स्वाति मालीवाल से मारपीट मामले में अदालत ने क्यों जताई नाराजगी? 'प्रचार के लिए दायर की गई याचिका'

Swati Maliwal Case: अदालत ने मारपीट मामले में मालीवाल का नाम प्रसारित करने संबंधी याचिका को लेकर नाराजगी जताई है। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, 'अगर पीड़िता टेलीविजन चैनलों पर बात कर रही है तो जनहित याचिका दायर करने वाले आप कौन होते हैं।' उसने कहा, 'इस जनहित याचिका के पीछे कोई राजनीतिक रंग है।'

स्वाति मालीवाल केस में हाईकोर्ट की टिप्पणी।

Delhi News: दिल्ली उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निकट सहयोगी बिभव कुमार की कथित संलिप्तता वाले मारपीट मामले में राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल का नाम प्रसारित करने से मीडिया को रोकने के लिए जनहित याचिका दायर करने वाले वकील पर शुक्रवार को नाराजगी जाहिर की । उच्च न्यायालय ने कहा कि यह याचिका केवल 'प्रचार' के लिए दायर की गई और इसमें 'राजनीतिक रंग' दिखाई दे रहा है। न्यायालय ने कहा कि जब 'पीड़िता' (मालीवाल) खुद सामने आकर कथित घटना के बारे में बात कर रही है तो याचिकाकर्ता को क्या समस्या है, जो एक तीसरा पक्ष है।

कोर्ट ने पूछा- तीसरे पक्ष की क्या भूमिका है?

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पी. एस. अरोड़ा की पीठ ने कहा, 'जब पीड़िता स्वयं इस बारे में बात करना चाहती है तो कुछ कहने वाले आप कौन होते हैं। पीड़िता शिकायत नहीं कर रही, बल्कि आप शिकायत कर रहे हैं। इसमें तीसरे पक्ष की क्या भूमिका है? पीड़िता इस बारे में खुलकर सामने आ रही है। यह बहुत स्पष्ट है कि आपका नजरिया धुंधला है और इसमें कोई और रंग है। आप पीड़िता की शर्मिंदगी की बात नहीं कर रहे।'

'याचिका दायर करने वाले आप कौन होते हैं?'

अदालत ने कहा, 'अगर पीड़िता टेलीविजन चैनलों पर बात कर रही है तो जनहित याचिका दायर करने वाले आप कौन होते हैं।' उसने कहा, 'इस जनहित याचिका के पीछे कोई राजनीतिक रंग है।' अदालत अधिवक्ता एस पाल सिंह की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मालीवाल से मारपीट के मामले में मीडिया द्वारा पीड़िता की पहचान उजागर करने पर रोक लगाए जाने तथा उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया था, जिन्होंने प्राथमिकी की विषय-वस्तु के साथ पीड़िता की पहचान जानबूझकर उजागर की।
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