के समर्थन में रोड शो करेंगे और उनके प्रत्याशियों के लिए वोट मांगेंगे, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस को जम्मू-कश्मीर की नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) का सीधा समर्थन मिल रहा है। फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने कांग्रेस के मुस्तफाबाद सीट से उम्मीदवार अली महेंदी के लिए चुनाव प्रचार किया, जबकि उनके बेटे और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी कांग्रेस के समर्थन में प्रचार करेंगे।

गठबंधन के भीतर बनते-बिगड़ते समीकरण

लोकसभा चुनाव में साथ चुनाव लड़ने के बाद ये पहले से हो तय माना जा रहा था कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप-कांग्रेस सामने-सामने रहेगी। वही चुनाव प्रचार में भी कांग्रेस आप पर आक्रामक है, राहुल गांधी भी हर चुनावी रैली में केजरीवाल को भ्रष्ट बता रहे है। ऐसे में अखिलेश यादव का अरविंद केजरीवाल के समर्थन में आना यह दर्शाता है कि सपा और आप के बीच एक मजबूत राजनीतिक तालमेल बन रहा है। दूसरी तरफ, नेशनल कॉन्फ्रेंस का कांग्रेस को समर्थन देना यह संकेत देता है कि गठबंधन के भीतर भी एक अलग गठबंधन आकार ले रहा है।

क्या इंडिया गठबंधन में फूट गहरी हो रही है?

दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच बढ़ती खींचतान गठबंधन के राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव डाल सकती है। पहले भी कई मौकों पर कांग्रेस और आप के नेताओं के बीच तल्ख़ बयानबाज़ी देखी गई है। वहीं, समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को अपेक्षित सीटें न देने को लेकर पहले ही नाराज़गी जताई थी। अब अखिलेश यादव का खुलकर आप के समर्थन में आना कांग्रेस के लिए एक स्पष्ट संदेश हो सकता है कि वे अपनी राजनीतिक रणनीति के हिसाब से आगे बढ़ रहे हैं।

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